November 1, 2024
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
शिक्षा/करियर

मंजिल पर नजर थी, तो बनते गए रास्ते; बलरामपुर की प्रियंका रानी गुप्ता बनीं डिप्टी कलक्टर; सीजीपीएससी में 14वीं रैंक

रायपुर।
मंजिल पर नजर हो तो रास्ते खुद-ब-खुद बनते जाते हैं। इस बात को सच कर दिखाया है सुश्री प्रियंका रानी गुप्ता (कलवार) ने, जिन्होंने कड़ी मेहनत और लगन के बल पर छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (सीजीपीएससी) परीक्षा-2020 में 14वीं रैंक हासिल कर डिप्टी कलक्टर बनने के अपने सपने को अंततः साकार कर लिया। इससे पहले 2019 की परीक्षा में 100वीं रैंक के साथ उनका चयन आबकारी उप-निरीक्षक के पद पर हुआ था। 
छत्तीसगढ़ के बलरामपुर-रामानुजगंज जिले में वाड्रफनगर विकासखंड के गांव पशुपतिपुर की सुश्री प्रियंका रानी गुप्ता एक साधारण पृष्ठभूमि वाले परिवार से संबंध रखती है। पिता श्री अरविंद कुमार गुप्ता बसंतपुर के हायर सेकेंडरी स्कूल में लेक्चरर हैं, जबकि माताजी श्रीमती सीमा गुप्ता गृहणी हैं। सुश्री प्रियंका की शुरुआती शिक्षा एक स्थानीय कान्वेंट स्कूल में हुई, और कक्षा छह में उनका एडमिशन नवोदय विद्यालय में हो गया। प्रियंका इसे अपने जीवन का टर्निंग प्वाइंट मानती है। क्योंकि, जवाहर नवोदय विद्यालय के लिए हुई प्रवेश परीक्षा उनके जीवन का पहला कंप्टीटिव एग्जाम था जिसके लिए उन्होंने तैयारी की और सफलता प्राप्त की। 

नवोदय से इंटरमीडियेट की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने बीआईटी, दुर्ग से बीटेक किया। प्रियंका रानी बीटेक करने के बाद किसी भी कंपनी में जॉब सकती थीं, लेकिन पिता की प्रेरणा से उन्होंने सिविल सर्विस को अपना लक्ष्य बनाया और सीजीपीएससी की तैयारी शुरू कर दी। सुश्री प्रियंका बताती हैं कि किसी भी परीक्षा में सफलता की पहली शर्त यह है कि आपको उस परीक्षा की प्रकृति का सही ज्ञान हो, और फिर अपनी क्षमता को लेकर भी आश्वस्त हों। खुद के प्रति ईमानदार रहते हुए तैयारी कीजिये। अभ्यर्थियों को बहुत ज्यादा किताबों में भटकने की जरूरत नहीं है। किसी विषय पर दस किताबें पढ़ने से बेहतर है कि उस विषय की एक अच्छी किताब को दस बार पढ़ा जाए। बकौल प्रियंका, मेरा फंडा सिंपल था कि जितना पढ़ सकती हूं, उतना पढ़ना है और जरूरी पढ़ना है, बहुत सारा नहीं। उन्होंने कहा कि प्रिलिम्स के लिए टॉपिक वाइज स्टडी करें, शॉर्ट नोट्स तैयार करें, टेस्ट सीरीज करें और टाइमिंग की प्रेक्सिट करें। जहां तक मेन्स की बात है तो जो प्रिलिम्स में पढ़ा है, उसी को डिटेल में पढ़ना होगा। इन दोनों परीक्षा की तैयारियों में संतुलन बिठाना होगा। 
उन्होंने कहा कि 2019 की परीक्षा में उन्हें 100वीं रैंक प्राप्त हुई थी और उन्हें आबकारी उप निरीक्षक का पद मिला था, उनका लक्ष्य डिप्टी कलक्टर था। लिहाजा 2020 की परीक्षा में उन्होंने अपनी कमियों को दूर करने पर ध्यान दिया। मैथ्स और लैंग्वेज को बेहतर करने पर फोकस किया। प्रिलिम्स के लिए जो टॉपिकवाइज शॉर्टनोट्स बनाए थे, मेन्स में उन्हीं की डिटेल स्टडी की। इसका परिणाम यह हुआ कि मेन्स (लिखित) परीक्षा में वह 7वीं रैंक पर रहीं। साक्षात्कार के अंक मिलाने पर उन्हें कुल 14वीं रैंक मिली। 

सुश्री प्रियंका रानी गुप्ता ने अपनी सफलता पहला श्रेय अपने परिवार को देती हैं। उन्होंने कहा कि परिवार में उनके दादाजी श्री रामस्वरूप गुप्ता किसान हैं, दादी श्रीमती शकुंतला देवी ठेठ ग्रामीण परिवेश की घरेलू महिला हैं लेकिन उन्होंने परिवार में हमेशा शिक्षा को महत्व दिया। वह कहती हैं कि आप जब भी कोई परीक्षा देते हैं, तो दरअसल आपके साथ कई लोगों की परीक्षा होती है। फैमिली, फ्रेंड्स और टीचर्स समेत सपोर्ट करने वाले सभी लोग उस परीक्षा का हिस्सा होते हैं। उन्होंने बताया कि जब सीजीपीएससी का रिजल्ट आया, उन दिनों पिताजी टायफाइड से पीड़ित थे और अस्पताल में भर्ती थे। बेटी की सफलता पर इस कदर खुश हुए कि तीन दिन तक उनके आंसू नहीं रुके। प्रियंका का छोटा भाई राहुल गुप्ता स्नातकोत्तर कर रहा है और बड़ी बहन की सफलता से प्रेरित होकर वह भी सिविल सेवा में जाना चाहता है। आगे क्या आईएएस की तैयारी करने का इरादा है? इस सवाल पर प्रियंका कहती हैं कि फिलहाल तो थोड़ा रेस्ट करना चाहती हूं। आगे देखते हैं।
 

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