फीरोजाबाद।
फिरोजाबाद की डा. शिवा गुप्ता (शिवहरे) ने लखनऊ के प्रतिष्ठित किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज (केजीएमसी) में भी कामयाबी के झंडे गाड़ दिए हैं। आगामी 17 दिसंबर को केजीएमसी के दीक्षांत समारोह में उन्हें चार गोल्ड मैडल्स से नवाजा जाएगा। ये गोल्ड मैडल उन्हें एमबीबीएस प्रथम वर्ष में विभिन्न विषयों में सर्वाधिक अंक लाने के लिए दिए जाएंगे।
फीरोजाबाद में महावीर नगर निवासी श्री संजय गुप्ता (शिवहरे) एवं श्रीमती रूपल शिवहरे की होनहार बेटी शिवा ने एमबीबीएस द्वितीय वर्ष की छात्रा हैं। एमबीबीएस प्रथम वर्ष की परीक्षा में उन्होंने ओवरऑल सर्वाधिक अंक हासिल किए थे, जिसके लिए केजीएमसी के दीक्षांत समारोह में उन्हें डा. धरम नारायण गोल्ड मैडल प्रदान किया जाएगा। इसके अलावा फिजियोलॉजी, एनाटॉमी और बायोकेमिस्ट्री में भी उन्होंने सर्वाधिक अंक अर्जित किए जिसके लिए उन्हें गुलाम हुसैन आईएएस मैडल, प्रो. सुरेंद्र एस. परमार मैडल और डॉ. बुरीज मैडल से भी नवाजा जाएगा। शिवहरेवाणी से बातचीत में डा. शिवा गुप्ता ने बताया कि वह हर क्लास के बाद पढ़ाए टॉपिक को रिवाइज करती हैं और फिर फ्रेंड्स के साथ उस पर डिस्कस करती हैं, ताकि विषय के हर पहलू पर अपनी समझ को और बेहतर बना सकें। वह एक कुशल कार्डियोलॉजिस्ट के रूप में समाज की सेवा करना चाहती हैं, ताकि उन लोगों की सहायता कर सकें जो पैसों के अभाव में उपयुक्त उपचार नहीं करा पाते। शिवा के पिता श्री संजय गुप्ता का कहना है कि वह स्वयं भी बेटी को गोल्ड मैडल लेते हुए देखना चाहते हैं, और इसीलिए 17 दिसंबर को दीक्षांत समारोह में जाने का प्रयास करेंगे।
वर्ष 2017 में इंटरमीडियेट की परीक्षा 90 प्रतिशत अंकों से पास करने वाली सुश्री शिवा गुप्ता ने मेडिकल एंट्रेस परीक्षा में डबल धमाका किया था। नीट-2019 में उन्होंने सफलता हासिल कर केजीएमसी में एडमिशन लिया, जबकि एम्स एंट्रेस परीक्षा में भी उन्हें जनरल रैंक 1101 मिली थी। शिवहरे वाणी से बातचीत में शिवा ने कहा कि पापा खुद भी डाक्टर बनना चाहते थे, लेकिन किन्हीं कारणों से वह ऐसा नहीं कर पाए। पापा ने ही उसे डाक्टर बनने का सपना दिखाया, जो आज उसे साकार करने में जुटी हैं। शिवा पापा को अपनी सबसे बड़ी इंस्प्रेशन (प्रेरणा) और मम्मी को सबसे बड़ी मोटीवेटर मानती है।
शिवा का कहना है कि समाज को ऐसे चिकित्सकों की जरूरत है जो बिना किसी लालच के पूरे सेवाभाव से मरीजों का उपचार करें। गरीब बीमार पड़ता है तो ठीक से उपचार नहीं करा पाता। शिवा ने सोचा है कि वह एमबीबीएस के बाद पीजी करेगी, फिर सुपर स्पेशलाइजेशन भी करना है। वह खुद की क्लीनिक खोलना चाहती है जहां दिन की एक निश्चित अवधि में गरीबों का निःशुल्क उपचार कर सके।
डाक्टर बनने का सपना देखने वाले स्टूडेंट्स के लिए शिवा गुप्ता की सलाह यह है कि मेडिकल एंट्रेंस परीक्षाओं की तैयारी एनसीईआरटी ओरियेंटेड हो, यानी फिजिक्स, कैमिस्ट्री और बायोलॉजी जैसे विषयों की तैयारी एनसीईआरटी की किताबों से करना बेहतर है। वह कहती हैं कि हम बाजार से नामी-गिरामी राइटर्स की मोटी-मोटी किताबें खरीद लेते हैं लेकिन एनसीईआरटी की किताबों के कंटेट्स बेजोड़ होते हैं। शिवा के छोटे भाई विभू को भी बहन की सफलता ने प्रेरित किया है और आईएएस बनने के उसके इरादे को मजबूती दी है। विभू सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा है।
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