शिवहरे वाणी नेटवर्क
अनूपपुर।
एक महान राजनेता, प्रशासक, भाषाविद, कवि, पत्रकार, लेखक और इन सबसे बढ़कर एक शानदार शख्सियत पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी हमारे बीच भले ही नहीं हैं, लेकिन उनका जीवन, उनकी बाते, और उनकी नसीहते हम भारतीयों को अनंतकाल तक प्रेरित करती रहेंगी। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से हुई एक मुलाकात को याद करते हुए एक भावुक संस्करण साझा कर रहे हैं अनूपपुर के वरिष्ठ पत्रकार श्री राजेश शिवहरेः-
आज से 30 बरस पहले 7 फरवरी, 1988 को भारत रत्न श्री अटल बिहारी बाजपेयी जी का अनूपपुर नगर आगमन हुआ था, वह चिरमिरी मनेंद्रगढ़ जाने के लिए उत्कल एक्सप्रेस से अनूपपुर आए थे। तब हम लोग उन्हें रिसीव करने के लिए स्टेशन गए थे। स्टेशन में उतरते ही उन्होंने पूछा कि अनूपपुर में मेरा क्या कार्यक्रम है। एक कार्यकर्ता ने जोश से भरकर कहा कि आपका यहां नाश्ते का कार्यक्रम है, तो अटल जी ने हंसकर कहा 'वाह बहुत बड़ा कार्यक्रम है।' इस पर ठहाके गूंज गए। अटलजी बोले, 'मैं विश्राम गृह चलता हूं नहाने के उपरांत मुझे किसी कार्यकर्ता के घर जाकर रामायण सीरियल देखना है।' उन दिनों दूरदर्शन पर रामायण सीरियल इतना लोकप्रिय हो गया था, कि उसके प्रसारण के समय सड़कें सुनसान हो जाया करती थी। खैर, इस बहाने मुझे भी अटल जी के साथ कुछ घंटे गुजारने का अवसर मिला। उन दिनों मैं दैनिक भास्कर (जबलपुर ) एवं दैनिक भारती (शहडोल ) का संवाददाता (प्रतिनिधि) हुआ करता था, और एक पत्रकार के तौर पर मैंने उनके दौरे को कवर भी किया था। मेरे पत्रकारीय जीवन का यह स्वर्णिम अवसर था जिसे मैं अपना सौभाग्य मानता हूं।
अटलजी की शख्सियत से मैं इतना प्रभावित था कि बहुत पहले ही सोच रखा था, जब उनसे कभी मुलाकात होती तो उनका ऑटोग्राफ जरूर लूंगा। इसके लिए मैंने कई साल पहले अपने दोस्त से एक ऑटोग्राफ बुक मंगा कर रख ली थी। मुलाकात का सौभाग्य अब मिला था। मैंने अपनी ऑटोग्राफ बुक अटलजी के सामने बढ़ाई, तो वह पहले पन्ने को छोड़कर दूसरे पन्ने पर अपना ऑटोग्राफ देने लगे। मैंने आग्रह किया, कि सर मैं पहले पेज में ही आपका ऑटोग्राफ चाहूंगा, उन्होंने कहा कि पहले पन्ने पर भारत किसी बड़ी शख्सियत से ऑटोग्राफ लेना, मैं तो दूसरे पन्ने में ही अपना ऑटोग्राफ दूंगा। मैंने कहा कि मेरे लिए आपृसे बड़ी शख्सियत कोई नहीं हो सकती तो उन्होंने हंसते हुए कहा कि मुझसे भी बड़ी शख्सियत है इस देश में। और इतना कहते हुए दूसरे पन्ने पर अपने हस्ताक्षर अंकित कर दिए।
बहुत ही शानदार व्यक्तित्व के धनी थे हमारे "अटल जी"। उनके कुछ समय की मुलाकात में मैं रोमांचित हो गया। आज भी वह ऑटोग्राफ मेरे पास माननीय अटल बिहारी वाजपेई जी के द्वारा सस्नेह दी गईं धरोहर के रूप में मौजूद है। मैं परम पिता परमेश्वर का बहुत-बहुत आभारी हूं जो मुझे अटल जी से मिलने का अवसर प्रदान किया। आदरणीय अटल बिहारी वाजपेयी जी का यूं जाना बहुत ही दुखद है, परमपिता परमेश्वर ऐसे महान आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दे। मेरा अश्रुपूरित श्रद्धांजलि…शत शत नमन…।
और हा….मेरी ऑटोग्राफ बुक का पहला पन्ना जिसे अटलजी ने उनसे भी बड़ी शख्सियत के ऑटोग्राफ के लिए छोड़ दिया था, वो आज भी कोरा है…। कोरा ही रहेगा।
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