पटना।
शिवहरेवाणी के सभी पाठकों को चैत्र नवरात्र की हार्दिक शुभकामनाएं। हिंदू संस्कृति में मातृशक्ति को सर्वोपरि माना गया है। इस चैत्र नवरात्रों में हम आपकी मुलाकात कलचुरी समाज की ऐसी मातृशक्तियों से कराएंगे, जिन्होंने लीक से हटकर अपने दम एक मुकाम बनाया, प्रतिष्ठा अर्जित की, परिवार और समाज की ताकत बनीं। पहली कड़ी में जिक्र है श्रीमती रितु जायसवाल का जिन्होंने अपने दम पर एक पिछड़े गांव की तस्वीर और तकदीर बदल दी है। इत्तेफाक ही है कि अभी कुछ घंटे पहले यह आलेख तैयार करने के दौरान ही खबर आई है कि बिहार में लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने रितु जायसवाल को शिवहर लोकसभा सीट से पार्टी का प्रत्याशी घोषित कर दिया है। उनका मुकाबला भाजपा प्रत्याशी लवली आनंद से होगा।
रितु जायसवाल सीतामढ़ी जिले की सिहंवाहिनी पंचायत की मुखिया के रूप में अपने कार्यों के लिए देशभर में चर्चित रही हॆ। उन्हें कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय मचो पर प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। भारत सरकार के पंचायती राज विभाग ने वर्ष 2019 के दीन दयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तिकरण पुरस्कार के लिए उनकी सिंहवाहिनी पंचायत का चुना था। उन्हें अंतरराष्ट्रीय सम्मान ‘फ्लेम लीडरशिप अवार्ड 2019’ के लिए चुना गया। 2016 में वह उप राष्ट्रपति वैंकया नायडू के हाथों आदर्श युवा सरपंच पुरस्कार से सम्मानित हो चुकी है।
रितु जायसवाल 2015 में पहली बार अपने पति पूर्व आईएएस अधिकारी अरुण कुमार के साथ उनके पैतृक गांव सिंहवाहिनी गई थीं। गांव में बिजली नहीं, सड़क का नाम-निशान नहीं, और तो और पीने को साफ पानी तक गांव वालों को नसीब नहीं था। लोग खुले में शौंच करते थे। नाम के लिए स्कूल था, जहां टीचर नहीं आते थे। रितु ने गांव के लिए कुछ करने ठानी और अपने दोनों बच्चों (पुत्र आर्यन व पुत्री अवनी) को हॉस्टल में भेज दिल्ली के चकाचौंध भरे सुविधायुक्त जीवन को अलविदा कर हमेशा के लिए सिंहवाहिनी चली आईं। वैशाली में जन्मीं और वहीं पढ़ी-लिखीं रितु जायसवाल ने गांव पहुंचकर सबसे पहले स्कूल में बच्चों को पढ़ाने के लिए एक युवती को चुना जिसे अपने पास से सैलरी दी। उस युवती ने गांव की 25 लड़कियों को पढ़ाया और पहली बार गांव 12 लड़कियों ने शानदार अंकों से हाईस्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण की। रितु के प्रयासों से गांव में विद्युतीकरण योजना पर काम शुरू हुआ औऱ आजादी के 70 बरस बाद गांव में पहली दफा बिजली के पंखे चले। 2016 में सिंहवाहिनी में प्रधानी के चुनाव हुए तो ग्रामीणों के बहुत कहने पर रितु ने चुनाव लड़ा। 32 प्रत्याशियों के बीच अकेले उन्हें ही 72 फीसदी वोट मिल गए।
