April 13, 2025
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
समाचार

सस्पेंस खत्म; भाजपा ने रुधौली में विधायक संजय जायसवाल की पत्नी को बनाया प्रत्याशी; और लंबा चलेगा मां का अन्न उपवास

बस्ती।
भारतीय जनता पार्टी ने मौजूदा विधायक संजय प्रताप जायसवाल की जगह उनकी पत्नी श्रीमती संगीता जायसवाल को रुधौली विधानसभा सीट से अपना प्रत्याशी घोषित किया है। भाजपा ने रविवार देर रात 45 प्रत्याशियों की सूची घोषित की। रुधौली से संगीता जायसवाल की टिकट पक्की मानी जा रही थी, और बीती गुरुवार को उन्होंने निर्वाचन कार्यालय से भाजपा प्रत्याशी के रूप में नामांकन पत्र भी ले लिया था। 
बता दें कि संजय प्रताप जायसवाल काफी पहले से क्षेत्र में कड़ी मेहनत कर रहे थे, क्षेत्र की जनता से मिल रहे थे, सभाएं कर रहे थे। लेकिन, भाजपा ने कुछ दिन पहले ही इस सीट से महिला प्रत्याशी खड़ा करने के निर्णय किया था, और अब उनकी जगह उनकी पत्नी को प्रत्याशी घोषित कर दिया। रविवार देर रात सूची सामने आने के बाद संजय जायसवाल ने अपने फेसबुक पेज पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह, सुनील बंसल, सांसद हरीश द्विवेदी और क्षेत्रवासियो का आभार व्यक्त किया है।
बता दें कि संजय प्रताप जायसवाल को यदि भाजपा का टिकट मिला होता और वह जीत जाते तो उनकी विजय की हैट्रिक होती। संजय जायसवाल 2012 के चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर औऱ 2017 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के रूप में विधायक निर्वाचित हुए थे। बीते 5 साल के कार्यकाल में उन्हें विधायक निधि से 11 करोड़ मिला, उन्होंने इसका 100 फीसदी पैसा अपने विधानसभा क्षेत्र के विकास में लगाया। संजय जायसवाल अपने क्षेत्र के सबसे लोकप्रिय नेता माने जाते हैं। 
लगभग 51 वर्षीय संजय प्रताप ग्रेजुएट हैं। 1994 मे उनका विवाह संगीता जायसवाल से हुआ। संगीता जायसवाल पढ़ी-लिखी घरेलू महिला हैं जो अब राजनीति में आई हैं। राजनीति मे संजय प्रताप जायसवाल का लंबा संघर्ष है। छात्रजीवन से ही राजनीति में रहे। राजनीति में संजय जायसवाल के कड़े संघर्ष को देखते हुए उनकी उनकी मां श्रीमती मायादेवी जायसवाल ने मन्नत मांगी थी कि जब तक बेटा विधायक नहीं बन जाएगा, वह अन्न का एक दाना भी ग्रहण नहीं करेंगी। कई साल उन्होंने अन्न ग्रहण नहीं किया। संजय जायसवाल ने 2002 में पहली बार चुनाव लड़ा मगर सफलता नहीं मिली। 2012 में संजय प्रताप विधायक निर्वाचित हुए तब जाकर उनकी मां ने उपवास तोड़ा। लेकिन, 2013 में फिर उन्होने बेटे के मंत्री बनने की मन्नत मांगते अन्न त्याग दिया। और, उनका यह अन्न उपवास आज भी जारी है। 
माया देवी का कहना है कि वो सिर्फ फलाहार करती है और पूजा-पाठ में लीन रहती है।. उनका कहना है कि बेटे का बुलंदियों पर पहुंचना ही उनका एकमात्र सपना और लक्ष्य हैं, वह हमेशा अपने बेटे का साथ देती रहेंगी। वहीं, संजय जायसवाल का कहना है कि मां के आशीर्वाद से आज वो राजनीति में इस मुकाम पर पहुंचे हैं उनके विधायक बनने में भी मां ने पहले 12 साल व्रत रखा और फिर से वो विधायक बने।  इसके लिए उनकी मां ने व्रत रखा है। मतलब 20 साल से मां उनकी तरक्की के लिए उपवास पर है।
संजय प्रताप जाययसवाल इस बार चुनाव जीतते तो भाजपा सरकार बनने की स्थिति में उनके मंत्री बनने की प्रबल संभावना थी। अब देखना यह है कि मां की मन्नत कब पूरी होती है, और संजय प्रताप जायसवाल की राजनीति में क्या तरक्की होती है।
 

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