January 31, 2025
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
वुमन पॉवर

आज की दुर्गा-5 वंदना सूर्यवंशी जिसे लोग कहते हैं चायवाली चैंपियन

शिवहरे वाणी नेटवर्क

वे लोग वास्तव में बधाई के पात्र हैं, जिन्होंने शिवहरे वाणी की विशेष सीरीज ‘आज की दुर्गा’ को सराहा है। ऐसे प्रगतिशील सोच वाले लोग ही समाज को सही दिशा दे सकते हैं। राष्ट्रीय कलचुरी एकता मंच ने इस सीरीज में प्रकाशित होने वालीं कहानियों की नायिकाओं को एक बड़े समारोह में सम्मानित करने के अपने निर्णय से शिवहरे वाणी को अवगत कराया है। इस निर्णय का स्वागत है। खैर, सीरीज की पांचवी कड़ी में आज हम आपको मिलवा रहे हैं एक ऐसी महिला से जो अपने हालात बदलने का ख्वाब लेकर गांव से पति और बच्चों को एक अजनबी शहर में ले आई, और यहां चाय-नाश्ते की ठेल लगाते हुए अपने जीवन को ऐसे बदलाव किया, कि आज लोग उन्हें चैंपियन के रूप में जानते हैं। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की कराटे स्पर्धाओं के कई गोल्ड और सिल्वर मैडल उनकी झोली में है। उनकी सफलता से प्रभावित होकर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें सांची मिल्क पार्लर आवंटित करने की घोषणा की है। कई ख्यातिनाम पत्र-पत्रिकाओं में उनके बारे में लेख प्रकाशित हो चुके हैं। हम बात कर रहे हैं वंदना सूर्यवंशी की जो भोपाल में लालघाटी के पास कलक्ट्रेट के सामने अपने पति के साथ मिलकर चाय-नाश्ते का ठेल लगाती हैं, सुबह-शाम बच्चों को कराटे की ट्रेनिंग देती हैं।

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शिवहरे वाणी से बातचीत में वह कहती हैं, यदि कोई ख्वाब बहुत प्यारा लगता है, तो उसे हकीकत में बदलने की सोचो, इसके लिए संघर्ष तो करना ही पहेगा, और यह भी सत्य है कि संघर्ष करने वालों को ही कामयाबी मिलती है। यही उनकी कामयाबी का मूलमंत्र है। 

वंदना सूर्यवंशी ने वर्ष 2014 में कराटे ब्लैक बेल्ट हासिल करने के बाद नेपाल के काठमांडू और 2015 में नेपाल के ही धनगढ़ी में अंडर-45 केजी वेट ग्रुप में गोल्ड जीते। इसके अलावा वह शिमला, देवास और पुणे में हुई नेशनल स्पर्धाओं में भी गोल्ड जीत चुकी हैं। स्टेट लेवल और सेंट्रल इंडिया लेवल स्पर्धाओं में भी कई मैडल उन्होंने हासिल किए हैं। बड़ी बात यह है कि वंदना ने यह कामयाबी पूरा दिन पति के साथ चाय के ठेले पर हाथ बंटाते हुए हासिल की है। ठेले पर पति दिनेश चाय बनाते हैं और कचौड़ी-समोसे तलते है, जबकि कचौड़ी में दाल भरने, समोसे में आलू भरने, चाय के लिए गिलास लगाने और जूठे गिलासों को साफ करने की जिम्मेदारी वंदना की होती है।

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वंदना की दिनचर्या जानेंगे तो उसकी शिद्दत और लगन के आप भी कायल हो जाएंगे। सुबह 5 बजे ही स्टेडियम पहुंच जाना जहां बच्चों को ट्रेनिंग देने के साथ ही खुद भी प्रेक्टिस करना, इसके बाद घर का काम करके सुबह साढ़े नौ बजे पति के साथ अपने चाय के ठेल पर जाना, वहां से शाम को 7 बजे फारिग होकर फिर सीधे स्टेडियम जाकर फिर ट्रेनिंग देने के साथ ही खुद प्रेक्टिस भी करना। 8.30 बजे स्टेडियम से लौटने के बाद ठेल के लिए जरूरी सामान की खरीददारी। दोनों बच्चे घर पर ही रहते हैं और इतने समझदार तो हैं हीं कि खुद ही तैयार होकर स्कूल, ट्यूशन और ट्रेनिंग पर चले जाते हैं।

