भोपाल।
कलचुरी एकता महासंघ की राष्ट्रीय संयोजक एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेत्री श्रीमती अर्चना जायसवाल को मध्य प्रदेश महिला कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। श्रीमती अर्चना जायसवाल की नियुक्ति को वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह की कूटनीतिक जीत माना जा रहा है, जबकि स्वयं अर्चना जायसवाल की पहचान पार्टी की गुटबाजी से दूर रहने वाली एक ऐसी महिला नेत्री के रूप में है, जिसने हमेशा ही पार्टी के प्रति पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन किया है। अर्चना जायसवाल की नियुक्ति का सर्वसमाज ने स्वागत किया है। सोशल मीडिया पर उन्हें कलचुरी कलार समाज के हर वर्ग की ओर से शुभकामनाएं मिल रही हैं।
बता दें कि श्रीमती अर्चना जायसवाल को दूसरी बार महिला कांग्रेस की कमान दी गई है। श्रीमती अर्चना जायसवाल मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी में उपाध्यक्ष थीं और सभी फ्रंटल संगठनों और विभागों के समन्वय का प्रभार संभाल रही थीं। कुछ माह पहले मांडवी चौहान का कोरोना से निधन होने के बाद महिला कांग्रेस अध्यक्ष का पद रिक्त था। जिसके लिए अर्चना जायसवाल के साथ नूरी खान, विभा पटेल, रश्मि पवार, कविता पांडे, बिंदु डागौर, कविता त्रिवेदी, अंजू जायसवाल और अंजू बघेल की दावेदारी सामने आई थी लेकिन आलाकमान ने अर्चना जायसवाल को बागडोर सौंपी। खास बात यह है कि इस पद के लिए कमलनाथ ने नूरी खान और दिग्विजय सिह ने विभा पटेल का नाम आगे बढ़ाया था। अर्चना जायसवाल को दूसरी बार महिला कांग्रेस की कमान दी गई है। इससे पहले दिग्विजय सिंह के मुख्यमंत्री रहते हुए उन्हें मध्य प्रदेश महिला कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष (2010-2014) बनाया गया था।
श्रीमती अर्चना जायसवाल 25 वर्षों से कांग्रेस की समर्पित नेत्री हैं। वह दो बार मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी की महासचिव (2007-2010 और 2015-2018) रह चुकी हैं। वह मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी की सचिव (2004-2007) भी रही हैं। वह मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कला एवं संस्कृति प्रकोष्ठ की उपाध्यक्ष (2001-2003) भी रही थीं। कांग्रेस की राजनीति में श्रीमती अर्चना जायसवाल की पकड़ का अंदाजा से लगाया जा सकता है कि उन्होंने कांग्रेस में स्व. श्री राधाकृष्ण मालवीय से लेकर स्व. श्री सुभाष यादव, श्री सुरेश पचौरी, श्री अर्जुन यादव, श्री कमलनाथ जैसे अध्यक्षों के साथ काम किया और उनके कार्यकाल के मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां संभालीं।
खास बात यह है कि श्रीमती अर्चना जायसवाल ने राजनीति में सफलता अर्जित करने के बाद भी अपने कलार, कलवार समाज की पहचान को कभी कमजोर नहीं पड़ने दिया। सामाजिक क्षेत्र में उनके योगदान को किसी भी प्रकार से कमतर नहीं आंका जा सकता है। वह राष्ट्रीय कलचुरी एकता महासंघ (ओबीसी) की राष्ट्रीय संयोजक हैं। उनके द्वारा स्थापित यह संगठन मध्य प्रदेश के लगभग हर जिले में है, और मध्य प्रदेश के बाहर भी इसका विस्तार काफी तेजी से हो रहा है। वह अखिल भारतीय जायसवाल सर्ववर्गीय महिला महासभा की राष्ट्रीय अध्यक्ष (2001-2005) रहीं, साथ ही अखिल भारतीय जायसवाल समवर्गीय महिला महासभा की कमान (2006-2011) संभाल चुकी हैं। वह इंटरनेशनल वैश्य फेडरेशन (अग्रवाल, माहेश्वरी, जैन, नीमा, खंडेलवाल, पोरवाल, जायसवाल आदि) की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं। यही नहीं, एक एंकर और पत्रकार के रूप में भी श्रीमती अर्चना जायसवाल ने अपनी अलग विशेष पहचान बनाई है। आकाशवाणी में उनके कई टॉक शो प्रसारित होने के अलावा कई समाचार पत्रों में विभिन्न मुद्दो पर आलेख प्रकाशित हो चुके हैं।
जबलपुर में जन्मीं श्रीमती अर्चना जायसवाल एमफिल, पीएचडी हैं और महिला उत्थान एवं अधिकारिता के मुद्दे पर उनका विशेष काम रहा है। उनका विवाह श्री हैहय क्षत्रिय समाज धर्मशाला ट्रस्ट इंदौर के वरिष्ठ ट्रस्टी स्व. श्री कमल नारायण जी जायसवाल के पुत्र श्री राकेश जायसवाल से हुआ जो एक जाने-माने इंजीनियर एवं कांट्रेक्टर हैं। श्रीमती अर्चना इंदौर की मिलिंद कालोनी में परिवार के साथ रहती हैं। उनकी पुत्रियां विधि (बीई, एमबीए), डा. अदिति (एमडीएस) और एक पुत्र दयेश (बीई, एमएससी) हैं। श्रीमती अर्चना जायसवाल ने वर्ष 2000 में राजनीति में प्रवेश किया और इंदौर विकास प्राधिकरण की सदस्य बनीं, बाद में निदेशक भी बनीं। 2014 में श्रीमती अर्चना जायसवाल ने कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में इंदौर महापौर पद का चुनाव लड़ा था। श्रीमती जायसवाल का कहना है कि उनके लिए राजनीति के मायने दूसरों की सहायता करना है और इसी से प्रेरित होकर राजनीति में आई हैं। अब 2023 का विधानसभा चुनाव उनके लिए एक बड़ी चुनौती है जिसके उन्हें वह महिला मतदाताओं को कांग्रेस से जोड़ने की दिशा में जी-जान से काम करना होगा।
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