(जैसा कि श्री सुरेशचंद्रजी शिवहरे ने शिवहरे वाणी के संपादक सोम साहू को बताया, सभी दृश्य शनिवार को हुए श्रीकृष्ण जन्मोत्सव प्रसंग के हैं जिन्हें शिवहरे वाणी के फोटो एडीटर अमित शिवहरे ने अपने कैमरे में कैद किया।)
ऐसे दौर में जब समाज पतन की ओर बढ़ता नजर आ रहा है, लोगों में वैमनस्य के भाव प्रबल हो रहे हैं, सुबह के अखबार भ्रष्टाचार, हिंसा और दुष्कर्म की घटनाओं की रिपोर्टों से भरे होते हैं, तब लगता है कि समाज की दिशा और दशा बदलनी चाहिए। ये कैसे संभव हो, कैसे हम अपने समाज को अपनी भावी पीढ़ियों के लिए अनुकूल और सुरक्षित बनाएं। इन्हीं सवालों पर सोचते-विचारते एकाएक भागवत कथा कराने का विचार कुछ समय पहले मन में आया था और अब पुत्र रवि शिवहरे ने मेरे इस विचार को मूर्त रूप दे दिया है।
भागवत कथा का श्रवण क्यों मंगलकारिणी समझा जाता है। क्या इस कथा के श्रवण से भगवान प्राप्त होता है, क्या ऐसा करने से भाग्य परिवर्तन होता है, क्या मरणोपरांत स्वर्ग में जगह मिलती हैं? ऐसे तमाम प्रश्नों के सटीक उत्तर नहीं दिये जा सकते, बल्कि कहें कि ये काल्पनिक धारणाएं-अवधारणाएं हैं। लेकिन इतना तय है कि भागवत कथा व्यक्ति के विचारों और व्यवहारों में मौलिक परिवर्तन लाने में सक्षम है, जिससे व्यक्ति की जीवनशैली बदलती है, जिससे उस व्यक्ति को व्यापारिक, सामाजिक और पारिवारिक जीवन में सफलता, समृद्धि और संतोष प्राप्त होता है।
मैं, मेरे भाई और बच्चे…सभी की सामाजिक जीवन में विशेष अभिरुचि रही है। ये संस्कार हमें अपने परिवार से मिले हैं। इस नाते मेरी दिली इच्छा थी कि कुछ ऐसा कार्य किया जाए जिससे समाज वास्तविक रूप से लाभान्वित हो सके। श्री अरविंदजी महाराज के संपर्क में आने के बाद, और उनकी ओजस्वी, अमृतमयी और मधुरवाणी में श्रीमदभागवत कथा का श्रवण करने के बाद जीवन में सकारात्मक परिवर्तन महसूस हुआ है। सोचा कि क्यों न एक भागवत कथा अपने यहां बैठाऊं, उसमें अपने परिवार, मित्रों और अपने शिवहरे समाज को आमंत्रित करूं। पुत्र रवि शिवहरे के साथ जब अपने इस विचार को साझा किया, तो उन्होंने तत्काल इसे मूर्त रूप देने का निर्णय किया।
आज यानी रविवार को मेरे आवास ‘कुसुम सदन’ 1-नीरव निकुंज, सिकंदरा में आज भागवत कथा का चौथा दिन है। कथा के लिए एयरकूल्ड पंडाल बनाया है जिसमें आपको गर्मी का तनिक भी अहसास नहीं होगा और आप एकचित्त होकर कथा का आनंद प्राप्त कर सकते हैं। सोमवार, मंगलवार और बुधवार को कथा के रोचक और उपयोगी प्रसंग होने हैं। बुधवार को अंतिम दिन यज्ञ एवं प्रसाद का कार्यक्रम है। मेरे समाजबंधुओं, मैं शिवहरे वाणी में इस आलेख के माध्यम से आपसे करबद्ध आग्रह करता हूं कि आप पधारें, कथा श्रवण का आनंद लें, लाभ प्राप्त करें और प्रसाद ग्रहण कर हमें अनुगृहीत करें। भागवत कथा के इस आयोजन के पीछे मेरा लक्ष्य मेरा अपना समाज ही है, लिहाजा हर समाजबंधु की उपस्थिति मुझे कृतार्थ करेगी।
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