November 21, 2024
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
समाचार समाज

रामू पंडितजी बोले-मेरे दिल की साध पूरी हुई; पुत्र पं. आकाश मुदगल की सफल भागवत कथा के लिए मंदिर कमेटी का जताया आभार

आगरा। 
आगरा में शिवहरे समाज की धरोहर दाऊजी मंदिर में श्रीमद भागवत कथा सप्ताह का बीते रोज पूर्णाहुति एवं भंडारे के साथ समापन हो गया। रोज की तरह पूर्णाहुति और भंडारे में भी शिवहरे समाज ने बड़ी संख्या में भागीदारी की। मंदिर के पुजारी प्रोफेसर रामदास आचार्य (रामू पंडितजी) आयोजन की सफलता से खासे गदगद दिखाई दिए, उन्होंने पहली बार अपने पुत्र पं. आकाश मुदगल के श्रीमुख से श्रीमद भागवत कथा का श्रवण जो किया था।
शिवहरेवाणी से बातचीत में रामू पंडितजी ने कहा, ‘लंबे समय से मेरी दिली इच्छा थी कि शिवहरे समाज की जिस धरोहर को मैंने जीवनभर सेवाएं दीं, उसके परिसर में अपनी ओर से श्रीमद भागवत कथा का आयोजन कराऊं। अब आकर यह साध पूरी हुई है। पुत्र पंडित आकाश मुदगल के श्रीमुख से भागवत कथा के श्रवण ने मेरे आनंद को गुणित कर दिया।‘ रामू पंडितजी ने सफल आयोजन के लिए दाऊजी मंदिर समिति के अध्यक्ष श्री बिजनेश शिवहरे और परीक्षित बने कोषाध्यक्ष श्री संतोष कुमार गुप्ता समेत पूरी कार्यकारिणी का आभार व्यक्त किया, कहा कि अध्यक्षजी की स्वीकृति और उनकी कार्यकारिणी की सक्रिय भागीदारी से उनका सपना साकार हो सका है। साथ ही यह भी कहा कहा कि ‘मेरे जजमान शिवहरे समाज ने पवित्र भाव से कथा सुनकर मेरे प्रति जो सम्मान व्यक्त किया है, उसके लिए मैं सदैव उनका ऋणी रहूंगा।‘ वहीं अध्यक्ष श्री बिजनेश शिवहरे का कहना है कि श्री रामू पंडितजी हमारी पवित्र धरोहर के पुजारी हैं, और हमें हमेशा गर्व होता है कि उन जैसा उच्च शिक्षित, धर्म और ज्योतिष का ज्ञानी ब्राह्मण हमारी धरोहर को अपनी सेवाएं प्रदान कर रहा है। इसीलिए रामू पंडितजी ने जब सावन के पवित्र माह में मंदिर परिसर में भागवत कथा कराने का प्रस्ताव रखा तो हमारे इनकार का तो कोई सवाल ही नहीं उठता था। हम उनके लिए सदैव तत्पर हैं।‘ 
आपको बता दें कि रामू पंडितजी बचपन से मंदिर में सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। वह बहुत कम आयु में अपने रिश्ते के चाचा दाऊजी मंदिर के महंत श्री महेश पंडितजी की शरण में आ गए थे और तब से मंदिर की सेवा कर रहे हैं। पड़ोसी धौलपुर जिले में राजाखेड़ा तहसील के गांव भगवानपुर में जन्मे रामू पंडितजी महज 8 वर्ष की आयु में संस्कृत शिक्षा के लिए वृंदावन स्थित गुरुकुल में चले गए थे। यहां से बीच-बीच में अवकाश पड़ने पर वह अपने चाचा श्री महेश पंडितजी के पास दाऊजी मंदिर आ जाते हैं, यहीं से मंदिर के साथ उनका जुड़ाव शुरू हुआ। माध्यमिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद उच्च शिक्षा के लिए रामू पंडितजी ने वाराणसी स्थित संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से फलित ज्योतिष में आचार्य की उपाधि (एमए) प्राप्त की। इसके बाद वाराणसी के ही प्रतिष्ठित ‘बनारस हिंदू विश्वविद्यालय’ (बीएचयू) से पीएचडी की। उनके शोध का विषय था ‘मानव जीवन पर ग्रहों का प्रभाव’। 
जुलाई 1992 में रामू पंडितजी की नियुक्ति महर्षि वैदिक विश्वविद्यालय में फलित ज्योतिष विभाग में प्रोफेसर के पद हुई। इस दौरान उन्होंने विश्वविद्यालय के गाजियाबाद, ऋषिकेश, खंडवा, वृंदावन, जबलपुर, हैदराबाद, चित्रकूट, आगरा और कटनी समेत कई जिलों में विश्वविद्यालय के शैक्षणिक परिसरों में अपनी सेवाएं दीं। खास बात यह है कि इतनी तमाम व्यस्तताओं के बावजूद वह दाऊजी मंदिर की सेवा भी साथ-साथ करते रहे। दो माह पूर्व ही वह रिटायर हुए हैं और अब पूरी तरह दाऊजी मंदिर की सेवा में समर्पित हैं। रामू पंडितजी की धर्मपत्नी श्रीमती शकुंतला देवी का स्वर्गवास हो चुका है, उनके दो पुत्र हैं आशु मुदगल और आकाश मुदगल। दोनों विवाह कर वह अपने को पारिवारिक जिम्मेदारियों से मुक्त हो चुके हैं। बड़े पुत्र आशु मुदगल भी उनके साथ दाऊजी मंदिर की सेवा कर रहे हैं। 
रामू पंडितजी अपने ज्योतिष ज्ञान के लिए दूर-दूर तक विख्यात हैं। वह कई विदेश यात्राएं भी कर चुके हैं। हाल ही में थाईलैंड से लौटे हैं और अब जल्द इंडोनेशिया जाने वाले हैं जहां उन्हें एक ज्योतिष संबंधी कार्यक्रम में बुलाया गया है। मंदिर में भी रामू पंडितजी प्रतिदिन शाम को लोगों को ज्योतिष संबंधी परामर्श प्रदान करते हैं। 
 

Leave feedback about this

  • Quality
  • Price
  • Service

PROS

+
Add Field

CONS

+
Add Field
Choose Image
Choose Video