February 23, 2025
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
समाचार

जब एक दिन टहलते हुए मेरे दफ्तर आए अटलजी

शिवहरे वाणी नेटवर्क 
लखनऊ
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय लोकतंत्र के उन महान नेताओं में शुमार हैं, जिन्हें अपने विरोधियों का भी सम्मान मिला। बल्कि यूं कहें कि आजाद भारत के वह महानतम गैर-कांग्रेसी नेता थे, जिन्होंने दलगत संकीर्णताओं से ऊपर उठकर सोचा। उत्तर प्रदेश जायसवाल सर्ववर्गीय महासभा के लखनऊ अध्यक्ष एवं परिष्ठ पत्रकार श्री अजय कुमार जायसवाल आज श्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के समाचार से काफी व्यथित हो गए। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री के साथ अपनी एक मुलाकात को याद करते हुए एक भावुक संस्मरण शिवहरे वाणी के लिए लिखा हैः-
अटल बिहारी वाजपेयी एक अजातशत्रु, बेहद नेक, बहुत प्रभावी और स्पष्ट वक्ता थे। पांच दशक के संसदीय जीवन में उन पर कभी कोई आरोप नही लगा। उनका जीवन एक खुली किताब की तरह रहा, जीवन के किसी भी पहलू को उन्होंने कभी छिपाया नहीं। कई बार तो वह मजाक में यहां तक कह देते थे, "मैं कुँवारा हूं, ब्रह्मचारी नही।" लखनऊ में चौक के राजा की ठंढाई (भांग मिली हुई), तिवारी के दही-बड़े और चाट उन्हें बहुत प्रिय थी। प्रेस कांफ्रेस में तीखे सवालों का जवाब भी हंसते हुए ऐसे दे जाते थे, कि सवाल करने वाला खुद मुस्कराकर चुप हो जाता था।
लखनऊ के सांसद रहते हुए अटलजी एक दिन टहलते हुए मेरे नरही (हजरतगंज) स्थित "माया" पत्रिका के कार्यालय में आ पहुचें। मेरे सभी सहयोगियों ने अटलजी से कुशलक्षेम पूछी, और बहुत घुल-मिलकर बातचीत की। इतने आला पाये के एक नेता की यह सादगी हम सभी के दिल को छू गई। ऊपर दिया चित्र अटलजी से मेरी उसी मुलाकात का है।
अटलजी पर न तो कभी भाई-भतीजावाद के आरोप लगे, ना ही भ्रष्टाचार की कालिख़ लगी। मायावती, ममता बनर्जी और मुलायम सिंह यादव जैसे भाजपा के धुर-विरोधी नेताओं ने भी कभी उनकी निन्दा नही की। भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू से उनके रिश्तों की अक्सर चर्चा होती है। विचारधारा के स्तर पर एक-दूसरे के विरोधी होते हुए भी वे एक-दूसरे के प्रशंसक थे और एक-दूसरे का सम्मान करते थे। एक ऐसे अजातशत्रु व्यक्तित्व को मैं शत शत नमन करता हूं।
मुझे गर्व है कि मैंने उस संस्थान से 1970 में पत्रकारिता की शुरूआत की जहाँ कभी अटलजी संपादक हुआ करते थे। राष्ट्रधर्म/ पांच्यजन के सहयोगी प्रकाशन "तरुण भारत" से मेरा पत्रिकारिता में प्रवेश हुआ। "रार नही ठानुगा, हार नही मानूगा" कविता गाने वाले अटलजी मौत को 9 वर्षों से मात देते रहे, लेकिन आज मौत से हार गए। ईश्वर अटलजी की आत्मा को सद्गति प्रदान करे।

-अजय जायसवाल

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