by Som Sahu December 06, 2017 धरोहर 130
- भोपाल के श्याम नारायण चौकसे ने याचिका में उठाया राजघाट में अव्यवस्थाओं का मसला
- दिल्ली हाईकोर्ट का सख्त रुख, चौकसे के वकील से राजघाट का जायजा लेने को कहा
- चौकसे की याचिका पर ही सुप्रीम कोर्ट ने दिया था सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाने का आदेश
शिवहरे वाणी नेटवर्क
नई दिल्ली /भोपाल
सिनेमाघरों में राष्ट्रगान के सम्मान की लड़ाई लड़ने को लेकर चर्चित रहे गांधीवादी श्री श्याम नारायण चौकसे की एक अन्य याचिका पर अदालत ने गंभीर रुख अख्तियार किया है। दिल्ली हाईकोर्ट ने महात्मा गांधी की समाधि राजघाट पर रखे दान पात्र को लेकर फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा, ‘ये राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का अपमान है।’
भोपाल निवासी श्री चौकसे ने अपनी याचिका में राजघाट पर अव्यवस्थाओं का मामला उठाया है। उनका कहना है कि राजघाट का सही से रखरखाव नहीं हो रहा है। हर तरफ गंदगी फैली है, टाइलें टूटी टूटी हैं और गंदी भी हैं। याचिका में श्री चौकसे ने दावा किया है कि वह 2014 से हर साल बापू की समाधि के दर्शन के लिए राजघाट जाते हैं, लेकिन इस साल हालात काफी काफी खराब हैं।
कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश जस्टिस गीता मित्तल और जस्टिस सी हरिशंकर की बेंच ने याचिका पर सुनवाई करते हुए राजघाट समाधि कमेटी से पूछा है कि दान पात्र किसने लगवाया है और उसमें जमा होने वाला पैसा कहां जाता है। सेंट्रल पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट ने कोर्ट को बताया कि यह दान पात्र हरिजन सेवक संघ ने लगाया है। इस संस्था की शुरुआत खुद गांधी जी ने ही की थी और इसमें जमा होने वाला पैसा इस संस्था को ही दिया जाता है। कोर्ट ने कहा, ‘क्या हम उन्हें यह सम्मान दे रहे हैं, यह उचित नहीं है। दान पात्र को समाधि पर नहीं रखा जाना चाहिए। समाधि का सम्मान होना चाहिए और उसकी सही देखभाल होनी
कोर्ट ने श्री चौकसे के वकील को खुद राजघाट की देखभाल और सुविधाओं का जायजा लेने और सेंट्रल पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट के चीफ इंजीनियर को बताने के लिए कहा है। चीफ इंजीनियर इन्हें ठीक करवाएगा। कोर्ट ने सुविधाओं से जुड़ी शिकायतों को जल्द सुनने और उनका निपटारा करने का निर्देश राजघाट समाधि कमेटी को दिया है। मामले की अगली सुनवाई 30 जनवरी को होगी, उससे पहले ही पूरी रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।
बता दें कि श्री श्याम नारायण चौकसे वह व्यक्ति हैं जिनकी वजह से सुप्रीम कोर्ट ने सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाने का आदेश दिया था। भोपाल के इस बुज़ुर्ग गांधीवादी ने इसके लिए लंबी क़ानूनी लड़ाई लड़ी थी। हालांकि इस साल अक्टूबर ने सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश को वापस लेते हुए राष्ट्रगान के सम्मान में खड़े होने को वैकल्पिक कर दिया। अदात ने कहा था कि देशभक्ति साबित करने के लिए सिनेमाघरों में राष्ट्रगान के समय खड़ा होना जरूरी नहीं हैं।
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