शिवहरे वाणी नेटवर्क
आगरा
‘सत्यम शिवमं सुंदरम’..अर्थात जो सत्य है वही शिव है, जो शिव है वही सुंदर है। विश्व कल्याण का भाव ही शिवत्व है। शिवत्व ही हिंदू धर्म का आधारभाव है। हिंदू धर्म में ऐसे तमाम लोग हैं जो नास्तिक हैं लेकिन शिव को फिर भी मानते हैं। ऐसे भी लोग हैं जो बहुत आस्तिक हैं और जिन्होंने अपना जीवन ही भगवान शिव की भक्ति में समर्पित कर दिया है। कुछ लोग शिव की भक्ति में साधु बन जाते हैं… अघोरी और नागाओं जैसे तपस्वी का जीवन जीते हैं। कुछ गृहस्थ रहते हुए भी ऐसे ही भाव से जीते हैं। महाशिवरात्रि के अवसर पर हम आपको बता रहे हैं कलचुरी समाज के कुछ ऐसे लोगों के बारे में जो भगवान शिव के अनन्य भक्त हैं, और जिन्होंने शिवत्व को अपने जीवन का मूल भाव बनाया है।
इनमें एक हैं इंदौर के पवन चौकसे। प्रेम आशा वेलफेयर सोसायटी के संरक्षक पवन चौकसे ने इंदौर के नंदा नगर में कुष्टाश्रम की स्थापना की है और इस कुष्टाश्रम के प्रांगण में ही भगवान शिव का मंदिर भी स्थापित किया है जिसे श्री मनोकामेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है।
मंगलवार 13 फरवरी को जिस समय यह समाचार लिखा जा रहा है, उस समय पवन चौकसे की ओर से इस मंदिर में भव्य शिवलिंग महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। 14 फरवरी को महाशिवरात्रि पर सुबह के समय रुद्राभिषेक और शाम को भजन संध्या व महाआरती व प्रसाद वितरण किया जाएगा। पवन चौकसे निरंतर कल्याणकारी कार्यों में भागीदार शिवभक्त होने की जिम्मेदारी निभाते रहते हैं।
इसी तरह आगरा के अतुल शिवहरे हैं। महज 31 साल की उम्र में सभी ज्योतिर्लिंगों के साथ ही प्रमुख धामों और शक्तिपीठों की यात्रा कर चुके हैं। कैलाश मानसरोवर को छोड़ कर भगवान शिव का ऐसा कोई स्थान नहीं जहां वह न गए हों। जीवन में शिवत्व को आत्मसात करने का ही परिणाम है कि अतुल शिवहरे कल्याणकारी कार्यों में अग्रणी भूमिका निभाते रहे हैं। आगरा के वृद्धाश्रमों, अनाथालयों के अलावा विकलांगों के लिए कार्य करते रहे हैं। नियमित रूप से रक्तदान करते हैं। पूरे सावन माह में व्रत रखते हैं और इस दौरान आगरा के कई शिवालयों में बूटी चढ़ाने का जिम्मा भी उनका होता है। अतुल हर माह महाकाल के दर्शन के लिए जाते हैं। उन्होंने अपने शरीर में कई जगह भगवान शिव के टैटू भी गुदवा रखे हैं। आगरा में ट्रांसयमुना निवासी अतुल शिवहरे इस वर्ष कैलाश मानसरोवर की यात्रा करने की प्लानिंग कर रहे हैं।
आगरा के कलचुरी समाज में शिवभक्तों की बात की जाए तो उनमें नाई की मंडी निवासी जाने-माने समाजसेवी श्री सतीश शिवहरे (ठेकेदार) का नाम लिए बिना बात अधूरी ही रहेगी। साथ ही श्री बिजनेश शिवहरे को भी नहीं भूला जा सकता, जो रावली मंदिर में नियमित सेवादारी करते हैं।
शिव एक जीवनशैली है। भोले बाबा का अनन्य भक्त कुछ अदभुत शक्तियों का स्वामी हो जाता है और वही शक्तियां उसकी ताकत होती है। मसलन- शिवभक्त के मन से मृत्यु का भय चला जाता है। शिव की उपासना करने वालों की इच्छाएं खत्म होने लगती है और वे आत्मिक रूप से सुखी और खुशहाल हो जाते है। उसमें इंसान को पहचानने और बुरे समय को भांपने की क्षमता जागृत होती है। यही कारण है कि शिव आज के पढ़े-लिखे आधुनिक सोच वाले युवाओं को भी आकर्षित करते हैं। शिव की भक्ति अनंतकाल से चली आ रही है और अनंत तक रहेगी।
Leave feedback about this