अवधूत मंडल आश्रम, हरिद्वार से।
हरिद्वार में ज्वालापुर स्थित अवधूत मंडल आश्रम में कलचुरी समाज का ‘दो दिनी महाकुंभ’ आज 5 अप्रैल से शुरू हो रहा है। देशभर से कलचुरी समाज के महानुभाव यहां पधार चुके हैं। समाचार लिखे जाने तक आश्रम के पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर श्री श्री 1008 संतोषानंद देवजी महाराज और स्वजातीय संतों की पावन उपस्थिति के बीच राष्ट्रीय कलचुरी एकता महासंघ का अधिवेशन शुरू हो चुका है जो दोपहर 2 बजे तक चलेगा। अपराह्न 3 बजे से अखिल भारतीय जायसवाल सर्ववर्गीय महासभा का राष्ट्रीय अधिवेशन होगा। कल 6 अप्रैल को हनुमान जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में आश्रम में कलचुरी समाज के आराध्य भगवान सहस्त्रबाहु अर्जुन समेत 6 देवताओं के देवलोक का अनावरण होगा।
खास बात यह है कि पवित्र गंगा की पावन तीर्थ नगरी हरिद्वार में भगवान श्री सहस्त्रबाहु अर्जुन की यह पहली प्रतिमा है। यह प्रतिमा लखनऊ के प्रतिष्ठित समाजसेवी श्री अजय कुमार जायसवाल और श्री नवीन प्रकाश सिंह के सहयोग से प्रदान की गई, जबकि अखिल भारतीय जायसवाल सर्ववर्गीय महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अशोक जायसवाल (इंदौर) और राष्ट्रीय कलचुरी एकता महासंघ की संयोजिका डा. श्रीमती अर्चना जायसवाल के सहयोग से प्लेटफार्म का निर्माण कराया गया जिस पर भगवान सहस्त्रबाहु अर्जुन की प्रतिमा विराजमान होगी। इसका अनावरण उत्तराखंड के राज्यपाल श्री गुरमीत सिंह के कर-कमलों से होगा। कार्यक्रम में केंद्र सरकार में राज्यमंत्री के पद पर सुशोभित स्वजातीय बंधु श्रीपद नाइक, श्रीमान महंत रघुमुनि जी, योग गुरु बाबा रामदेव जी और आचार्य बालकृष्ण भी विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहेंगे।
मंडल आश्रम की भव्य संपदा
अवधूत मंडल आश्रम सेवा एवं पवित्रता से हरिद्वार नगरी में अपनी विशेष पहचान रखता है। ज्वालापुर में गंगा तट पर यह आश्रम विशाल भूभाग पर विस्तृत है। आश्रम जरूरतमंद गरीब लोगों के लिए धर्मार्थ अस्पताल भी चला रहा है। आश्रम में एक बड़ी गौशाला है जिसमें गायों की निष्छल भाव से सेवा की जाती है। आश्रम की ओर से संतों, ब्राह्मणों, वेदपाठी विद्यार्थियों को भोजन, रहने की सुविधा और दवाइयां प्रदान की जाती हैं। आश्रम में प्राचीन दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर है। 4 अप्रैल को मंगलवार के दिन दक्षिणमुखी हनुमानजी की मान्यता का साक्षी होने का अवसर प्रदान हुआ। मंगलवार होने के चलते पूरे दिन और देर रात तक हनुमानजी के दर्शन करने औऱ प्रसाद चढ़ाने वालों का तांता लगा रहा है। आश्रम में 254 बड़े कमरे हैं। प्रत्येक कमरे में चार-चार पलंग पड़े हैं, ज्यादातर कमरे एसी और गीजर की सुविधा से युक्त हैं। विशाल अन्नभंडार है, कई बड़ी रसोइयां हैं। अवधूत मंडल आश्रम की चाहरदीवारी पर करीब 200 दुकानों का एक अवधूत मंडल मार्केट है जिससे आश्रम को किराये की नियमित आय प्राप्त होती है। इस आश्रम की प्रतिष्ठा ही है कि गंगा के तट पर एक घाट का नाम अवधूत मंडल घाट है।
कैसे संचालित होता है अवधूत मंडल आश्रम
अवधूत मंडल आश्रम केवल दान की आय पर ही चलने वाली संस्था है। अवधूत मंडल आश्रम भारतीय आयकर अधिनियम की धारा 80 जी के अंतर्गत आयकर लाभ के लिए पंजीकृत है। अवधूत मंडल आश्रम आईएसओ 9001-2008 के अंतर्गत सामाजिक सेवा और धार्मिक प्रवृत्तियों के लिए भी पंजीकृत संस्था है। अवधूत मंडल आश्रम ने एफसीआरए (फोरेन करेंसी रेग्युलेशन एक्ट) के अंतर्गत पंजीकृत होने के लिए केंद्र सरकार में प्रस्ताव (आवेदन) भी किया है।
