कोटा।
अपने कलाल समाज को भूखंड दान करना दानदाता परिवार के लिए ही मुसीबत बन गया था। वर्षों से विवाद, थाना-चौकी और जलालत झेल रहे इस दानदाता परिवार को यथोचित सम्मान देने का काम किया है कलाल समाज कोटा के मौजूदा नेतृत्व ने। अध्यक्ष राहुल पारेता की पहल पर भूखंड विवाद का न केवल त्वरित निस्तारण किया गया, बल्कि यहां निर्मित ‘कलाल छात्रवास भवन, जगपुरा’ का नामकरण भी दानदाता लीला देवी के नाम पर कर दिया। नई कमेटी के सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार से लीला देवी और उनका परिवार भावुक नजर गया।
कलाल समाज कोटा के अध्यक्ष श्री राहुल पारेता ने बीते रविवार को कलाल छात्रावास भवन जगपुरा में समाज की एक बैठक बुलाई थी, जिसका उद्देश्य छात्रावास भवन के भूखंड को लेकर चल रहे विवाद का निस्तारण करना था। बैठक में भूखंड दान करने वाले परिवार के सदस्यों साथ ही समाज के पदाधिकारियों को भी बुलाया गया था। राहुल पारेता का कहना था कि कि पिछले सभी विवादों को भुलाकर केवल भूखंड से संबंधित कागजात पर ही बात होगी और उसे ही सत्य मान लिया जाएगा। समाज के अधिवक्ताओं एडवोकेट रोहित पारेता और एडवोकेट पुष्पलता मालवीय ने इन कागजों के अध्ययन के बाद यह माना कि दानदाता परिवार ने मूलरूप से ‘60 फुट गुणा 120 फुट’ का भूखंड ही समाज को दिया था। कलाल समाज कोटा ने अधिवक्ताओं के इसी निष्कर्ष को शिरोधार्य कर वर्षों के विवाद पर पूर्ण विराम लगा दिया।
बैठक में मौजूद समाजजनों ने अध्यक्ष राहुल पारेता के इस समाधान का तालियां बजाकर स्वागत किया। राहुल पारेता ने भूखंड की दानदाता श्रीमती लीला देवी, उनके पति श्री चंद्रप्रकाश मेवाड़ा, पुत्र श्री सुरेश मेवाड़ा, पुत्रवधु श्रीमती रीना मेवाड़ा, इस परिवार के अन्य सदस्यों श्री प्रेमचंद मेवाड़ा, श्रीमती विमला देवी, श्री राकेश कुमार और श्रीमती लक्ष्मी बाई को साफा बांधकर और शॉल ओढ़ाकर उनका स्वागत किया। साथ ही घोषणा की गई कि जगपुरा के इस छात्रावास का नाम दानदाता श्रीमती लीलादेवी के नाम पर होगा, भविष्य में यह छात्रावास ‘लीलादेवी कलाल छात्रावास भवन, जगपुरा’ के रूप में जाना जाएगा। कलाल समाज कोटा के मौजूदा अध्यक्ष और उनकी कार्यकारिणी की इस सदभावना और सहानुभूति से दानादाता परिवार बहुत भावुक नजर आया, लीला देवी की आंखें छलक आईं… इन आंसुओं में उनके सारे गिले-शिकवे भी बह गए।
क्या था विवाद
जानकारी के मुताबिक श्रीमती लीला देवी पत्नी श्री चंद्रप्रकाश मेवाड़ा ने जगपुरा में ‘120 गुणा 120’ फुट का एक भूखंड 80 के दशक में खरीदा था। भूखंड काफी समय तक खाली पड़ा रहा, जिसके चलते आसपास के एक जाति विशेष के लोग उस पर कब्जा करने लगे। श्री चंद्रप्रकाश मेवाड़ा ने वर्ष 2009 में इसे लेकर कलाल समाज कोटा से संपर्क किया और कुल भूखंड में आधा हिस्सा ‘60 गुणा 120’ फुट यानी कुल 7200 वर्ग फुट का भाग समाज को दान कर दिया। समाज के तत्कालीन नेतृत्व का दावा यह था कि मौके पर इस हिस्से की पैमाइश ‘60 गुणा 165 फुट’ होने का दावा करते हुए इसकी बाउंड्रीवाल करवा दी। इसी को लेकर कलाल समाज कोटा और दानदाता के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा था। एक जून, 2022 को कलाल समाज कोटा के तत्कालीन अध्यक्ष श्री महावीर कलाल और महामंत्री श्री युवराज सुवालका समेत पूरी कार्यकारिणी के हस्ताक्षर से लीलादेवी के परिवार पर अपने वादे से मुकरने का आरोप लगाते हुए शिकायत थाना अनंतपुरा में दी गई थी। इन सब बातों से लीलादेवी का पूरा परिवार बहुत तनाव में था, इतना बड़ा भूखंड समाज को दान करने के बावजूद उन्हें थाना-चौकी के चक्कर लगाने पड़ रहे थे, समाज में जलालत झेलनी पड़ रही थी।
बैठक में ये थे शामिल
बैठक में कलाल समाज कोटा के महामंत्री हरीश पारेता, कोषाध्यक्ष नरेश तलाईचा, उपाध्यक्ष प्रकाश (पिंटू) सुवालका, उपमंत्री आनंद मेवाड़ा, पेंशन समिति के चेयरमैन जगदीश मेवाड़ा, कार्यकारिणी सदस्य शांति सुवालका, डॉ.कृष्ण गोपाल पारेता, बद्रीलाल पारेता, विधि सलाहकार एडवोकेट रोहित पारेता, संरक्षक संरक्षक व पूर्व अध्यक्ष नरेन्द्र भास्कर, विकास मेवाड़ा, पूर्व महासचिव हरिशंकर माहुर, युवा मंडल अध्यक्ष कपिल पारेता, युवा महामंत्री हिमांशु कलाल, युवा कोषाध्यक्ष रोहित माहुर, आयुष पारेता, शिवम पारेता, अजय पारेता, मनीष पारेता, रौनक पारेता, तरुण पारेता, अजय पारेता, पवन सुवालका, महिला मंडल की पूर्व अध्यक्ष व संरक्षक अंजू माहुर, अध्यक्ष ममता पारेता, महामंत्री चंदा मेवाड़ा, कोषाध्यक्ष वीनू ग्वालेरा, पुष्पा पारेता, सिम्पल मेवाड़ा, शिखा पारेता, राजेश तलाईचा, प्रीति मेवाड़ा, अनिता मेवाड़ा, गुड्डी पारेता, समाज के सम्मानित सदस्य फूलचंद पारेता, मुकुट मेवाड़ा, समाजसेवी रणजीत सुवालका, बबलू पारेता, दिनेश सुवालका, नन्दकिशोर पारेता, दिनेश मेवाड़ा, अमित मेवाड़ा समेत समाजबंधु बड़ी संख्या में मौजूद रहे ।
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