आगरा।
रक्तदान के लिए लोगों को प्रेरित करने के तमाम अभियानों के बावजूद आज भी हमारे देश में लगभग 12,000 लोग हर साल केवल रक्त की अनुपलब्धता के कारण मर जाते हैं। रक्त का कोई विकल्प नहीं हो सकता, इसीलिए रक्तदान को मानवता के हित में किए जाने वाले सर्वश्रेष्ठ कार्यों की सूची में सबसे ऊपर रखा जाता है। आगरा में शिवहरे समाज के एक रक्तवीर हैं जिन्होंने पिछले चार वर्षों में 23 बार रक्तदान करने का गौरव प्राप्त किया है। यह हैं सरजू गुप्ता ‘काके भाई’।
सरजू गुप्ता ने बीते रोज 15 अगस्त को 23वीं बार रक्तदान किया। प्रारब्ध संस्था द्वारा स्वतंत्रता दिवस के मौके पर समर्पण ब्लड बैंक में लगाए गए रक्दान शिविर में सरजू गुप्ता काके भाई ने 23वीं बार रक्तदान किया। इसके लिए संस्था ने सरजू गुप्ता को विशेष सम्मान से नवाजा। संस्था का आभार जताते हुए काके भाई ने शिवहरेवाणी को बताया कि वह अपने जीवन में रक्तदान का शतक बनाना चाहते हैं, रक्तदान करने के बाद उन्हें जिस सुकून और सुख की प्राप्ति होती है, उसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता।
आगरा में कैलाशपुरी निवासी सरजू गुप्ता काकेभाई के सेवाभाव से भला कौन परिचित नहीं है। आगरा में शिवहरे समाज के लोगों को एसएन मेडिकल कालेज में उनकी विशेष सहायता प्राप्त होती है जिसके लिए वह हमेशा तत्पर रहते हैं। ओपीडी में मरीज को दिखाना होगा, वार्ड में भर्ती कराना हो, या फिर किसी आपात स्थिति में एसएन में काके भाई के रूप में सह्रदयी समाजबंधु उन्हें एक भाई की तरह खड़ा मिलता है। यही नहीं, शिवहरे समाज के बाहर भी काके भाई किसी भी जरूरतमंदों की सेवा में हमेशा तत्पर रहते हैं। कुछ दिन पहले ही एसएन में जुड़वां नवजात शिशुओं के लिए उन्होंने प्लाज्मा डोनेट किया था, जिसके चलते दोनों शिशुओं को जान बच सकी। शिवहरे समाज एकता परिषद के सचिव काकेभाई कहते हैं कि चार साल पहले कोरोना काल में उन्होंने पहली बार रक्तदान किया था, तब से यह सिलसिला कभी थमा नहीं है।ॉ
दरअसल मानवता के प्रति गहरी संवेदनशीलता ही काके भाई की प्रेरणा है जो उन्हें इन पुण्य-कार्यों के लिए प्रवृत्त करती है। काके भाई कहते हैं कि यह भावना उनके संस्कारों में शामिल हैं जो उन्हें अपने पिता श्री प्रेमविहारी गुप्ता से मिले हैं। श्री प्रेम विहारी गुप्ता भी एसएन मेडिकल कालेज में कार्यरत रहे थे, और अपनी पूरी नौकरी के दौरान उन्होंने अपने समाज के लिए इसी सेवाभाव के साथ काम किया। अब रिटायर होने के बाद भी वह लोगों की सहायता के लिए तत्पर रहते हैं, आज भी कैलाशपुरी और आसपास के लोगों के घर में कोई बीमार पड़ता है तो प्राथमिक सहायता के लिए सबसे पहले श्री प्रेमविहारी गुप्ताजी को ही याद करता है। कैलाशपुरी के लोगों के मन में उनके प्रति विशेष श्रद्धा और सम्मान के भाव रहते हैं।
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