रामानंदी निराकारी वैष्णम संप्रदाय की संस्था
अवधूत मंडल आश्रम एक धार्मिक, पवित्र तथा ऐतिहासिक स्थल है। यह रामानंदी निराकारी वैष्णव संप्रदाय की प्राचीन संस्था है। इस संप्रदायक की स्थापना बाबा सरयूदास जी ने की थी। इसकी स्थापना लगभग 200 वर्ष पूर्व हुई थी। ब्रह्मलीन श्री आचार्य बाबा सरयूदास जी महाराज के शिष्यों ने बसंत पंचमी, 13.04.1830 को अवधूत मंडल आश्रम की स्थापना की थी। बाबा सरयूदास जी महाराज की मूल तपोस्थली पटियाला पंजाब में है। ब्रह्मलीन बाबा सरयूदास जी महाराज महान तपस्वी, अलौकिक अध्यात्म में रत सिद्ध संत थे। पटियाला के राजा को बाबा सरयूदास महाराज के आशीर्वाद से संतान प्राप्ति हुई जिससे प्रसन्न होकर राजा पटियाला ने बाबा को शाही बागान तथा उससे जुड़ी अन्य जमीन जायदाद दान स्वरूप जनकल्याण हेतु भेंट की। उस समय से पटियाला में बाबा सरयूदासजी का मुख्य स्थान बन गया। वह हमारे रामानंदी निराकारी वैष्ण संप्रदाय की आचार्य गद्दी है।
हरिद्वार में आश्रम की स्थापना
बाबा सरयूदास के शिष्यों ने अपने अनुयायइयों के लिए तपस्या, ध्यान, योग जैसी अनेक दैनिक धार्मिक तथा आध्यात्मिक प्रवृत्तियों के लिए हिमालय के निकट गंगाजी के किनारे शांत और आध्यत्मिक जगह पर आश्रम की स्थापना की। कुछ भक्तों ने एक जमीन जो हरिद्वार के निकट ज्वालापुर गांव आचार्य बाबा सरयूदास जी को दान स्वरूप भेंट की थी। लगभग 183 वर्ष पूर्व बाबा सरयूदासजी महाराज के शिष्यों ने उस जमीन पर अवधूत मंडल आश्रम की स्थापना की और छोटा सा मंदिर, आश्रम और गौशाला का निर्माण करवाया, हालांकि उनकी मुख्य गद्दी तो डेरा निराकारी, न्यू लालबाग, पटियाला (पंजाब) में ही रही। इस तरह ब्रह्मलीन श्री आचार्य बाबा सरयूदास जी महाराज के शिष्य बाबा हीरादासजी अवधूत मंडल आश्रम के मुख्य संस्थापक, विकासकर्ता तथा प्रथम अध्यक्ष रहे। और इसीलिए आज भी आश्रम पटियाला की अपनी आचार्य गद्दी से जुड़ा हुआ है।
आश्रम की गुरू-शिष्य परंपरा
उनके बाद पीठाधीश स्वामी गोपालदेवजी, पीठाधीस स्वामी रामेश्वर देवजी, पीठाधीश स्वामी महेश्वर देवजी तथा पीठाधीश सत्येदवजी महाराज गुरु-शिष्य परंपरा के अनुसार आश्रम के अध्यक्ष रहे। इस दौरान अवधूत मंडल आश्रम का शनैः-शनैः विकास होता रहा। बाबा सत्यदेवजी महाराज के ब्रह्मलीन होने के बाद गुरु-शिष्य परंपरा के अनुसार उनके प्रिय शिष्य स्वामी श्री संतोषानंद देवजी महाराज वर्ष 2007 में अवधूत मंडल आश्रम के अध्यक्ष बने। स्वामी संतोषानंद देवजी महाराज महापुरुषों से सम्मानित महामंडलेश्वर की पदवी से अलंकृत हैं। ये सभी वेद, उपनिषद, पुराण, रामायणष महाभारत, गीता आदि शास्त्रों वं संस्कृत भाषा के ज्ञाता एवं विदवान होते हुए भी सरल स्वभाव के अति दुर्लभ सिद्ध संत थे। सभी गुरुजन अपने-अपने समय में प्रकांड विद्वान और भविष्य दृष्टा थे।
आश्रम की अन्य शाखाएं
सभी गुरुजनों ने अपने-अपने कार्यकाल में मुख्य आश्रम का तो विकास किया लेकिन उसकी अन्य शाखाओं का भी विकास किया जैसे (1) गोपालधाम, हनुमान मंदिर, जस्साराम रोड निकट शिव मूर्ति हर्दिवार, (2) अवधूत मंडल आश्रम, हनुमान मंदिर, उजेली, उत्तरकाशी, (3) अवधूत मंडल आश्रम, हनुमान मंदिर, केशरीबाग, अमृतसर, पंजाब। स्वामी संतोषानंद देवजी महाराज अवधूतमंडल आश्रम तथा इसकी अन्य शाखाओं के वर्तमान में सिद्धगुरु वं अध्यक्ष हैं और अपने अनुयायियों तथा समाज के लोगों के लिए दैनिक धार्मिक एवं अध्यात्मिक प्रवृत्तियों से आश्रम तथा इसकी प्रशाखाओं का विकास कर रहे हैं।
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