मुखिया बनने के बाद उन्होंने ‘खुले में शौंच’ को पहला टारगेट बनाया। डीएम से बात गांव के हर घर में एक, कुल मिलाकर 2000 टायलेट बनवाए। इसके अलावा महिलाओं की टोली तैयार की जो रोज सुबह 4 बजे खेतों में पहुंचकर लोगों को खुले में शौंच से रोकती थीं। उनकी ये कोशिश रंग लाई और अक्टूबर 2016 को सिंहवाहिनी को खुले में शौंच से मुक्त घोषित कर दिया गया। इसके बाद रितु ने गांव की सड़कों को दुरुस्त करने के लिए अपने पास से पैसा लगाकर काम शुरू कराया। उनकी देखा-देखी गांववाले भी अपनी सेविंग्स का कुछ हिस्सा देने लगे। आज सिंहवाहिनी की कच्ची सड़क ने चमचमाती डामर रोड का शक्ल ले ली है। इसके बाद रितु ने जनवितरण प्रणाली को दुरुस्त करने का बीड़ा उठाया। उन्होंने पूरे गांव में राशन की आवश्यकता का आंकड़ा तैयार किया और पंचायत के तहत आने वाले 14000 ग्रामीणों को पूरा राशन मिलना सुनिश्चित कराया।
रितु ने शिवहरेवाणी को बताया कि शुरू-शुरू में अधिकारी अक्सर उन्हेंं हलके में लेते थे और ऐसे में एजुकेशन बहुत काम आई। उस वक्त तो बीडीओ का चेहरा देखने लायक था जब उन्होंने गांव में राशन का डेटा एक्सल शीट पर उन्हें दिखाया। रितु ने खेत मजदूरों को उनके अधिकारों के बारे में शिक्षित करने का मिशन छेड़ा तो जमींदारों की ओर से उन्हें धमकियां भी तमाम मिलीं। लेकिन, रितु कभी किसी के दबाव में नहीं आईं। रितु ने पंचायत के अंतर्गत सभी स्कूलों में टीचर्स अपाइंट किए। स्कूल में टीचर्स का समय पर और नियमित आना सुनिश्चित करने के लिए रितु ने गांधीगीरी का सहारा लिया। इसके तहत जब भी कोई टीचर स्कूल में लेट आता, गांववाले स्कूल के गेट पर आकर उन्हें फूल देते थे। जाहिर है, टीचरों को होश में आना ही था।
रितु ने गांव में स्वरोजगार बढ़ाने के लिए ट्रेनिंग सेंटर खोले। साथ ही कई एनजीओ को इसके लिए आमंत्रित किया। इससे गांव में स्वरोजगार बढ़ा। कई तरह की दुकानें गांव में खुल गईं। 2017 की भयानक बाढ़ में रितु ने आगे बढ़कर बचाव अभियान का नेतृत्व किया और कई रिलीफ कैंप चलाए। जिसके चलते बहुत कम समय में गांव उस प्राकृतिक आपदा की तबाही से उबर गया। रितु जायसवाल ने साबित कर दिखाया है कि महिला पंचायत प्रतिनिधि या मुखिया पति के बजाए खुद कार्य करने पर विश्वास करें और सच्ची निष्ठा से काम करें तो गांवों की सूरत बदल सकती है।
वर्ष 2020 में रितु जायसवाल लालू प्रसाद यादव की राष्ट्रीय जनता दल में सक्रिय हो गईं। 2021 के पंचायत चुनाव में रितु जायसवाल के पति पूर्व आईएएस अरुण कुमार ने प्रधानी का चुनाव लड़ा और सिंहवाहिनी के ग्रामीणों ने भारी मतों से उन्हें विजयी बनाया। अरुण कुमार अब सिंहवाहिनी के सरपंच की जिम्मेदारी निभाने के साथ ही सिविल सेवा की तैयारी कर रहे बच्चों को निःशुल्क गाइडेंस भी दे रहे हैं। वहीं प्रधानी छोड़ने के हाद रितु जायसवाल राजनीति में पूरी तरह सक्रिय हो गईं। उन्होंने परिहार विधानसभा सीट से राजद के टिकट पर चुनाव ल़ड़ा लेकिन हार गईं। इसके बाद राजद की प्रखर प्रवक्ता रहीं। पार्टी ने अब 2024 के आम चुनाव में उन्हें शिवहर लोगसभा सीट से टिकट दिया है।
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