November 23, 2024
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
शिक्षा/करियर

दसवीं के छात्र प्रारब्ध शिवहरे ने एफएसएसएआई से कराया भूल सुधार, खाद्य पदार्थों पर होगी नई लेबलिंग

by Som Sahu December 05, 2017  घटनाक्रम 331

  • इंदौर के चिकित्सक दंपति डा. राकेश शिवहरे एवं डा. श्रीमती रुचि शिवहरे के पुत्र हैं प्रारब्ध
  • एफएसएसएआई ने प्रारब्ध को पत्र लिखकर मानी चूक, जल्द बदली जाएंगी गाइडलाइंस
  • अब लाल-हरे निशान के बजाय वेज के लिए वी और नानवेज के लिए एनवी अंकित होगा

शिवहरे वाणी नेटवर्क

इंदौर।

विद्यार्थी या शिक्षार्थी का काम शिक्षा अर्जन करना होता है। लेकिन अच्छा विद्यार्थी या शिक्षार्थी वह है जो अर्जित शिक्षा को व्यवहारिक जीवन में लागू करता है, एप्लाई करता है। और, इस लिहाज से इंदौर के प्रारब्ध शिवहरे ने एक अनूठी उपलब्धि हासिल की है। दसवीं के छात्र प्रारब्ध शिवहरे ने भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) का ध्यान एक महत्वपूर्ण बिंदु की ओर आकृष्ट करते हुए खाद्य पदार्थों पर वेज और नॉनवेज के लेबलिंग सिस्टम को चुनौती दी है। मजे की बात यह है कि एफएसएसएआई ने प्रारब्ध की आपत्ति को स्वीकार किया और उसके दिए सुझाव के आधार पर लेबलिंग सिस्टम को बदलने की तैयारी कर  रहा है।

इंदौर के जाने-जाने चिकित्सक दंपति डा. राकेश शिवहरे एवं डा. श्रीमती रुचि शिवहरे के होनहार पुत्र प्रारब्ध शिवहरे ने एफएसएसएआई के अध्यक्ष को भेजे पत्र में लिखा था कि हमारे देश में वर्णांधता यानी कलर ब्लाइंडनेस के मामले बढ़ रहे हैं। कलर ब्लाइंडनेस से पीडित मरीज रंगों में जल्दी अंतर नहीं कर पाता, इसे कलर विजन डेफिशियेंसी कहते हैं। एक अनुमान के मुताबिक, देश में 8 फीसदी आबादी इससे प्रभावित है। खाद्य पदार्थों के लेबल पर वेज यानी शाकाहारी की पहचान के लिए हरे रंग का और नॉनवेज यानी मांसाहारी की पहचान के लिए लाल रंग का डॉट लगा होता है। प्रारब्ध ने पत्र में बताया कि वर्णांधता यानी कलर ब्लाइंडनेस से पीड़ित व्यक्ति को रंग पहचानने में दिक्कत होती है। खासतौर पर लाल-हरे और नीले-पीले को पहचानने में अधिक समस्या होती है, और वे जल्दी अंतर नहीं कर पाते हैं। इसलिए लेबलिंग के लिए रंग के बजाय कोई और  प्रतीक लिया जाना चाहिए।

एफएसएसएआई ने प्रारब्ध की ओर से वैज्ञानिक आधार पर उठाई गई आपत्ति को गंभीरता से लिया है। डा. राकेश शिवहरे ने शिवहरे वाणी को बताया कि एफएसएसएआई ने प्रारब्ध को एक पत्र भेजा जिसमें माना कि इस समस्या की ओर उनका ध्यान नहीं गया था। साथ ही इस बारे में नई गाइडलाइंस जारी करने का आश्वासन दिया है जिसके तहत खाद्य पदार्थों के पैकेट्स पर लाल-हरे डॉट्स अथवा निशान के बजाय अब वीऔर एनवीशब्द का प्रयोग किया जाएगा। वी यानी वेजिटेरियन (शाकाहारी), और एनवी यानी नॉन-वेजिटेरियन (मांसाहारी)। एफएसएसएआई ने बताया कि जल्द ही इस बारे में एक ड्राफ्ट लाया जाएगा।

 

प्रारब्ध के पिता डा. राकेश शिवहरे सर्जिकल गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट (जठरांत्ररोग विशेषज्ञ) हैं, जबकि मां डा. रुचि शिवहरे स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं। फिर भी मेडिकल लाइन में प्रारब्ध की फिलहाल रुचि नहीं दिखती। जैसा कि  डा. राकेश शिवहरे कहते हैं, उसकी जहां रुचि होगी वहीं जाएगा। फिलहाल रुझान सोशल सर्विसेज में अधिक है। स्वच्छता को लेकर खासतौर पर वह लोगों को सीख देता रहता है। प्रारब्ध के चाचा श्री कल्याण शिवहरे भाजपा शिक्षा प्रकोष्ठ के मध्य प्रदेश इकाई के उपाध्यक्ष हैं।

 

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