शिवहरे वाणी नेटवर्क
इंदौर।
जो जैसा है, वैसा है। हर व्यक्ति को यह बात स्वीकार करनी चाहिए और अपनी स्थितियों में रहते हुए वक्त की चुनौतियों का सामना करने को तैयार रहना चाहिए। क्योंकि, आदमी शरीर से कभी विकलांग नहीं होता, विकलांगता दिमाग से होती है। यह कहना है हर्ष चौकसे का जो बचपन में हुए एक हादसे में अपना दाहिना पांव गंवा चुके हैं। एक आर्टिफिशियल पैर के साथ बिल्कुल सामान्य जीवन जी रहे हर्ष चौकसे अपने हौसले के दम पर 5 मई को इंदौर में होने वाली 50 किलोमीटर की साइकिल मैराथन में शिरकत करने जा रहे हैं। बकौल हर्ष, मैराथन में शामिल होकर मैं लोगों को बताना चाहता हूं कि आपकी कोई भी कमज़ोरी आपको आगे बढ़ने से तब तक नहीं रोक सकती, जब तक आप खुद न चाहें।
हर्ष चौकसे वैसे तो शिवपुरी के रहने वाले हैं लेकिन कई सालों से इंदौर में रह रहे हैं। यहां वह एचडीएफसी लाइफ में जॉब करते हैं। शिवहरे वाणी से बातचीत में हर्ष चौकसे ने बताया था कि चार साल की उम्र में एक कार हादसे में उनके दाहिने पांव के घुटने से नीचे का हिस्सा कट गया था। उस चोट से उबरने के बाद उन्होंने आर्टिफिशियल पैर का इस्तेमाल करना शुरू किया। आज हर्ष सामान्य जीवन जी रहे हैं तो इसका श्रेय उनके परिवार को भी जाता है। परिवार के लोगों ने कभी उन्हें यह अहसास नहीं होने दिया कि वे किसी सामान्यता से वंचित हैं। कभी उस पर तरस नहीं खाया, बल्कि हमेश आगे बढ़ने की हिम्मत और सलाहियत दी। शिवपुरी में बारहवीं तक पढ़ाई के बाद हर्ष ने आगे की पढ़ाई इंदौर में करनी चाही तो परिवार ने इजाजत दे दी। इंदौर में अकेले रहते हुए उन्होंने पढ़ाई की और अब जॉब भी कर रहे हैं। हर्ष बताते हैं कि कॉलेज में भी उनके साथियों को चार साल बाद पता चला कि उनका एक पैर नकली है।
एडवेंचर्स और स्पोर्ट्स के क्षेत्र में हर्ष ने कई उपलब्धियां हासिल कीं। 1995 में कराटे सीखना शुरू किया और कुछ ही समय बाद वह जिला स्तरीय स्पर्धा में चैंपियन बन गए। टेबल टेनिस में मंडल स्तर खेले। चेस में स्टेट लेवल तक गए। 2001 में पैरा स्वीमिंग के राष्ट्रीय स्पर्धा में भागीदारी की। अब साइकिल मैराथन की तैयारी कर रहे हैं। बकौल हर्ष, 'मैं अपनी अनोखी पर रोज 15 किमी की दूरी तय करता हूं। मेरा एक पैर नकली है इसलिए मैं खुद हो अनोखा समझता हूं। मैं अनोखा हूं इसलिए साइकिल का नाम भी अनोखी रखा है।'
हर्ष चौकसे हाल ही में आगरा में रहने वाले एक रिश्तेदार के साथ कार से रोहतांग दर्रे गए। पूरे रास्ते हर्ष ने ही कार चलाई। कुछ साल पहले वह अपनी पत्नी चेतना चौकसे के साथ बाइक पर दिल्ली से इंदौर आए थे। वह बताते हैं कि कार या बाइक या फिर कोई अन्य वाहन चलाने में उन्हें कभी दिक्कत नहीं होती क्योंकि वह एडी के इस्तेमाल से गीयर शिफ्टिंग और ब्रेक लगाने का काम कर लेते हैं। हर्ष शिवपुरी में संयुक्त परिवार में पले-बढ़े हैं। उनके पिताजी श्री राकेश चौकसे सरकारी ठेकेदार हैं, माताजी श्रीमती भारती चौकसे घरेलू महिला हैं। उनके भाई जिला पंचायत में परियोजना अधिकारी हैं। हर्ष इंदौर के संचार नगर में पत्नी चेतना के साथ रहते हैं। चेतना वोडाफोन कंपनी में जॉब करती हैं।
शख्सियत
हर्ष चौकसे के हौसले को सलाम कीजिये
- by admin
- October 29, 2016
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- 8 years ago
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