कोलकाता।
कभी कोलकाता जाना हो तो आम्हर्ष रोड पर अखिल भारतीय सहस्त्रबाहु बलभद्र मंदिर के दर्शन अवश्य किजिये। यह देश का पहला मंदिर है जहां कलचुरी समाज के आराध्य भगवान सहस्त्रबाहु अर्जुन और बलभद्र की प्रतिमाएं एकसाथ विराजमान हैं, और दोनों प्रतिमाएं अष्टधातु की हैं। कलचुरी समाज को इस मंदिर के रूप में एक गौरवशाली धरोहर प्रदान करने वाले युवा समाजसेवी राजकुमार जायसवाल जल्द ही इस मंदिर के साथ एक धर्मशाला का निर्माण भी कराने जा रहे हैं।
मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर निवासी वरिष्ठ समाजसेवी श्री किशोर राय ने देशभर में संपूर्ण कलचुरी समाज तक इस मंदिर की जानकारी पहुंचाने के उद्देश्य से शिवहरेवाणी से बात की। वह इन दिनों अपने परिवार के साथ कोलकाता की यात्रा पर हैं। बीते रोज श्री किशोर राय अपनी धर्मपत्नी वरिष्ठ समाजसेविका श्रीमती मनीषा राय और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ अखिल भारतीय सहस्त्रबाहु बलभद्र मंदिर पहुंचे, तो युवा समाजसेवी श्री राजकुमार जायसवाल व उनकी धर्मपत्नी श्रीमती हर्षिता जायसवाल द्वारा किए गए स्वागत-सम्मान ने उन्हें अभिभूत कर दिया।
श्री किशोर राय द्वारा उपलब्ध कराए संपर्क के माध्यम से शिवहरेवाणी ने श्री राजकुमार जायसवाल से बात की। उन्होंने बताया कि देशभर के कलचुरी समाज में कोलकाता के सहस्त्रबाहु मंदिर की बढ़ती प्रतिष्ठा उनके सपने को साकार कर रही है। अब वह इस मंदिर के साथ एक धर्मशाला का निर्माण कराने का प्रयास भी कर रहे हैं जिसमें कोलकाता आने वाले कलचुरी बंधुओं के लिए ठहराव की व्यवस्था होगी। और, उन्हें जल्द ही यह सपना भी साकार हो जाने की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2013 में वह इंदौर गए थे तो वहां भगवान सहस्त्रबाहु की प्रतिमा देख उन्हें कोलकाता में भी भगवान सहस्त्रबाहु का एक भव्य मंदिर बनाने की ठानी।
अखिल भारतीय श्री सहस्त्रबाहु बलभद्र मंदिर राधेश्याम मैमोरियल के राष्ट्रीय संचालक श्री राजकुमार जायसवाल ने बताया कि आम्हर्ष रोड पर ही उनके घर के सामने 1200 वर्ग फुट का एक पैतृक स्थान था जिस पर मंदिर बनाने का निर्णय उन्होंने किया। इसके लिए भुवनेश्वर से भगवान सहस्त्रबाहु और बलभद्र की अष्टधातु की प्रतिमा का निर्माण कराया और 27 अगस्त 2017 को भव्य समारोह के साथ इन प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा की गई जिसमें देशभर से कलचुरी समाज के प्रमुख समाजसेवियों ने भागीदारी की। मंदिर परिसर में महान इतिहासकार स्व. श्री काशीप्रसाद जायसवाल की प्रतिमा भी रखी है।
खास बात यह है कि इस मंदिर के हॉल में उन लोगों के चित्र भी लगाए गए हैं जिन्होंने किसी न किसी रूप में समाज को आगे बढ़ाने के लिए योगदान किया है। इस क्रम में यहां स्व. श्रीमती मीनाक्षी संतोष कुमार जायसवाल (महाराष्ट्र), स्व. श्री रामस्वरूप जायसवाल (दौसा, राजस्थान) और स्व. श्री सुभाष जायसवाल (इंदौर) के चित्र लगाए गए हैं। भविष्य में यह पहल एक भव्य गैलरी का रूप लेगी जिसमें देशभर के समाजसेवियों की स्मृतियों को संजोया जाएगा।
गौरतलब यह भी है कि इतना बड़ा कार्य श्री राजुकमार जायसवाल अपने ही संसाधनों से करा रहे हैं। कंस्ट्रक्शन कॉंट्रेक्टर श्री राजकुमार जायसवाल ने दावा किया कि उन्होंने अब तक किसी से भी कोई चंदा या योगदान नहीं लिया है। आगे भी कोशिश है कि इसी तरह समाज के काम को अंजाम देते रहें। राजकुमार जायसवाल बताते हैं कि उनके पिता स्व. श्री उमाशंकर जायसवाल और माताजी स्व. श्रीमती कलादेवी की स्मृतियां उन्हें निःस्वार्थ भाव से समाजहित में कार्य करने की प्रेरणा देती हैं।
यही नहीं, श्री राजकुमार जायसवाल ने 1997 में अपने घर में ही एक सर्वधर्म मंदिर भी बनाया जिसकी देखरेख उनकी धर्मपत्नी श्रीमती हर्षिता जायसवाल करती हैं, जो अखिल भारतीय श्री सहस्त्रबाहु बलभद्र मंदिर राधेश्याम मैनोरियल की राष्ट्रीय महिला संचालक भी हैं। इस मंदिर में हिंदू देवी-देवताओं की प्रतिमाओं के साथ ही सिख, बौद्ध, क्रिश्चियन और मुस्लिम धर्म से जुड़े प्रतीक भी स्थापित हैं।
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