Shiv Hare Vaani नाम तो बस रूप का बोध मात्र है। श्री राधाजी कहती हैं कि दोनों (राम और कृष्ण) के नाम लेने का
कलचुरी, कलवार, कलार समाज को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एकता के सूत्र में पिरोने के लिए और समाज की प्रतिष्ठा को और बढ़ाने के लिए "शिवहरेवाणी" पोर्टल बनाया गया है। "