November 22, 2024
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
समाचार साहित्य/सृजन

बेटे-बेटियों के लिए उपयुक्त जीवनसाथी की तलाश और मध्यस्थ की भूमिका पर कुछ ज्वलंत प्रश्न

पांच वर्ष पहले की बात है, प्यारेलाल के ही कहने पर एक लड़के का फोटो, बायोडाटा मैंने उनकी कन्या के लिए बताया था। चार दिन सोच-विचार करने के बाद उनका रुखा जा जवाब आया था “इससे भी अच्छा पैकेज, बड़ा घर और हैंडसम लड़का चाहिए।” मुझे पहले से ही पता था कि ऐसा ही कहकर उन्होंने पहले ही अच्छे-अच्छे बहुत से रिश्ते नापसंद किए थे। फिर भी मेरे नजदीकी रिश्ते में होने के कारण और योगायोग से उन्हीं दिनों एक योग्य लड़के का बायोडाटा भी मेरे पास आया हुआ था, इसलिए यह रिश्ता पक्का हो सकता है यह सोचकर मैंने न चाहते हुए भी उनको बताया था। वह तो अच्छा हुआ कि प्यारेलाल को बायोडाटा देने की जानकारी मैंने आज तक लड़के के परिवार को नहीं दी क्योंकि यह बात समाज में सभी को उस समय भी पता थी। आज तो किसी आयोजन में लोग उनको देखकर ही दूसरी ओर खिसकने लगते हैं।
आज फिर उनका फोन आया था। नमस्कार करने के बाद आदतन मैंने पूछा- “कैसे हो?” वह बोले, “मैं तो ठीक हूं लेकिन आप हमसे नाराज हो।” मैंने कहा, “मैं क्यों आपसे नाराज रहुंगा?” तो वह बात को घूमा-फिराकर कहने लगे, “आपने एक रिश्ते के बाद दुबारा हमें कोई रिश्ता बताया ही नहीं! आपने तो कई रिश्ते जोड़े हैं, कोई अच्छा सा रिश्ता हो तो बताइए ना हमारी बिटिया के लिए।” उनकी बत्तीस वर्षीय बेटी के रिश्ते के बारे में मैं क्या कहता और बताता? चुपचाप उनकी अपेक्षाओं को देर तक सुनता रहा और उनकी लड़की को पहले बताए उस बायोडाटा वाले लड़के को याद करता रहा जो मेरे द्वारा बताए गए दो लड़कियों के बायोडाटा में से एक के साथ छह महीने के भीतर ही विवाह कर आज अच्छे पैकेज और तीन वर्ष की बिटिया के साथ अपने घर परिवार के साथ खुश हैं। अंत में “ठीक है, देखकर बताता हूं।” कहकर फोन बंद किया।
ऐसे ही बहुत से चिंतित माता-पिता अपनी तीस-बत्तीस साल की बिटिया के लिए योग्य ‘लड़का’ तलाश कर रहे है। समस्या यह भी है कि इसी उम्र के बड़े पैकेज के लड़के अपनी बराबर के उम्र की लड़की से विवाह नहीं करना चाहते। उनको अपने से उम्र में छोटी लड़की की तलाश होती है। बड़े उम्र की लड़की के लिए उनके पास अलग-अलग नकारात्मक तर्क होते हैं।
एक बात यह भी है कि दोनों पक्ष एक-दूसरे से सीधे संवाद नहीं करते,  वे लोग रिश्ता बताने वाले को जासूस समझकर सारी जानकारी उसी से पाना चाहते हैं। ऐसे में आजकल कोई किसी को लड़का-लड़की के विवाह के लिए रिश्ते ही नहीं बता रहा क्योंकि बताने वाला ही दोनों की अपेक्षाओं का बोझ ढोते और उनके परिवारों को जवाब देते-देते परेशान हो जाता है। सुनी-सुनाई जानकारी दो और गलत निकले तो बैठे-बिठाए की आफत। और, आजकल बरसों नजदीकी रिश्तेदार से ना मिले, समाज से कटे, जॉब करने वाले ऐसे लड़के-लड़कियों की सही जानकारी तो उनके अपने माता-पिता को भी पता नहीं होती। फिर कौन इसमें अपने हाथ काले करें?
