November 23, 2024
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
शिक्षा/करियर

एक साधारण किसान का बेटा बन गया डिप्टी कलक्टर, विजय से सीखें हालात पर विजय पाने का हुनर

शिवहरे वाणी नेटवर्क
सीहोर
भोपाल के निकट सीहोर के विजय राय अपने क्षेत्र में युवाओं के लिए आइकन बन गए हैं। एक साधारण किसान परिवार में जन्मे विजय राय ने महज 22 वर्ष की आयु में मध्य प्रदेश प्रशासनिक सेवा परीक्षा में शानदार कामयाबी हासिल की है। उन्हें डिप्टी कलक्टर पद पर नियुक्ति मिली है और जल्द ही पोस्टिंग मिलने वाली है। विजय का लक्ष्य अब आईएएस बनना है। विजय का कहना है कि जो भी काम लगन और प्रेरणा से किया जाएगा, उसमें सफलता अवश्य मिलेगी। उनकी कामयाबी का भी यही राज है। 
विजय राय के पिता श्री रमेश राय किसान हैं, और मां श्रीमती रुक्मणी राय गृहणी। विजय की शिक्षा-दीक्षा सीहोर में ही हुई। पिता आर्थिक मजबूरियों के चलते माध्यमिक तक ही पढ़ सके थे लेकिन अपने बेटे की पढ़ाई-लिखाई में किसी अभाव को उन्होंने आड़े नहीं देना दिया। विजय ने नवीं कक्षा से ही निश्चय कर लिया था कि उन्हें प्रशासनिक सेवा मे जाने है और इसी लिहाज से पढ़ाई के साथ-साथ उसकी तैयारी भी करते रहे। इतिहास और राजनीतिक विज्ञान जैसे विषयों के साथ उन्होंने स्नातक किया। इस दौरान अपने शिक्षकों से विभिन्न विषयों पर निरंतर चर्चा करते रहे। एक स्थानीय कोचिंग इंस्टीट्यूट भी ज्वाइन किया। पिता रमेश राय ने बेटे की ललक को पहचान लिया और भारी आर्थिक तंगी के बाद भी बेटे को कोचिंग के लिए दिल्ली भेजा। विजय ने दिल्ली में करीब डेढ़ साल कोचिंग ली और वहीं रहते हुए एमपीपीएससी परीक्षा का फार्म भी भरा। इसी दौरान व्यापमं से असिस्टेंट ग्रेड-2 भर्ती निकली तो विजय ने वहां भी एप्लाई कर दिया। वह जानते थे कि पहले नौकरी पानी जरूरी है, ताकि पिता को कुछ राहत मिले सके। दोनों परीक्षाएं लगभग एक ही समय में हुईं। असिस्टेंट ग्रेड-2 की परीक्षा मे विजय ने सफलता हासिल की और बीते वर्ष सितंबर में उन्हें लोकल फंड डायरेक्टोरेट सतपुड़ा भवन, भोपाल में पोस्टिंग मिली। अब एमपीपीएससी का रिजल्ट भी सामने है। विजय डिप्टी कलक्टर बन गए हैं। कुछ दिनों में उन्हें पहली पोस्टिंग मिल जाएगी। 
लेकिन, विजय के लिए यह भी कोई अंतिम मंजिल नहीं है। जैसा कि विजय ने शिवहरे वाणी को बताया कि अब उनका लक्ष्य आईएएस की परीक्षा है। फिलहाल वह हिंदी से स्नातकोत्तर यानी एमए कर रहे हैं। वह अपनी सफलता का पहला श्रेय अपने माता-पिता को देते हैं जिन्होंने स्ट्रगल करके उन्हें पढ़ाया-लिखाया। फिर अपने कालेज और कोचिंग के शिक्षकों को श्रेय देते हैं, जिनके मार्गदर्शन से वह यहां तक पहुंचे है। 
 

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