November 21, 2024
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
साहित्य/सृजन

गधाप्रसाद से घंटेश्वर प्रसाद: छा गया आगरा का जीतू शिवहरे; धूम मचा रही है उनकी फिल्म ‘उर्फ घंटा’

आगरा।
आगरा के ताजगंज की तंग गलियों से निकले अभिनेता जीतू शिवहरे की नई फिल्म ‘उर्फ घंटा’ को समीक्षकों और  दर्शकों की शानदार प्रतिक्रिया मिल रही है। यह फिल्म shemraoome.com पर उपलब्ध है औऱ स्टार्म द्वारा इसे ओटीटी पर लाया गया है। फिल्म की आईएमबीडी रेटिंग भी बहुत अच्छी जा रही है। खास बात यह है कि फिल्म की कहानी खुद जीतू शिवहरे ने लिखी है और इस तरह यह  फिल्म लेखक के रूप में यह उनकी शानदार शुरूआत भी है। 
फिल्म का मुख्य पात्र घंटेश्वर प्रसाद उर्फ घंटा है। घंटेश्वर नाम इसलिए रखा है कि उसके जन्म में मंदिर के घंटे का अहम योगदान है। घंटेश्वर के माता-पिता की पहली मुलाकात एक मंदिर में होती है जहां मंदिर का घंटा बजाते में संयोग से दोनों के हाथ टच हो जाते हैं और यहीं से दोनों में प्यार शुरू होता है,  फिर शादी के बाद उसका जन्म होता है। माता-पिता ने इसे मंदिर के उस घंटे की देन माना जहां से उनके प्यार की शुरूआत हुई और इसीलिए उसका नाम घंटेश्वर प्रसाद रख दिया। घंटेश्वर के बचपन में ही मां का साया छिन जाता है। घंटेश्वर इतना सीधा और भोला है कि लोग उसे घंटा कहकर बुलाने लगे, उसके सीधेपन का मजाक उड़ाते। घंटेश्वर जवान होता है और इस किरदार को निभाया है जीतू शिवहरे ने। घंटेश्वर प्रसाद चाहता है कि उसकी भी शादी हो। उसे ऐसी पत्नी मिले जो उसे मां का प्यार भी दे सके जिससे वह वंचित रहा है। लेकिन घंटेश्वर का सीधापन उसकी शादी में अड़चन बन जाता है। इस तरह रोचक घटनाक्रमों के साथ कहानी आगे बढ़ती है और सुखद अंजाम पर पहुंचती है। आयुष सक्सेना के डायरेक्शन  में बनी यह फिल्म दर्शकों को बांधे रखने में सफल है। फिल्म को मिली देवेंद्र राय और शशि राधेश्याम महाजन ने प्रोड्यूस किया है।
फिल्म में रवि किशन, राजेंद्र गुप्ता, मोहन कपूर जैसे सशक्त अभिनेताओं के बीच जीतू शिवहरे ने अभिनय की छाप छोड़ी है। जीतू शिवहरे की खास बात यह है कि वह किरदार में डूब जाते हैं और इसीलिए उनके किरदार उनसे कहीं अधिक लोकप्रिय हो जाते हैं। मसलन टीवी सीरियल चिड़ियाघर में जीतू शिवहरे ने गधाप्रसाद की भूमिका की और यह किरदार इतना लोकप्रिय हुआ कि लोग उन्हें गधाप्रसाद कहकर संबोधित करने लगे। अब उनकी घंटेश्वर प्रसाद की भूमिका उनकी गधाप्रसाद की पहचान को शिफ्ट कर सकती है। 
यहां एक महत्वपूर्ण बात यह है कि फिल्म के निर्माण के लिए जीतू शिवहरे ने जो संघर्ष किया है, वह बहुत कम लोग ही जानते होंगे। जीतू शिवहरे ने अपनी इस कहानी पर फिल्म बनाने की ठानी तो ऐसा सोचने वाले वह अकेले व्यक्ति थे। इसके बाद जीतू अपनी कहानी को लेकर कई उद्योगपतियों से मिले, काफी मशक्कत के बाद अंततः उन्हें कामयाबी मिली और आज अपना सपना साकार कर लिया। 
जीतू शिवहरे कहते हैं कि यह महज एक फिल्म नहीं है बल्कि उनके लिए एक शानदार सफर है। फिल्म बनने की पूरी प्रक्रिया में हमने बड़े मजे किए और बहुत कुछ सीखा भी। भारतीय दर्शकों को आम भारतीय कहानियां पसंद हैं जिनमें जीवन की छोटी-बड़ी समस्याएं और उनसे संघर्ष का चित्रण होता है। फिल्म का कंटेन्ट आम दर्शकों से जुड़ता है, घंटेश्वर प्रसाद ऐसा किरदार है जो हर व्यक्ति को अपने आपसापस या मोहल्ले में मिल ही जाएघा। मुझे खुशी है कि इसे खूब पसंद किया जा रहा है। फिल्म के लिए दर्शकों की स्वीकृति सबसे मूल्यवान है और दर्शकों की स्वीकृति हमें और बेहतर फिल्म बनाने के लिए प्रेरित करती है। फिल्म रिलीज होने के बाद मेरे फोन की घंटी थमने का नाम नहीं ले रही है और वह घंटेश्वर प्रसाद के प्यारे किरदार को निभाकर धन्य महसूस कर रहे हैं। 
जीतू शिवहरे का परिवार आगरा में ताजगंज में रहता है। बाबा कपूर गली में उनका घर है जहां उनके पिता श्री जगदीश शिवहरे और माताजी के साथ भाई श्री दिलीप शिवहरे ‘पप्पू’ का परिवार रहता है। जीतू शिवहरे अपनी पत्नी श्वेता जायसवाल  के साथ मुंबई में रहते हैं। श्री जगदीश शिवहरे बताते हैं कि वह जीतू के लिए फैक्ट्री लगाना चाहते थे लेकिन मजबूत संकल्प शक्ति वाले जीतू शिवहरे अभिनेता बनना चाहते थे, और उन्होंने अपना सपना पूरा कर लिया। 
 

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