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वंदना मध्यप्रदेश में छिंदवाड़ा जिले के गांव रैनीखेड़ा की हैं। उनके पिता राकेश चौकसे खेतीबाड़ी करते थे और टैंपो चलाते थे। गांव में पढ़ाई का माहौल नहीं थी और घर के आर्थिक हालात भी अनुकूल नहीं थे, लिहाजा वंदना हाईस्कूल तक ही पढ़ सकीं। 2006 में उनका विवाह छिंदवाड़ा के ही चानाहेटा निवासी दिनेश सूर्यवंशी से हुआ जो ड्राइवर का काम करते थे। ससुराल एक संयुक्त परिवार था, तो शुरू में तो जिंदगी ढर्रे पर चलती रही लेकिन जब बच्चे बडे होने लगे तो उनकी पढ़ाई-लिखाई का सवाल भी खड़ा हुआ। वंदना को अहसास हो गया कि दिनेश की ड्राइवरी से काम चलने वाला नहीं, गांव में बच्चों का भी कोई भविष्य नहीं है। 2012 में वह पति दिनेश और दोनों बच्चों को लेकर भोपाल आ गई। भोपाल उसके लिए अजनबी शहर था। यहां किराये पर एक छोटा सा मकान लिया और कलक्ट्रेट के सामने चाय-नाश्ते का ठेल लगाने की जगह तलाश ली। एक स्कूल में दोनों बच्चों का एडमिशन भी करा दिया।

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वंदना बताती हैं कि एक बार वह अपने बच्चों को कराटे ट्रेनिंग में भर्ती कराने के लिए स्टेडियम ले गईं। वहां कई बच्चों को कराटे के दांव-पेज आजमाते देख रोमांचित हो गईं। उन्होंने कोच से यूं ही पूछ लिया, क्या मैं भी सीख सकती हूं कराटे। इस पर कोच ने कहा-‘आजमा लीजिये, कुछ दिन में पता चल जाएगा।‘ इस तरह कराटे में वंदना की पहली क्लास शुरू हुई। तीन दिन के अंदर ही कोच ने कहा कि अब अपनी ट्रेनिंग को गंभीरता से लीजिये, आप काफी ऊपर जा सकती हैं। फिर क्या था वंदना की ट्रेनिंग शुरू हो गई। वंदना ने सुबह शाम अभ्यास करना शुरू कर दिया। और, आज इस खेल की जानी-मानी खिलाड़ी हैं। उनके दोनों बच्चे 12 साल की रुचि और दस साल के धनंजय भी कराटे के प्रतिभाशाली खिलाड़ी हृं, कई स्पर्धाओं में मैडल जीत चुके हैं।

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वंदना सूर्यवंशी इन दिनों अनुसूचित जाति-जनजाति के बच्चों के एक दर्जन सरकारी हॉस्टल में रह रहे 750 बच्चों को कराटे और सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग दे रही हैं। वंदना बताती हैं कि कराटे में मेहनत का फल उन्हें मिलने लगा है। बच्चों को ट्रेनिंग के एवज में इतना तो मिल ही जाता है कि घर का किराया और बच्चों की फीस निकल जाती हैं। बाकी दाल-रोटी के लिए चाय का ठेल तो है ही।

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मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने हाल ही में वंदना को सांची मिल्क पार्लर आवंटित किया है, लेकिन उसके लिए एक लाख रुपये चाहिए जिसके लिए बैंक से लोन की प्रक्रिया चल रही है। उम्मीद है कि जल्द ही उनकी सांची पार्लर शुरू हो जाएगा। उन्हें कई सम्मान और अवार्ड मिल चुके हैं। हाल ही में कलचुरी सेना के वरिष्ठ नागरिक मंच की ओर से कौशल राय और कल्पना राय ने उन्हें समाज रत्न का अवार्ड दिया था। इसके अलावा झांसी में भी कलचुरी समाज के कार्यक्रम में वंदना को विशेष सम्मान से नवाजा जा चुका है।

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शिवहरे वाणी से बातचीत में वंदना सूर्यवंशी ने कहा कि सेल्फ डिफेंस महिलाओं का बड़ा हथियार है। दो-तीन बार खुद की रक्षा करने में यह कला उनके बहुत काम आई है। वंदना इन दिनों अगली स्पर्धाओं में भाग लेने के लिए कड़ी मेहनत कर रही हैं। करें भी क्यों न, चाय के ठेले पर ही उनके ‘ख्वाबों की चाय’ भी खदकने लगी है, और उसकी खुश्बू अब दूर-दूर तक जा रही है।

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