''सपने वो नहीं होते जो आप सोने के बाद देखते हैं, सपने वो होते हैं जो आपको सोने नहीं देते।'' -एपीजे अब्दुल कलाम
शिवहरे वाणी नेटवर्क
आगरा।
क्रिकेटर बनने के सपने ने यशस्वी की नींद उड़ा दी थी। इस सपने को सच करने की जिद लेक वह बहुत कच्ची उम्र में मुंबई आ गया। यहां तंबू में रातें गुजारीं, पानी-पूरी बेचीं लेकिन सपने को पूरा करने का अपना संघर्ष जारी रखा..और अब महज 17 साल की उम्र में उसे दोहरी खुशियां मिली हैं। एक, वह श्रीलंका जाने वाली अंडर-19 इंडियन क्रिकेट टीम में सलेक्ट हो गया। दूसरा, कि उसे मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर से मिलने का मौका मिला और क्रिकेट के गॉड ने उसे अपना एक बल्ला गिफ्ट किया। कहा कि भविष्य में यह बच्चा देश का नाम जरूर रोशन करेगा।
बात कर रहे हैं भदोई के एक छोटे से गांव के रहने वाले 17 वर्षीय यशस्वी जायसवाल की। गलीचों के इसी शहर में यशस्वी ने क्रिकेटर बनने का सपना बुना। सुरियावां नगर के शास्त्री नगर निवासी पेंट व्यवसायी भूपेंद्र कुमार जायसवाल ने क्रिकेट को लेकर बेटे यशस्वी की दीवानगी को पहचान लिया था, लेकिन उसके इस सपने पर पैसा खर्च करने की सामर्थ्य उनमें नहीं थी। लेकिन क्रिकेट खेलने की तमन्ना यशस्वी को महज 10 साल की उम्र में मुंबई ले आई।
मुंबई मे यशस्वी पहले एक डेयरी में रहा, इस शर्त पर कि उसे दुकान में काम भी करना होगा। लेकिन दिनभर क्रिकेट खेलने के बाद दुकान पर काम करना संभव नहीं था। इन्ही दिनों में यशस्वी को कोच ज्वाला सिंह का साथ मिला। उसके टैलेंट को पहचान कर ज्वाला सिंह ने यशस्वी का पूरा खर्चा उठाने का जिम्मा अपने सिर ले लिया। मुस्लिम युनाइटेड क्लब ने उसे आज़ाद मैदान में अपने तंबू में रहने की इजाजत इस शर्त पर दी कि उसे मैच में बढ़िया प्रदर्शन करना होगा। यशस्वी तीन साल तक आजाद मैदान के उसी तंबू में रहा। बरसात में तंबू में गंदा पानी भर जाता था, रात को मच्छर काटते थे. लेकिन यशस्वी को इससे फर्क नहीं पड़ा क्योकि क्रिकेटर बनने के सपने ने तो उसकी नींद पहले ही उड़ा रखी थी। यशस्वी को जब समय मिलता, आजाद मैदान पर पानी-पूरी का ठेला लगाने वाले अंकल की मदद करा। इसके लिए उसे 40 से 50 रुपए और इनाम में एक प्लेट पानीपुरी मिल जाती थी। बढ़िया खेलने पर मिलने वाले 200 या कभी-कभी 300 रुपयों से उसका हफ्ते का खर्चा निकल जाता था। क्रिकेटर्स अपने साथ घर से लंच लाते थे, वहीं यशस्वी खुद खाना बनाता था।
धीरे-धीरे यशस्वी ए डिवीज़न के बॉलर्स की बहुत बढ़िया धुनाई करने लग गया। मुंबई की अंडर-16 टीम में उसका चयन हुआ जहां उसने शानदार प्रदर्शन किया। इसी प्रदर्शन के आधार पर उसका चयन श्रीलंका जाने वाली अंडर-19 टीम में हो गया। तमाम दुश्वारियों, आर्थिक परेशानियों के बाद भी कठिन परिश्रम, लगन व मेहनत से यशस्वी ने क्रिकेट के दिग्गजों का दिल जत लिया। यशस्वी ने भदोई में अपने पिता को फोन कर यह जानकारी दी, तो खुशी से वह रो पड़े।
लेकिन, एक और बड़ी खुशी तेजस्वी का इंतजार कर रही थी। अंडर-19 टीम में यशस्वी के आदर्श और क्रिकेट के गॉड सचिन तेंदुलकर का बेटा अर्जुन तेंदुलकर भी है। मीडिया के जरिये मुबई में यशस्वी के संघर्ष की दास्तान सामने आने लगीं। एक दिन अर्जुन ने यशस्वी से कहा कि मेरे पिता तुमसे पर्सनली मिलना चाहते हैं। यशस्वी के मुताबिक, सचिन से मिलने के लिए उसने बहुत तैयारी की, कुछ सवालों के जवाब भी तैयार किए। लेकिन अर्जुन के बांद्रा स्थित घर पर उसके पिता को देखते ही वह बहुत नर्वस हो गया। हालांकि जैसे-जैसे बातचीत आगे बढ़ी, वह सामान्य होता गया। यशस्वी ने सचिन से कुछ सवाल भी किए, जैसे बड़े मैचों के प्रेशर को आप कैसे डील करते हैं, जिस पर सचिन ने बताया कि मैच के रिजल्ट के बारे कभी सोचो ही नहीं, प्रेशर को एन्जॉय करो। सचिन ने उसे बताया कि जहां तक संभव हो, गेंद का सामना करते समय गेंदबाज पर नजर रखो। हर गेंदबाज अपनी अगली गेंद का क्लू देता है, उन संकेतों को समझने की जरूरत होती है। यह आपको फोकस भी करेगा और आप इधऱ-उधर की बातों पर नहीं सोचेंगे।
यशस्वी ने जब बताया कि वह तीन बार कवर ड्राइव खेलने की कोशिश में आउट हो चुका है, तो सचिन ने उसे नेट पर और अधिक अभ्यास करने की सलाह दी। सचिन ने कहा कि प्रेक्टिस के दौरान स्पिनर्स पर भी प्रेक्टिस करे। तेज गेंदबाज को खेलते समय आपका फोकस अपने फ्रंटफुट को आगे खींचने और डिफेंसिव स्ट्रोक खेलने पर होना चाहिए। कवर ड्राइव केवल तभी ट्राई करो जब इसकी जरूरत महसूस हो। सचिन तेंदुलकर ने यशस्वी को अपना बल्ला बधाई संदेश लिखकर दिया। सचिन से बात करते वक्त यशस्वी इतना खो गया कि एक सेल्फी खिचवाने तक की बात याद नहीं रही।
2013 में लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड में दर्ज हुआ नाम
वर्ष 2013 में उसका चयन मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन अंडर-16 में हुआ था। उस दौरान एक मैच में उसने हरफनमौला प्रदर्शन करते हुए 319 रन बनाने के साथ ही 13 विकेट भी लिए थे। इसके लिए उसका नाम लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड में दर्ज किया गया। उस दौरान महान क्रिकेटर व भारतीय टीम के पूर्व कप्तान दिलीप वेंगसरकर ने अपना बल्ला भेंट कर यशस्वी के उज्जवल भविष्य की कामना की थी।
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