November 24, 2024
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
समाचार साहित्य/सृजन

क्या संवाद के शिष्टाचार खोते जा रहे हम! ; कलचुरी समाज के सोशल मीडिया ग्रुपों में आए दिन विवाद; अब सीएल सिसोदिया पर गलत टिप्पणी

जयपुर।
शिष्टाचार के बिना दो व्यक्तियों के बीच में या व्यक्तियों के समूह अथवा समाज के अंदर सकारात्मक संवाद संभव नहीं है। वह फेसबुक का ग्रुप हो या व्हाट्स का, या फिर कोई भी जगह हो, सलीके से कही गई हर बात सुनी और समझी जाती है, सम्मान पाती है। अफसोस यह है कि कलचुरी समाज के ज्यादातर व्हाट्सएप और फेसबुक ग्रुपों के संवाद में शिष्टाचार लुप्त होता जा रहा है, अमर्यादित टिप्पणियां आए दिन विवादों का कारण बन रही है। 

बीते रोज कलचुरी समाज के एक सामाजिक व्हाट्सएप ग्रुप में पाली (राजस्थान) के सम्मानित और समर्पित सोशल वर्कर श्री चंपालाल सिसोदिया के बारे में पटना के एक महाशय ने जो अनर्गल टिप्पणी की है, वह बेहद अफसोसनाक है। इसे लेकर ग्रुप के कई सदस्यों ने उनकी जमकर क्लास ली, और ग्रुप एडमिन पर भी सवाल उठाए हैं। ज्यादातर लोगों का कहना है कि ग्रुप एडमिन को ऐसी भाषा का इस्तेमाल करने वाले व्यक्ति को तत्काल ग्रुप से निकाल देना चाहिए था। लेकिन, ऐसा नहीं किया गया। यह पहला मामला नहीं है जब किसी ग्रुप में किसी के बारे में इस तरह अनर्गल टिप्पणी की गई हो, लेकिन इस बार निशाने पर श्री सीएल सिसोदिया जैसी नेकदिल शख्सियत के होने से मामला ज्यादा गरमा गया है।

पुष्कर स्थित कलाल धर्मशाला के अध्यक्ष श्री सत्यनारायण मेवाड़ा (केकड़ी, अजमेर) और जयपुर के जाने-माने सोशल वर्कर श्री राजपाल सिंह जायसवाल समेत कई सम्मानित लोगों ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि कलचुरी समाज की सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय कोई व्यक्ति यदि श्री सीएल सिसोदिया को नहीं जानता है तो यह उस की दिक्कत है। अखिल भारतीय कलवार कलाल कलार महासंघ के राष्ट्रीय महामंत्री श्री चंपालाल सिसोदिया किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। राजस्थान में कलाल समाज के अंदर ही नहीं, बल्कि सामाजिक सेवा, खेल और राजनीति जगत में भी वह एक जानी-मानी शख्सियत हैं। इन क्षेत्रों में उनके योगदान को कौन भुला सकता है भला। 
श्री सिसोदिया ने कलचुरी समाज के कई अधिवेशनों, सम्मेलनों, परिचय सम्मेलनों और सामूहिक विवाह समारोह में महत्वपूर्ण योगदान किया है। समाज और मानव सेवा के लिए कई सरकारी और गेर-सरकारी मंचों पर उन्हें सम्मानित किया जा चुका है। अखिल राजस्थान मेवाड़ा क्षत्रिय कलार महासभा ने इसके लिए उन्हें लाइफ टाइम एचीवमेंट अवार्ड से नवाजा था। ऐसी सम्मानित शख्सियत के बारे में अनर्गल टिप्पणी कलचुरी समाज के सामाजिक ग्रुपों में संवाद के निरंतर गिरते स्तर का प्रमाण है। 
सोशल मीडिया पर सामाजिक ग्रुपों में पोस्ट करने वाले लोगों को यह ध्यान रखना चाहिए कि आपकी पोस्ट आपके व्यक्तित्व और छवि का आइना होती हैं। पटना के जिस शख्स ने श्री सिसोदिया के लिए अमर्यादित टिप्पणी की है, दरअसल इससे उनकी अपनी छवि समाज में धूमिल हुई है। बेशक, अपनी बात कहने की स्वतंत्रता सबको है लेकिन यह कर्तव्य भी है कि आपके संवाद से किसी की भावना और प्रतिष्ठा को ठेस नहीं पहुंचे। इसी शिष्टाचार से हम समाज को सभ्य और श्रेष्ठ बना सकते हैं। 

सोशल मीडिया का शिष्टाचार
सामाजिक ग्रुपों में शामिल लोगों से अनुरोध है कि वे अपनी बात रखते समय कुछ बातों का अवश्य ध्यान रखेंः-

  • पहली बात यह कि ग्रुप में कोई बात रखने से पहले उसके औचित्य पर भली प्रकार से विचार कर लें। यदि कियी व्यक्ति के बारे में पोस्ट की है तो पहले उसके बारे में अच्छी तरह छानबीन कर लें। सतर्क रहें कि जो लिख रहे हैं, जिस भाषा में लिख रहे हैं, उससे किसी की भावना को ठेस तो नहीं पहुंच रही है। उम्रदराज और अनुभवी सामाजिक कार्यकर्ताओं का सम्मान करें। 
  • दूसरी बात यह है कि नकारात्मक पोस्ट अथवा टिप्पणी से बचें। विषय या संदर्भ का संपूर्ण ज्ञान हो, तभी प्रतिक्रिया दें। अच्छी भाषा में ज्ञानपूर्ण बात लिखें, इससे समाज के अंदर स्वयं आपके सम्मान में बढ़ोतरी होगी।
  • तीसरी बात यह कि ग्रुप में किसी सदस्य की तुलना किसी से न करें, और ना ही किसी सदस्य की कमी को उजागर करें, यह अनैतिकता को दर्शाता है। इससे ग्रुप के अंदर आपकी मानसिकता पर ही सवाल खड़े होंगे। 

कुल मिलाकर सोशल मीडिया आज के दौर में संवाद का एक सशक्त माध्यम बन चुका है, इसीलिए इस पर संवाद के शिष्टाचार सीखने भी जरूरी हैं। सामाजिक ग्रुप में आपका शिष्टाचार, आपका ज्ञान और आपका सौहार्द्र आपको इतना सम्मान दिला सकता है, जिसकी आपने कल्पना भी नहीं होगी।
 

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