जबलपुर में दर्दनाक घटना, पति को था चरित्र पर शक,
पेट में पल रहे बच्चे को अपना मानना से किया था इनकार
शिवहरे वाणी नेटवर्क
जबलपुर। (08/01/2018)
कहते हैं कि शक का इलाज तो हकीम लुकमान के पास भी नहीं था। शक लोगों के वैवाहिक जीवन में जहर घोल देता है। यह घटना वैवाहिक जीवन में शक का जहर घुलने की बेहद दुखद परिणति है। थाना कुरई के पुलिसकर्मी भी भौंचक रह गए जब एक महिला अपने भ्रूण को डिब्बे रखकर आई और भ्रूण का डीएनए टेस्ट कराने की मांग की, ताकि पति के सामने खुद को बेदाग साबित कर सके और भरोसा दिला सके कि उसे पेट में पल रहे बच्चे का पिता वही था। थाने में फरियाद नहीं सुनी गई तो महिला ने एएसपी से मुलाकात कर अपनी व्यथा बताई। एएसपी के निर्देश पर पुलिस ने भ्रूण को कब्जे में ले लिया है, अब डाक्टरी सलाह के बाद उसका परीक्षण कराया जाएगा। भ्रूण दो महीने का बताया जा रहा है।
जानकारी के मुताबिक, जबलपुर की रीता शिवहरे का विवाह 8 महीने पहले जिले के ही कुरई क्षेत्र के गांव खवास निवासी पंकज शिवहरे से हुआ था। कुछ महीने दोनों साथ रहे, इस दौरान रीता गर्भवती हो गई। इसके बाद पति ने उसके चरित्र पर लांछने लगाते हुए गर्भ में पल रहे बच्चे को अपना मानने से इंकार कर दिया, और एक दिन उसे उसके मायके छोड़ गया। एएसपी को रीता ने बताया कि 26 दिसंबर को वह जबलपुर से अपने पिता व रिश्तेदार के साथ ससुराल आई। बात-चीत में दोनों पक्षों के बीच मारपीट हो गई, इस दौरान उसके गर्भ को भी चोट पहुंची। मामले में एसपी के दखल के बाद निजी अस्पताल में पीड़िता का गर्भपात किया गया। महिला ने भ्रूण को डिब्बे में रखवा लिया और डीएनए जांच कराने कुरई थाने ले आई।
(यह स्टोरी बीती 8 जनवरी को शिवहरे वाणी ने प्रकाशित की थी जो तकनीकी खराबी के कारण आप तक शायद न पहुंची हो। इसलिए इसे दोबारा प्रसारित किया किया गया है।)
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