January 30, 2025
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
वुमन पॉवर

आज की दुर्गा (3) वसुंधरा चौकसे जिनसे घबराते हैं पाकिस्तानी तस्कर

आज की दुर्गा (3) वसुंधरा चौकसे जिनसे घबराते हैं पाकिस्तानी तस्कर
शिवहरे वाणी नेटवर्क
तेरे माथे पे ये आंचल बहुत ही खूब है लेकिन
तू इस आंचल से एक परचम बना लेती तो अच्छा था।
शायर मजाज ने आजादी से पहले के दौर में इस नज्म के जरिये महिलाओं से समाज में एक मजबूत भूमिका में सामने आने का आह्वान किया था। तब से समाज में महिलाओं की स्थिति और भूमिका में बेशक बहुत बदलाव आया है। यहां तक कि हमारी सेनाओं में भी महिलाओं ने स्थान बना लिया है। यह बात दीगर है कि फौज में अभी भी महिलाओं को वो स्थान नहीं मिला है जिसकी वह हकदार है। खासकर भारत जैसे देश में, जिसकी वसुंधरा ने कई वीरांगनाओं को जन्म दिया है। आज शिवहरे वाणी के इस खास कॉलम में आपकी मुलाकात करा रहे हैं इंडियन कोस्टगार्ड की डिप्टी कमांडेंट वसुंधरा चौकसे से, जिन्होंने अपनी योग्यता, हिम्मत और बहादुरी से कोस्टगार्ड में कांबेट रोल (लडाकू भूमिका) में महिलाओं की एंट्री का मार्ग प्रशस्त किया है। वसुंधरा चौकसे वर्तमान में एक शिप की कमांडिंग ऑफीसर (सीओ) हैं और पाकिस्तान से लगी समुद्री सीमा पर निगरानी रखती है। उनके पुरुष साथी उनकी कमांड पर चलते हैं। वसुंधरा चौकसे  की उपलब्धि महिलाओं के लिए संदेश है, ‘सुंदर बनो, मजबूत बनो, शक्तिशाली बनो, निडर बनो और अपने सपनों की अहमियत समझो। ‘

img-admin
इंडियन कोस्टगार्ड ने 20 दिसंबर 2015 को पहली बार होवरक्रॉफ्ट पायलट ट्रेनिंग के लिए लेडी ऑफिसर्स को आमंत्रित किया था। आईटी से बीई वसुंधरा चौकसे ने अप्लाइ कर दिया। जनवरी 2016 में हुए एप्टीटयूट टेस्ट के आधार पर चार महिला ऑफिसर्स का चयन हुआ जिनमें से एक वसुंधरा चौकसे भी थी। होवरक्रॉफ्ट यानी लेडी ऑफिसर्स की ऑन शिप पोस्टिंग…पहली बार। वसुंधरा के लिए यह कल्पना ही रोमांचित कर देने वाली थी। लेकिन, ट्रेनिंग के बाद तैनाती की बात आई तो उन्हें लाजिस्टिक्समें लगाया गया। यह एक तरह से महिलाओं के प्रति पुरुषवादी माइंडसेट का नतीजा ही रहा होगा। अधिकारी सोचते थे कि यह एक टफ जॉब है, महिलाएं कैसे कर पाएंगी, कई बार ऐसी सिचुएशन बनती है कि शायद महिला पायलट उसे हैंडल न कर पाए। तब वसुंधरा ने अपने सीनियर अधिकारियों से लगातार डिस्कशन किए, दलीलें दी कि जब हमारी नियुक्ति पायलट के रूप मे हुई है, ट्रेनिंग भी पुरुष साथियों के साथ दी गई, ड्रेस भी वही है तो हमें कांबेट रोल क्यों नहीं दिया जाता है। धीरे-धीरे अधिकारियों को यह बात समझ में आई और वसुंधरा को होवर क्राफ्ट से तटों की निगरानी करने के मौके मिलने लगे। वसुंधरा हर मौके पर खरी उतरीं तो फिर उन्हें पूरी तरह एक शिप का कमांडिंग ऑफिसर बना दिया गया।

img-admin
वसुंधरा चौकसे के मुताबिक, महिलाओं को हर क्षेत्र में पुरुषवादी मानसिकता का सामना करना पड़ता है। कमांडिंग ऑफिसर बनने पर उनके सामने भी इस सोच ने बाधा खड़ी की। लेकिन वसुंधरा ने एक अलग रास्ता निकाला। उन्होंने सफाई करने वाले के साथ सफाई की, हैंडलिंग करने वाले के साथ हैंडलिंग की और इस तरह धीरे-धीरे सभी पुरुष साथी उनकी कमांड में सहज होने लगे। 