मानवता, सामाजिक दायित्व, रिश्तेदारों के प्रति अपनापन और समाजसेवा को ध्यान में रखकर इतना सब करने के बाद अगर विवाह हो जाता है तो बाद में उनका एक फोन तक नहीं आता और ना ही मुलाकात होने पर धन्यवाद का एक शब्द उनके मुंह से निकलता है। काम निकलने के बाद उनके लिए तुम कौन? लेकिन विवाह के बाद अगर उनका आपसी मामला बिगड़ जाता है तो आपसे शिकायत जरुर होती है। यह मेरा अपना अनुभव है।
इस अवसर पर एक मजेदार अनुभव आपसे साझा करने का मोह मैं त्याग नहीं पा रहा हूं। किस्सा इस तरह का है कि एक दिन एक धनाढ्य रिश्तेदार महिला का फोन आया। पिछले पीढ़ी के आपसी संबंधों का हवाला और समाज में मेरी जान-पहचान का हवाला देकर उन्होंने बताया कि, “मेरी बेटी के लिए एक रिश्ते की बात चल रही है। लड़का आपके ही शहर के रामलाल जी का बेटा है, आप तो जानते ही होंगे?” मैंने कहा- “बहुत अच्छी तरह, बहुत बार रामलाल जी मुलाकात भी होती रहती है।” उन्होंने बात आगे बढ़ाते हुए पूछा- “कैसे लोग हैं? घर परिवार कैसा है?” मैंने कहा- “मैंने तो आज तक उनके बारे में कोई ग़लत बात नहीं सुनी। उनके हर कार्य में मैं गया हूं लेकिन उनके घर कभी नहीं गया, लोकेशन पता है लेकिन उधर कभी जाने की आवश्यकता नहीं होती।”
अब वह महोदया उस विषय पर आईं जिसके लिए उन्होंने मुझे फोन किया था। कहने लगीं, “लड़का तो एक संस्थान में नौकरी कर रहा है, पता नहीं वह डेलीवेजेस पर है परमेनेंट? आप पता लगाकर बताइए ना। वह क्या है कि जीवन-भर की बात है। प्लीज।” उनकी बात सुनकर मुझे बहुत गुस्सा आया। अगर यह बात उनके पति ने कहा होता तो शायद मैं उनको कुछ कह बैठता लेकिन मामला महिला का था तो मैंने संतुलित होकर स्पष्ट शब्दों में कह दिया- “इस तरह के फालतू काम  मैंने आज तक कभी किए नहीं है। आपको लड़के वालों पर विश्वास नहीं है, कोई शंका हो तो रिश्ता ना करें।”
कुछ दिनों बाद मेरे ही शहर में यह विवाह संपन्न हुआ। पता नहीं उन दोनों के परिवार में मुझे लेकर अच्छी-बुरी क्या बात हुई कि वधू पक्ष के साथ-साथ मेरे ही शहर का वर पक्ष भी जिन रामलाल जी के परिवार के प्रत्येक कार्यक्रम में मैं उपस्थित रहा, दोनों ही मुझे निमंत्रण देना भूल गए।
और अंत में …
आजकल वैवाहिक मामले के 80 प्रतिशत फोन महिलाओं के ही आते हैं। कोई पुरुष फोन करते भी हैं तो एक-दो बार की बातचीत के बाद यह मोर्चा उनकी श्रीमती जी के नेतृत्व में आगे बढ़ता है।
(आज इतना ही, अगली कड़ी जल्दी ही।)
 

पवन नयन जायसवाल
राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष- अखिल भारतीय जायसवाल (सर्ववर्गीय) महासभा
संयोजक- भगवान श्री सहस्रार्जुन जन्मोत्सव जागरुकता अभियान
संपर्क, संवाद, संदेश-
9421788630
pawannayanjaiswal@gmail.com
 

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