शिवहरे वाणी नेटवर्क
भोपाल
मध्य प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मियां तेज हो चुकी हैं। वहीं दूसरी ओर, अपनी खासी संख्या के बाद भी राजनीतिक रूप से अब तक उपेक्षित रहे कलचुरी समाज ने अपने वाजिब प्रतिनिधित्व के लिए जो संघर्ष छेड़ रखा है, वह काफी रोचक बन पड़ा है। श्री सहस्रबाहु कलचुरी महासभा के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष एवं राजनीतिक प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय संयोजक श्री राजाराम शिवहरे के नेतृत्व में यह अभियान फिलहाल सभी राजनीतिक दलों का ध्यान आकर्षित करने में सफल प्रतीत हो रहा है। इसे इस बात से समझा जा सकता है कि दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों कांग्रेस और भाजपा के बीच कलचुरी समाज का समर्थन हासिल करने होड़ शुरू हो गई है, और दोनों ने अपने-अपने संगठन में कलचुरी समाज के नेताओं को अहमियत देना शुरू कर दिया है। हाल ही में कांग्रेस ने सीधी की श्रीमती रमा जायसवाल को पिछड़ा वर्ग कांग्रेस का प्रदेश महासचिव मनोनीत किया है, वहीं वरिष्ठ नेत्री श्रीमती अर्चना जायसवाल को मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी की उपाध्यक्ष बनाए जाने के साथ ही पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ की सलाहकार के रूप में एक और अहम जिम्मेदारी सौंपी गई है।
बता दें कि श्रीमती रमा जायसवाल भारतीय कलचुरी जायसवाल समवर्गीय महासभा के राष्ट्रीय महासचिव श्री राकेश जायसवाल की धर्मपत्नी हैं। हालांकि श्रीमती रमा जायसवाल काफी समय से कांग्रेस में सक्रिय हैं। उन्होंने “म.प्र.महिला कांग्रेस” में “प्रदेश सचिव” के पद की जिम्मेदारी भी सफलतापूर्वक निर्वहन की थी, जिसकी वजह से उन्हें एक और बड़ी जिम्मेदारी दी गई है।
वहीं श्रीमती अर्चना जायसवाल राष्ट्रीय कलचुरी एकता महासंघ की राष्ट्रीय संयोजक हैं। वह कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री हैं और इंदौर की मेयर पद का चुनाव भी लड़ चुकी हैं। पिछड़ा वर्ग की जातियों की राजनीतिक भागीदारी को सुनिश्चित करने के लिए कांग्रेस ने उन्हें पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ का सलाहकार नियुक्त किया है। सूत्रों का कहना है कि भाजपा भी अपने संगठन में कलचुरी समाज के नेताओं को बड़ी जिम्मेदारियां देने की तैयारी में है जिसकी घोषणा जल्द की जा सकती है।
खास बात यह है कि कलचुरी समाज के संगठनों की ओर से किसी एक दल को प्राथमिकता या समर्थन देने जैसा कोई प्रयास नजर नहीं आ रहा है जिसे समाज के राजनीतिक चातुर्य की एक मिसाल माना जा सकता है। और, जो यह भी साबित करता है कि कलचुरी समाज सही मायने में एक लोकतांत्रिक समाज है। फिलहाल देखा यह जाएगा कि दोनों राजनीतिक दल टिकट वितरण के समय राजनीतिक रूप से उपेक्षित रहे समाज को कितनी अहमियत देते हैं। अपनी वाजिब राजनीतिक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए कलचुरी समाज के संगठनों के अभियान की सफलता की कसौटी भी यही होगी।
राजाराम शिवहरे समेत समाज के कई महानुभाव इस संबंध में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ समेत दोनों दलों के प्रमुख नेताओं से कई मुलाकातें कर चुके हैं। श्री सहस्रबाहु कलचुरी महासभा की ओर से विधानसभा चुनाव में टिकट मांगने अथवा संगठन में काम करने के इच्छुक समाजबंधुओं की ओर से आवेदन प्राप्त कर लिये गए हैं। इसे लेकर दो महत्वपूर्ण बैठकें भी हो चुकी हैं। प्रदेश में कलचुरी समाज की 75 लाख की आबादी के अनुपात में दोनों दलों से 25-25 विधानसभा टिकटों की मांग को लेकर एक बड़ा सम्मेलन 30 सितंबर को आहूत किया गया है। उम्मीद की जानी चाहिए कि मध्य प्रदेश में कलचुरी समाज की संगठन क्षमता दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दलों यानी कांग्रेस और भाजपा को प्रभावित करने में सफल रहेगी।
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