November 23, 2024
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
शिक्षा/करियर

बधाईः मेघा गुप्ता (शिवहरे) को यूपीएसएसी में 674वीं रैंक, आईपीएस मिलने की संभावना

शिवहरे वाणी नेटवर्क
कानपुर
इस बार यूपीएसएसी परीक्षा में सफलता प्राप्त करने वाले कलचुरी युवाओं में फेहरिस्त में एक और नाम है कानपुर की मेघा गुप्ता (शिवहरे) का, जिन्होंने 674वीं रैंक प्राप्त की है। उम्मीद है कि मेघा को आईपीएस मिल सकता है जो उनका पसंदीदा क्षेत्र भी है। मेघा आईपीएस बनकर महिलाओं से जुड़े मुद्दों को जैसे रेप, दहेज़ उत्पीड़न, घरेलू हिंसा पर काम करना चाहती हैं। जैसा कि मेघा कहती हैं, ‘मैं देख रही हूं महिलाओं और बच्चियों के साथ कितना अत्याचार हो रहा है, बहुत दुःख होता है, मैं समाज से ऐसे लोगों को उखाड़ कर फेंकना चाहती हूं।‘ बता दें कि शिवहरे वाणी ने यूपीएसएसी परीक्षा पास करने वाले कलचुरी समाज के पांच युवाओं के बारे में प्रकाशित किए थे, उस फेहरिस्त में मेघा गुप्ता छठवीं हैं।

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मेघा गुप्ता का परिवार कानपुर के गोविन्द नगर थाना क्षेत्र स्थित चावला मार्किट में रहता है। पिता सुशील गुप्ता स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में सीओ हैं, मां श्रीमती संगीता गुप्ता गृहणी हैं। मेघा का भाई रिषभ गुप्ता एसबीआई में पीओ है और कानपुर में ही पोस्टेड है। मेघा ने इंटरमीडियेट तक की शिक्षा कानपुर के ओंकारेश्वर शिक्षा निकेतन इंटर कालेज से प्राप्त की, 2010 में उन्होंने भोपाल स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआईटी) में दाखिला लिया और यहां से इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन से बीटेक किया। 2014 में बीटेक करने के बाद एक कंपनी ने उन्हें जॉब ऑफर कर दी । 
लेकिन, पढ़ाई के दौरान ही मेघा ने सिविल सर्विसेज में जाने को लक्ष्य बना लिया था। इसकी प्रेरणा उन्हें अपने मामा से मिली थी, जो एक जज हैं। एक साल नौकरी करने के बाद मेघा ने रिजाइन कर दिया और पूरी तरह सिविल सर्विसेज की तैयारी में लग गई। 2016 में यूपीएसएसी का पहला अटेंप्ट हल्की-फुल्की तैयारी करके दिया। इसके पीछे उद्देश्य इतना भर था कि वह देश की सबसे कठिन मानी जाने वाली इस परीक्षा का जायजा लेना चाहती थीं, और आकलन करना चाहती थीं कि इस परीक्षा की तैयारी के लिए उन्हें किस क्षेत्र में कितनी मेहनत करनी होगी। इसके बाद जुटकर तैयारी की। कुछ समय के लिए दिल्ली में कोचिंग भी ली। यूपीएसएसी-2017 में उन्हें कामयाबी हासिल हुई। मेघा की कामयाबी पर पूरा परिवार बेहद खुश है। मेघा कहती हैं कि उनकी कामयाबी उनके पिता, मम्मी और भाई का सबसे बड़ा योगदान है। वहीं पिता सुशील गुप्ता ने शिवहरे वाणी से बातचीत में कहा कि उनका सपना पूरे होते दिख रहा है।

अपने इन जवाबों से इंटरव्यू पैनल को प्रभावित किया

एक साक्षात्कार में मेघा ने बताया कि इंटरव्यू में उनसे पूछा गया था कि जब आप वेटिंग हाल में बैठी थी तो आप के मन में क्या चल रहा था। मेघा ने जवाब दिया कि मैं पूर्व प्रधानमन्त्री अटल बिहारी वाजपेयी की कविता को याद कर रही थी जिसमें उन्होंने कहा था "न हार में न जीत में कुंचित नहीं भयभीत नहीं, कर्तव्य पथ पर जो मिले यह भी सही वो भी सही, हार नही मानूंगा वरदान नही मानूंगा मैं"। इंटरव्यू पैनल ने मेघा से यह भी पूछा कि आपका ऐसा कौन सा गुण है जिसे तीन साल के बच्चे को सिखाना चाहेंगी, जिस पर मेघा ने कहा कि मैं बच्चे को यही सिखाना चाहूंगी की खेलने में, पढाई या फिर झगड़े में भी कोशिश का गुण नही खोना चाहिए। इंटरव्यू में यूपी के विभाजन, कानपुर का नाम कानपुर कैसे पड़ा, माओवादियों को कैसे कंट्रोल करेंगे जैसे 30 से अधिक प्रश्न मेघा से पूछे गए। मेघा के उत्तरों से पैनल संतुष्ट दिखा, इसीलिए मेघा को विश्वास था कि इस बार उसे सफलता मिलेगी। 

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