उदयपुर।
एक महिला की सफलता दो परिवारों का नाम रोशन करती है। आबकारी विभाग में सहायक लेखा अधिकारी श्रीमती वीणा सुवालका के जज बनने के बाद से ससुराल के साथ मायके में भी जश्न का माहौल है, बधाइयों का सिलसिला थम नहीं रहा। वीणा सुवालका ने राजस्थान न्यायिक सेवा (आरजेएस) परीक्षा में 168.5 अंक प्राप्त कर 74वां स्थान प्राप्त किया है।
उदयपुर में सरकारी शिक्षक श्री नरेश सुवालका की पत्नी श्रीमती वीणा सुवालका एलएलबी और सीए कंप्लीट करने के बाद जेआरएफ और नेट की परीक्षाएं भी क्वालीफाई कर चुकी हैं। राजस्थान प्रशासनिक सेवा (आरएएस) परीक्षा में दो बार प्रारंभिक परीक्षा क्वालीफाई कर मुख्य परीक्षा तक पहुंची हैं। आरजेएस में उन्होंने चौथे अटेंप्ट में कामयाबी हासिल की है। शिवहरेवाणी से बातचीत में वीणा सुवालका ने कहा कि अपने करियर को स्वप्निल मुकाम देने का उनका संघर्ष अब मंजिल पर पहुंचा है। इसके लिए वह अपने ससुराल और मायके, दोनों परिवारों को श्रेय देती हैं।
वीणा सुवालका ने बताया कि वह 7-8 साल की थीं, तब पिता स्व. श्री शिवलाल सुवालका का साया सिर से उठ गया था। मां संपत देवी ने बड़े संघर्षों से उनका लालन-पालन किया, कुछ बड़ा होने पर उनकी शिक्षा की जिम्मेदारी बड़े भाई राजकुमार सुवालका ने उठाई। इन संघर्षपूर्ण परिस्थितियों में पढ़ाई कर रहीं वीणा सुवालका ने तभी ठान लिया था कि उन्हें जज बनना है। यह उनके सपने की शिद्दत ही थी कि स्कूल के दिनों में ही सहपाठी उन्हें जज कहकर बुलाने लगे थे। इसी सपने को लेकर वीणा ने 2013 में एलएलबी की। एलएलबी के साथ उन्होंने सीए की भी तैयारी शुरू कर दी थी। 2013 में उनका चयन उदयपुर के आबकारी विभाग में सहायक लेखाधिकारी के पद पर हो गया। 2014 में जब वीणा का विवाह हुआ, उनका सीए का एक ग्रुप बाकी रह गया था।
शादी के बाद वीणा को पति नरेश सुवालका और ससुरालवालों का उन्हें पूरा सहयोग मिला और नौकरी करते हुए सीए का आखिरी ग्रुप भी निकाल लिया। इसके बाद यूजीसी की जेआरएफ और नेट परीक्षाएं भी क्वालीफाई कर लीं। आऱएएस की परीक्षा में दो बार उन्हें प्रिलिम्स क्वालीफाई कर मेन्स की परीक्षाएं दीं। लेकिन उनका सबसे बड़ा तो सपना जज बनने का था, जिसके लिए वह लगातार तैयारी कर रही थीं, 2018 में वह आरजेएस परीक्षा के साक्षात्कार तक पहुंची थीं, लेकिन फाइनल रिजल्ट में जगह नहीं बना पाईं थीं। इसके बाद एक और अटेंप्ट में वह कामयाब न हो सकीं। लेकिन हर असफलता ने वीणा के संकल्प को और मजबूती दी, उनकी कोशिशों को और तेज कर दिया।
कहते हैं कि एक महिला को कदम-कदम पर परिस्थितियों से लड़ना पड़ता है, ऐसा ही कुछ वीणा के साथ भी हुआ। आरजेएस 2021 की तैयारी कर रही थीं, तो गर्भवती हो गईं। उन्होंने पूरी तैयारी गर्भावस्था में की। प्रेग्नेंसी के नवें महीने में उन्होंने प्रिलिम्स के पेपर दिए। बेटी जब चार महीने की थी तब मेन्स की परीक्षा थी। वह आफिस जाने से पहले लाइब्रेरी जाकर तैयारी करती और फिर ऑफिस से घर आकर बेटी को संभालते हुए तैयारी करती थी। मेन्स में परीक्षा के बाद साक्षात्कार भी इन्हीं परिस्थितियों में दिया, बेटी आन्या सुवालका उस समय छह महीने की थी। वीणा मानती हैं कि पूरे समर्पण भाव के साथ तैयारी और असफलताओं के बावजूद धैर्य नहीं खोना ही उनकी सफलता का रहस्य है। उनका कहना है कि निराशा को खुद से दूर रखकर ही आगे का सफर तय हो सकता है।
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