शिवहरे वाणी नेटवर्क
नागपु।
कलचुरी समाज में मृत्युभोज त्यागने को लेकर सोशल मीडिया पर चल रही मुहीम अब रंग लाने लगी है। बीते दिनों नागपुर में कलचुरी समाज की प्रतिष्ठित शख्सियत श्री सुभाष किशोरीलालजी राय के निधन हो गया था। उनके शोकाकुल परिवार ने नागपुर के कलचुरी समाज में पहली बार मृत्युभोज यानी तेरहवीं को त्यागने का साहस किया। परिवार ने इसके बजाय सुभाष किशोरीलालजी राय की श्रद्धांजलि सभा आयोजित की। नागपुर में पहली बार हुए इस आयोजन की सभी ने सराहना की है।
श्रद्धांजलि सभा का आयोजन बीती 7 अगस्त को शोकग्रस्त परिवार के आवास 245,लोकमान्य नगर. एम आय डी सी हिगंना रोड नागपुर पर हुआ, जिसमें कलचुरी समाज समेत समस्त समाज के लोगों ने शामिल होकर मृतात्मा के छायाचित्र पर पुष्प अर्पित किये और दो मिनट का मौन रखकर मृतात्मा को शांति और परिवार को यह आघात सहने का साहस प्रदान करने की प्रार्थना ईश्वर से की गई। साथ ही लोगों ने स्व. सुभाष किशोरीलालजी राय के छोटे भाई डा. गणेश राय व पूरे परिवार से मिलकर सांत्वना प्रदान की। राष्ट्रीय कलचुरी एकता महासंघ महाराष्ट्र के अध्यक्ष श्री दीपक जायसवाल जी ने श्रधांजलि सभा को संबोधित करते हुए कहा कि यह अनुकरणीय पहल है, मै जीवन मे पहली बार इस तरह के कार्यक्रम में उपस्थित हुआ हूं। सभी ने इस निर्णय को अनुकरणीय बताते हुए इसे कुरीति उन्मूलन की दिशा में सकारात्मक कदम बताया। इस अवसर पर समाज के विभिन्न संगठनों के अध्यक्ष, वरिष्ठ एवं युवाजनों सहित महिलाएं उपस्थित रही। सभा का संचालन छिंदवाड़ा के श्री राजेन्द्र राय ने किया। श्रीमती मीना राजेंद्र राय ने सभी आगंतुकों को सहस्त्रबाहु कथा, सहस्त्रबाहु भगवान का पोस्टर भेंट किया। श्रद्धांजलि सभा में आए लोगों का कहना था कि नागपुर में पहली बार इस तरह का कार्यक्रम आयोजित किया गया है।
बता दें कि इन दिनों व्हाट्सएप ग्रुप 'कलार समाज की बेटियां' औऱ 'सामाजिक कुरीतियां मिटाओ' शीर्षक से व्हाट्सएप पर दो ऐसे ग्रुप चल रहे हैं जिन पर सामाजिक बुराइयों को मिटाने के लिए समाज में एक जनमत बनाया जा रहा है। बड़ी संख्या में समाजबंधु इन ग्रुपों से जु़ड़कर समाज से कुप्रथाओं के उन्मूलन की दिशा में प्रयास कर रहे हैं। खास बात यह है कि मृत्युभोज की प्रथा को समाप्त करने के लिए इस मुहीम की शुरुआत मुख्य रूप से 'कलार समाज की बेटियां' ग्रुप से हुई जिसे 'सामाजिक कुरीतियां मिटाओ' ने आगे बढ़ाया है। इस मुहीम के शुरू होने के बाद से समाज के सैकड़ों लोगों ने अपने यहां मृत्युभोज या तेरहवीं का आयोजन नहीं करने का ऐलान किया है। मध्य प्रदेश में तो कई जगह और कई बार तेहरवीं के बजाय श्रद्धांजलि सभाएं हो चुकी हैं।
Leave feedback about this