बुरहानपुर।
बेटियो को समाज में बेटों की बराबरी का मान-सम्मान दिलाने के लिए चलाए जा रहे तमाम सरकारी व गैर-सरकारी अभियान का असर यह हुआ है कि लोग अब बेटी के जन्म पर की भी खुशी मनाते हैं। नेपानगर के एक चौकसे परिवार ने तो कमाल ही कर दिया, परिवार में बेटी के जन्म की खुशी में दिवाली से पहले ही दिवाली मना ली। घर को फूलों से सजा दिया, ढोल-बाजों और आतिशबाजी के साथ ‘लक्ष्मी ’ का स्वागत किया।
नेपानगर मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले की एक प्रमुख औद्योगिक नगरी है जो अखबारी कागज बनाने की मिलों के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन इन दिनों यह नगर यहां के प्रतिष्ठित मीडियाकर्मी श्री नरेश चौकसे (पुत्र स्व. श्री अशोक चौकसे) के परिवार की वजह से चर्चा में है। नरेश चौकसे के छोटे भाई श्री विजय चौकसे की बेटी मनुश्री का जन्म 3 महीने पहले अमरावती के मोर्शी कस्बे में अपनी नानी के यहां हुआ था। बीते शनिवार को पहली बार अपने घर आ रही थी। नवजात मनुश्री की दादी श्रीमती अंजू चौकसे, ताऊजी श्री नरेश चौकसे और ताईजी श्रीमती पूजा चौकसे उसे देखने को लेकर इस कदर उत्साहित थे, कि उसके आगमन को गृहप्रवेश का रूप दे दिया। भोपाल से नरेश चौकसे की बहन श्रीमती सविता मोहबे और बहनोई डा. विशाल मोहबे भी इस जश्न में शामिल होने आ गए। मनुश्री के स्वागत में पूरे घर को फूलों से सजा दिया गया। घर के प्रवेश द्वार से लेकर उसके कमरे तक जाने के रास्ते को गुलाब के फूलों से पाट दिया। नवजात मनुश्री के बिस्तर को फूलों से सजाया गया।
शनिवार दोपहर को घर के बाहर विजय चौकसे और उनकी पत्नी श्रीमती मोहिनी चौकसे जैसे ही मनुश्री को गोद में लेकर अपनी कार से उतरे, आतिशबाजी के धूम-धड़ाके गूंज उठे। ढोल-बाजों की धुन पर पूरे परिवार नाच-गाकर मनुश्री का स्वागत किया। ताऊ नरेश चौकसे और ताईजी पूजा चौकसे ने मनुश्री की आरती तक तिलक किया। मनुश्री को पुष्पवर्षा के बीच घर में लाया गया, बुआ सविता मोहबे ने उसके नन्हे-नन्हे पांवों को महावर में डुबोकर रेशमी कपड़े पर उनकी छाप ली। इस तरह मनुश्री का गृहप्रवेश हुआ। पूरे मोहल्ले में मिठाई बांटी गई। घर में बेटी का ऐसा स्वागत देखकर हर कोई दंग रह गया।
नरेश चौकसे ने शिवहरेवाणी को बताया कि हम दो भाइयों के परिवार में कोई बेटी नहीं थी। उनका एक बेटा रुद्रप्रताप है, लेकिन कोई बेटी नहीं है। ऐसे में छोटे भाई विजय की बेटी हमारे लिए ईश्वर की ओर से भेजी गई खुशी की सौगात है। नरेश चौकसे ने कहा कि बेटियां भी बेटों से कम नहीं होतीं। बेटियां आज उच्च पदों पर आसीन हैं, यहां तक कि देश की प्रेसिडेंट भी एक महिला ही है। हमारे परिवार ने समाज को यही संदेश देने का प्रयास किया है।
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