February 16, 2025
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
समाचार

दाऊजी मंदिर समिति पर कमलकांत शिवहरे के गंभीर आरोप, समिति ने दिया ये जवाब

शिवहरे वाणी नेटवर्क
आगरा।
आगरा में शिवहरे समाज की प्रमुख धरोहर मंदिर श्री दाऊजी महाराज इन दिनों परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। उसे बदलते वक्त की जरूरतों के अनुरूप ढाला जा रहा है और इसके तहत मंदिर के पिछले हिस्से में बनी धर्मशाला ‘शिवहरे वैश्य सदन’ के जीर्णोद्धार का काम तेजी पर है। ऐसे में समाज के ही एक पक्ष ने मंदिर प्रबंध समिति पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
शिवहरे जायसवाल महासभा (रजिस्टर्ड) के अध्यक्ष कमलकांत शिवहरे ने मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष भगवान स्वरूप शिवहरे एवं सचिव संजय शिवहरे को संबोधित एक पत्र व्हाट्सएप के माध्यम से विभिन्न ग्रुपों में सार्वजनिक किया है। पत्र में कमलकांत शिवहरे ने प्रबंध समिति पर तानाशाही का रवैया अपनाने और समाज की स्वीकृति लिये बिना समाज की संपत्तियों को खुर्द-बुर्द करने अथवा बेचने की कोशिश करने का आरोप लगाया है। जवाब में प्रबंध समिति ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए इन्हें मिथ्या और अनर्गल करार दिया है। साथ ही पत्र की मंशा और भाषा पर कड़ी आपत्ति जताई है।
दरअसल कमलकांत शिवहरे ने इस पत्र के माध्यम से मंदिर श्री दाऊजी महाराज के स्वामित्व की एक संपत्ति (13/130, हल्का मदन, नाई की मंडी, आगरा) को गैर शिवहरे समाज के व्यक्ति को बेचे जाने पर कड़ी आपत्ति जताई है। कमलकांत शिवहरे ने दलील दी है कि समाज की धरोहर या मंदिर की संपत्ति को बेचने के लिए जरूरी है कि पहले शिवहरे समाज की साधारण सभा बुलाकर उसमें इसका प्रस्ताव रखा जाए और लोगों के हस्ताक्षर से इस प्रस्ताव के पारित होने के बाद ही उक्त संपत्ति को बेचने का निर्णय लिया जा सकता है। कमलकांत शिवहरे ने चेतावनी दी है कि यदि शिवहरे समाज की इच्छा के विरुद्ध या इच्छा की अनदेखी करते हुए समाज की धरोहर या संपत्ति को खुर्द-बुर्द करने या बेचने का प्रयास किया गया तो उनकी संस्था शिवहरे जायसवाल महासभा को कानूनी कार्रवाई के लिए बाध्य होना पड़ेगा। उनका कहना है कि ऐसे किसी निर्णय से पहले समाज की साधारण सभा में लिखित प्रस्ताव पारित कराना अनिवार्य है।
मंदिर श्री दाऊजी महाराज प्रबंध समिति के सचिव श्री संजय शिवहरे ने शिवहरे वाणी से बातचीत में पत्र का जवाब देते हुए कहा है कि मंदिर प्रबंध समिति समाज में रहते हुए समाज की ऐतिहासिक धरोहर को अधिक उपयोगी बनाने की दिशा में बड़ी गंभीरता और शिद्दत से काम कर रही है। उन्होंने कहा कि समाज की ऐतिहासिक धरोहर और उसकी संपत्ति को खुर्दबुर्द करने का दुस्साहस भला कौन कर सकता है, किसमें इतना दुस्साहस है….क्या कमलकांत शिवहरे खुद कभी ऐसा दुस्साहस करने की सोच सकते हैं भला। उन्होंने दावा किया कि श्रीदाऊजी मंदिर का प्रबंधन सवा सौ वर्षों से विभिन्न प्रबंध समितियों के हाथों में रहा है और हर प्रबंध समिति ने अपने वक्त की जरूरत के हिसाब से काम करते हुए मंदिर के गौरव को बढ़ाने का ही कार्य किया है। मौजूदा समिति भी बुजुर्गों के द्वारा स्थापित परंपराओं का अनुसरण कर रही है। संजय शिवहरे ने कहा कि समिति ने बहुत ही कम समय में अपने प्रयासों से मंदिर की आय को बढ़ाने की उपलब्धि हासिल की है, यह आय पहले के मुकाबले काफी बढ़ी है और आगे भी बढ़ाने के प्रयास जारी रहेंगे। मंदिर की धर्मशाला को नई जरूरत के अनुरूप ढाला जा रहा है और इसमें बड़ी धनराशि की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि मंदिर के स्वामित्व में एक मकान ((13/130, हल्का मदन, नाई की मंडी, आगरा) जीर्ण-शीर्ण हालत में है और ऐसे में उस मकान को बेचने का निर्णय उससे प्राप्त धन का प्रयोग मंदिर में उत्थान में करने की मंशा से किया गया था। 
बकौल संजय शिवहरे, उक्त मकान कमलकांत शिवहरे के घर के ठीक सामने है और मकान को बेचने का प्रस्ताव कमलकांत शिवहरे को ही सबसे पहले दिया गया था। कमलकांत शिवहरे ने मकान को खरीदने की इच्छा जाहिर करते हुए इसके लिए 50 हजार रुपये एडवांस देकर रजिस्ट्री कराने का समय भी स्वयं निर्धारित किया था। संजय शिवहरे ने सवाल किया कि कमलकांत शिवहरे को उस वक्त साधारण सभा बुलाने और लिखित में प्रस्ताव पारित कराने की बात क्यूं याद नहीं आई। उन्होंने कहा कि कमलकांत शिवहरे ने रजिस्ट्री के लिए स्वयं के द्वारा निर्धारित समय को तीन बार बढ़ाया और उसके बाद भी उन्होंने मकान की रजिस्ट्री नहीं कराई। ऐसे में समिति को हताश होकर उनका बयाना लौटाने का निर्णय करना पड़ा, और कमलकांत शिवहरे ने उक्त राशि को वापस स्वीकार भी कर लिया। 
समाज की संपत्ति को गैर समाज के व्यक्ति को बेचे जाने की बात पर संजय शिवहरे ने कहा कि ऐसा कहीं लिखित दर्ज नहीं है कि मंदिर या समाज की संपत्ति गैर शिवहरे समाज के किसी व्यक्ति को नहीं बेची जा सकती। स्वयं मंदिर के ur कई किरायेदार गैर शिवहरे समाज के हैं और कई दशकों से किरायेदार हैं। फिर भी, आज की तारीख में यदि समाज का कोई व्यक्ति उस मकान को खरीदने का इच्छुक है, और जल्द से जल्द रजिस्ट्री करा सकता है, तो प्रबंध समिति से इच्छा जाहिर तो करे।

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