November 23, 2024
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
शिक्षा/करियर

श्योर शॉटः SORRI को एप्लाइ करें और बोर्ड एग्जाम में पाएं 100/100 रिजल्ट

शिवहरे वाणी नेटवर्क

आगरा।

भविष्य तय करने में हाईस्कूल और इंटरमीडियेट की परीक्षाएं बेहद अहम होती हैं। इन दिनों सीबीएसई, आईसीएसई और स्टेट सेकेंडरी एजुकेशन बोर्डों की परीक्षाएं होने वाली हैं या हो चुकी हैं। इन परीक्षाओं में कई बार विद्यार्थी को कड़ी मेहनत करने के बाद भी योग्यता के मुताबिक नंबर नहीं मिल पाते। इसके पीछे कहीं न कहीं हमारा लर्निंग सिस्टम दोषपूर्ण हो सकता है। मैमोरी गुरू के नाम से विख्यात विश्वस्वरूप राय चौधरी ने अपनी पुस्तक 4th Idiot कुछ ऐसी टिप्स दी हैं जिनकी मदद से आप अपनी मेहनत के पूरे नंबर पा सकते हैं। शिवहरे वाणी इस पुस्तक के आधार पर ऐसा ही एक फार्मूला प्रस्तुत कर रही हैं जो विद्यार्थियों के बहुत कारगर साबित हो सकता है।

इसके लिए आपको एक शब्द याद रखना होगा। वह है SORRI…। सॉरी तो हम बात-बात पर बोलते हैं, लेकिन इसकी स्पेलिंग डिफरेंट है। दरअसल यह पांच बेहद महत्वपूर्ण बातों को याद रखने का आसान तरीका है। वे महत्वपूर्ण बातें निम्न हैः-

S= Spaced Learning (स्पेस्ड लर्निंग)

O=Over Learning Pricipal (ओवर लर्निंग प्रिंसिपल)

R= Revision Plan (रिविजन प्लान)

R= Reintegration Law (रिइंटीग्रेशन लॉ)

I=Interference Law (इटरफरेंस लॉ)

आइये अब थोड़ा विस्तार से जानते हैः-

Spaced Learning (स्पेस्ड लर्निंग)

अधिकतर विद्यार्थी अपने पढ़ने के समय पर ध्यान नहीं देते हैं। उचित समय पर ब्रेक लेने से हम किसी टॉपिक को बेहतर तरीके से समझ पाते हैं। स्टडी टाइम की योजना के लिए स्पेस्ड लर्निंग का प्रयोग करना चाहिए, जिसे निम्न बिंदुओं से समझ सकते हैः-

  1. थ्योरी वाले विषय को लगभग 40 मिनट पढ़ें और फिर 10 मिनट तक ब्रेक लें।
  2. गणित व विज्ञान जैसे तार्किक विषय 60 मिनट तक पढ़ सकते हैं।
  3. ब्रेक के दौरान आप संगीत सुन सकते हैं, चहलकदमी कर सकते हैं। या खुद को रिलेक्स रखने के लिए कुछ हल्की एक्सरसाइज कर सकते हैं।
  4. ब्रेक एक पिलर की तरह काम करते हुए सीखी हुई सामग्री को थामे रहता है।

Over Learning Pricipal (ओवर लर्निंग प्रिंसिपल)

किसी विषय को याद करने में घंटों लगाने के बावजूद हम रिविजन करने में भी काफी समय लगा लेते है। इसे ओवर लर्निंग कहते हैं। इसका समाधान आप निम्न तरीके से करें-

  1. कोई भी टॉपिक याद करें। (तब तक, जब तक कि आपको याद होने का इत्मिनान न हो जाए) अब याद करने में लगे समय को ध्यान में रखें।
  2. उस टॉपिक को याद करने में जितना समय लगा है, उसके रिविजन में उसका 1/3 समय लगाएं।
  3. इससे रिविजन में काफी समय बचेगा। साथ ही उस विषय को याद करने की क्षमता में भी सुधार होगा और परीक्षा के दौरान झटपट याद आने में भी सहायक होगा।

Revision Plan (रिविजन प्लान)

कई ऐसे छात्र हैं जो पूरा साल पढ़ते हैं लेकिन परीक्षा से पहले उन्हें सब कुछ फिर से याद करना पड़ता है। उन्होंने जो भी सीखा है, उसे याद नहीं रख पाते हैं। इसका जादुई समाधान है जो वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित भी हो चुका है। इसे दो चरणों में बांट सकते हैः-

  1. पहला चरणः  कोई भी टॉपिक याद करने के 24 घंटे के अंदर उसका पहला रिविजन हो जाना चाहिए, ताकि उसे बेहतर तरीके से याद रखा जा सके। (याद रहे कि पहली बार याद करने के 24 घंटे के भीतर भूलने का पहला चरण शुरू हो जाता है।)
  2. दूसरा चरणः दूसरा रिविजन सात दिनों में होना जरूरी है। (बात दें कि पहले रिविजन के बाद सूचना एक सप्ताह तक याद रहती है।) इसके बाद रिविजन का अंतराल बढ़ाते जाएं। चौथे-पांचवे रिविजन पर आपको लगेगा कि यह तो आपकी टिप्स पर आ गया है। इसे ही हम घोंटकर पीना कहते हैं। इस प्रक्रिया से याददाश्त भी काफी तेज और सटीक हो जाती है।

Reintegration Law (रिइंटीग्रेशन लॉ)

क्या प्रश्न-पत्र देखते ही आपका दिमाग खाली हो जाता है? क्या आपको कुछ निश्चित प्रश्नों के उत्तर याद करने में कठिनाई होती है? यदि हां, तो आप रिइंटीग्रेशन लॉ को समझें। परीक्षा भवन में कोई उत्तर याद न आए तो निम्न बिंदुओं पर ध्यान देः-

  1. एकाग्र हों और उस माहौल में जाएं जहां आपने उसे याद किया है।
  2. मानसिक चित्रण करें कि आप उस किताब का पन्ना खोल रहे हैं और उसे मन ही मन पढ़ने की कोशिश कर रहे हैं।
  3. बहुत संभावना है कि कुछ ही सेकेंड में आप मनचाही जानकारी प्राप्त करने में सफल हो जाएंगे।

Interference Law (इटरफरेंस लॉ)

परीक्षा के दौरान आप कई घंटे पढ़ाई करते हैं तो दिमाग में सबकुछ गड्ड-मड्ड हो जाता है और आप भ्रम में पढ़ जाते हैं। ऐसा अक्सर होता है। इनसे बचने के लिए आप निम्न बिंदुओं पर ध्यान देः-

  1. आपको पूरे दिन एक ही विषय नहीं पढ़ना चाहिए।
  2. पढ़ने के समय को बांट लें, अलग-अलग समय में अलग-अलग विषय को पढ़ें।
  3. लॉजिक और थ्योरी से जुड़ी चीजें बारी-बारी पढ़ें। जैसे-इतिहास के बाद गणित, हिन्दी के बाद विज्ञान। कभी भी गणित और विज्ञान को एकसाथ न पढ़ें। इसी तरह हिंदी और इतिहास भी एकसाथ न पढ़ें।

 

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