img-admin
वसुंधरा अब तक कच्छ क्षेत्र में ओखा में तैनात थीं और पाकिस्तान से लगे समुद्री क्षेत्र में निगरानी का जिम्मा उनके पास था। तटरक्षक बलों के लिए यह सबसे मुश्किल एरिया है क्योंकि पाकिस्तान के साथ हमेशा ही युद्ध जैसी स्थिति बनी रहती है। साथ ही समुद्री रास्ते से हथियारों की तस्करी की दृष्टि से भी यह खाड़ी संवेदनशील है। लेकिन इस कड़े इम्तिहान में भी वसुंधरा चौकसे पूरी तरह खरी उतरीं। अब उनका तबादला मुंबई कर दिया गया है, जहां उनकी प्रमुख जिम्मेदारी कोस्टगार्ड में आने वाली महिलाओं को ट्रेनिंग देने की होगी। 

img-admin

वसुंधरा चौकसे कहती हैं कि महिलाओं के लिए फौज में करियर बहुत चुनौतीपूर्ण होता है। लेडी ऑफिसर के रूप में खुद को साबित करने के लिए एक्स्ट्रा अफर्ट करने पड़ते हैं। लेकिन कुछ पाने की जिद और जुनून है, तो रास्ते अपने आप मिलने लगेंगे। बस मेहनत करो, विपरीत परिस्थितियों और मेल डॉमिनेंस को हावी मत होने दो। तब आप सपने को सच कर पाओगे।’  

img-admin

1000 घंटों से ज्यादा काम का रिकार्ड
गुजरात के सीएम विजय रूपाणी ने बीते महिला दिवस पर वसुंधरा को सम्मानित किया था। वसुंधरा ने होवरक्रॉफ्ट फिशिंग बोट में पेट्रोलिंग, स्मगलिंग के चेकिंग का काम 1000 घंटो से ज्यादा का किया है। इससे पहले कभी किसी महिला ने ऐसा इतिहास नहीं रचा।

img-admin
पिता का हर कदम पर सपोर्ट
वसुंधरा चौकसे ने शिवहरे वाणी को बताया कि उनकी कामयाबी में फैमिली का बड़ा सपोर्ट रहा है। मेरे पिताजी ओमप्रकाश चौकसे जी ने हमेशा हमें पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। वही बाइक से स्कूल छोड़ने जाते थे और फिर लेने भी जाते थे। उन्होंने बहुत मेहनत की है। हमने जो भी बनने की सोचा, उसमें उन्होंने कोई बाधा नहीं आने दी। उनकी वजह से ही छोटे से जिले नरसिंहपुर के कस्बा करेली से निकलकर वह यहां तक पहुंची हैं। 
वसुंधरा के परिवार से मिलिये 
वसुंधरा के पिता श्री ओमप्रकाश चौकसे पेशे से किसान हैं। कहा जाता है कि किसान का बेटा या तो किसानी करेगा या फौज में जाएगा। लेकिन ओमप्रकाश उन चुनीदा किसानों में हैं जिन्होंने अपनी बेटी को फौज में भेजा है। मां श्रीमती आभा चौकसे हाउसवाइफ हैं। वसुंधरा ने भोपाल सेंट फ्रांसिस हायर सेकंडरी स्कूल से हायर सेकंडरी की। एलएनसीटी कॉलेज से आईटी में इंजीनियरिंग की। एमबीए करते हुए उनका चयन कोस्ट गार्ड में हो गया। स्कूल कॉलेज में एनसीसी में एक्टिव रही। वहीं से फोर्स में जाने मिली प्रेरणा। छोटा भाई एनआईडी गुजरात में पढ़ाई कर रहा है। 

img-admin

मगर वसुंधरा को है इस बात का मलाल
शिवहरे वाणी से बातचीत में वसुंधरा चौकसे को इस बात पर अफसोस जताया कि सुरक्षाबलों में कलचुरी समाज की उपस्थिति लगभग नगण्य है। वसुंधरा ने कहा कि सेना में रहकर देश की सेवा से बेहतर भला क्या हो सकता है। उनकी दिली इच्छा है कलचुरी समाज के लोग आर्मी ज्वाइन करें और एक रेजीमेंट कलार के नाम पर भी हो।

img-admin

कलचुरी सेना के कार्यक्रम में की शिरकत
वसुंधरा चौकसे इन दिनों अवकाश पर घर आई हुई हैं। 18 मार्च को  हिन्दू नव-वर्ष (गुडीपडवा) के अवसर पर कलचुरी सेना के कार्यक्रम में उन्होंने गेस्ट के रूप में शिरकत की। समाज द्वारा आम-जन को लगभग 1500 “सकोरे” (भीषण गर्मी में पक्षियों को पानी पीने के लिए रखे जाने वाला पात्र) व लगभग 500 वृक्ष का वितरण किए, साथ ही- समाज द्वारा इस दिन मानव जीवन संरक्षण के लिए हेलमेट व सीट बेल्ट लगाने के संदेश के साथ बेटी बचाओ-बेटी पढाओ, पर्यावरण बचाओ का संदेश भी दिया गया। वसुंधरा ने कहा कि इस कार्यक्रम में भागीदारी का अनुभव शानदार रहा।

    Leave feedback about this

    • Quality
    • Price
    • Service

    PROS

    +
    Add Field

    CONS

    +
    Add Field
    Choose Image
    Choose Video