भिंड।
रामू शिवहरे ने खुदकुशी की थी, या वह हत्या थी? क्या परिस्थितियों थीं, क्या मजबूरी थी? उसने कोई सुसाइड नोट भी नहीं छोड़ा! भिंड के मेहगांव में रामू शिवहरे के परिजनों, दोस्तों-रिश्तेदारों को यकीन नहीं हो रहा कि हमेशा मुस्कराते रहने वाला एक खुशमिजाज लड़का यूं अचानक उनके बीच से चला जाएगा… वो हालात से लड़ने वाला हिम्मती लड़का था, खुदकुशी नहीं कर सकता। बीते रोज मेहगांव के लोगों ने रामू शिवहरे की मौत की जांच कर दोषियों पर कार्रवाई की मांग को लेकर एक कैंडल मार्च निकाला।
रामू शिवहरे रक्षाबंधन से दो दिन पहले ही भोपाल गया था, जहां वह गांधीनगर बायपास स्थित ‘रंगला पंजाब ढाबा’ पर काम करता था। रामू के पिता श्री दशरथ शिवहरे की तबीयत खराब चल रही है, उनके उपचार के लिए और पैसों की जरूरत थी तो रामू ढाबा मालिक से बकाया पगार लाने की बात कहकर भोपाल गया था। रक्षाबंधन के दो दिन बाद 2 सितंबर की रात को परिवार के पास भोपाल से फोन आता है कि रामू ने अपने कमरे में फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली है। रामू के परिवारीजन आनन-फानन में भोपाल पहुंचे, रामू का शव पोस्टमार्टम हाउस में था। रामू के ताऊ के बेटे उमा शिवहरे फौजी ने शिवहरेवाणी से बातचीत में दावा किया कि जिस कमरे में रामू की खुदकुशी बताई गई थी, उस कमरे में फांसी का कोई साक्ष्य नहीं था। ऐसा लगता था मानो कमरे को साफ कर दिया गया है। यहां-वहां कुछ कपड़े पड़े थे। रामू ने कोई सुसाइड नोट भी नहीं लिखा जिससे जान देने का कोई कारण स्पष्ट हो सके। उन्होंने भोपाल पुलिस पर ढुलमुल रवैया अपनाने का आरोप लगाया। पोस्टमार्टम की एमएलसी रिपोर्ट भी उन्हें नहीं दी गई है। 3 मई को पोस्टमार्टम के बाद परिजन उसके शव को भिंड लाए, जहां निष्पक्ष जांच की मांग को लेकर सिटी कोतवाली पर शव रखकर जाम लगाया। पुलिस के आश्वासन के बाद परिजन रामू के शव को मेहगांव ले गए जहां 4 मई को उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया।
बीते रोज मेहगांव में रामू को श्रद्धांजलि के लिए एक कैंडल मार्च का आयोजन हुआ जिसमें रामू के भाई-बंधुओं, निकट रिश्तेदारों और दोस्तों समेत गांव के सैकड़ों लोग शामिल हुए। हाथ में जलती मोमबत्ती और रामू का पोस्टर उठाए ये लोग मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे थे। उमा शिवहरे फौजी ने बताया कि 2 सितंबर की सुबह रामू ने घर फोन कर पापा की तबियत के बारे में जानकारी ली थी। एक मिस कॉल उनके पास भी आई थी। उमा शिवहरे ने बताया, ‘रिटर्न कॉल करने पर रामू ने कहा कि गलती से कॉल लग गई भैया। उन्होने रामू से हालचाल लिए। तब भी बातचीत में उसने दो दिन बाद लौटने की बात कही थी। उसी शाम उसकी मौत की खबर मिली। अब लगता है कि शायद वह किन्हीं हालात में फंसा था, कुछ कहना चाहता था मगर कह नहीं पाया।‘ भोपाल पुलिस ने मामले में मर्ग कायम कर लिया है। पुलिस का कहना है कि पीएम रिपोर्ट में मौत के सही कारणों का खुलासा हो जाएगा। प्रारंभिक जांच में मामला खुदकुशी का नजर आ रहा है। दर्ज रिपोर्ट के मुताबिक, ढाबा मालिक बलविंदर सिंह जग्गा की सूचना पर ही पुलिस मौके पर पहुंची थी और पुलिस के सामने ही शव को फंदे से उतारा गया था।
रामू के पिता दशरथ शिवहरे अपने इकलौते बेटे की मौत के गम में सुधबुध खो बैठे हैं। मां भूरी देवी के आंसू थम नहीं रहे। बहन रानी भी खुद को संभाल नहीं पा रही है। उमा शिवहरे फौजी ने बताया कि ढाबा मालिक हमेशा रामू का पैसा रोक लिया करता था। तनख्वाह कभी समय पर नहीं दी जाती थी। इसे लेकर वह परेशान रहता था। करीब एक महीने पहले गांव आया, फिर उसका लौटने का मन नहीं था। लेकिन पिता के इलाज के लिए पैसे चाहिए थे, घर में कमाने वाला वह इकलौता था इसलिए वह ढाबा मालिक से अपना हिसाब कराने के लिए भोपाल गया था। 28 अगस्त को घर से बोलकर निकला था कि सेठ से पैसा लेकर लौट आएगा।
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