November 1, 2024
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
शिक्षा/करियर

अभावों से निकाली राह, इस तरह आरएएस अफसर बना किसान का बेटा रजनीश मेवाड़ा

अजमेर। 
राजस्थान के अजमेर जिले में मानपुरा गांव के रजनीश मेवाड़ा ने राजस्थान प्रशासनिक सेवा (आरएएस) परीक्षा-2018 में अपने पहले ही प्रयास में कामयाबी हासिल की है। रजनीश को 579वीं रैंक मिली है और उन्हें सबोर्डिनेट सेवा में अवसर मिलता तय है। हालांकि पहले प्रयास की सफलता से उत्साहित रजनीश एक बार फिर आरएएस की तैयारी में जुट गए हैं, और उनकी कोशिश होगी कि इस बार शीर्ष में जगह बनाकर डिप्टी कलक्टर बनने का सपना साकार करें। रजनीश मेवाड़ा की सफलता पर जिलेभर के कलार, कलवार समाज ने हर्ष व्यक्त किया है और बीते दिनों रिजल्ट घोषित होने के बाद रजनीश अपने गांव मानपुरा पहुंचे तो ग्राम पंचायत के साथ ही समाज के लोगों ने भी उनका स्वागत किया। 

अजमेर में केकड़ी तहसील से 20 किलोमीटर दूर हिगोनिया ग्राम पंचायत के मानपुरा गांव के किसान श्री शिवराज मेवाड़ा और श्रीमती सुनीता देवी के पुत्र रजनीश मेवाड़ा ने प्रारंभिक और माध्यमिक शिक्षा मानपुरा के सरकारी स्कूल से ही की। स्नातक की पढ़ाई केकड़ी के एक डिग्री कालेज से की। पढ़ाई के दौरान रजनीश माता-पिता के साथ खेत में काम भी करता था। लेकिन उसे लगा कि गांव में इस तरह रहते हुए डिप्टी कलक्टर बनने का सपना साकार कर पाना मुश्किल होगा, लिहाजा बीए के बाद उसने जयपुर जाकर पढ़ाई करने का निर्णय किया। 

घर की आर्थिक हालत ऐसी नहीं थी कि माता-पिता वहां उसके रहने और पढ़ने का खर्चा वहन कर सकें। फिर भी पिता ने बेटे के साथ दिया और उसे जयपुर भेज दिया। घर के हालात रजनीश भी जानता था, लिहाजा 2013 में जयपुर आने के साथ ही उसने अपने खर्चे निकालने के लिए एक प्राइवेट नौकरी पकड़ ली। ऐसा करते हुए उसने बीएड किया और फिर एमए (राजनीति शास्त्र) करने के बाद आरएएस की तैयारी के लिए एक कोचिंग में दाखिला ले लिया। इस दौरान वह घर से कम ही पैसा लेता था। 

आरएएस की तैयारी करते हुए रजनीश को लगा कि इस तरह प्राइवेट नौकरियां करते हुए सफलता पाना मुश्किल हो जाएगा। लिहाजा उसने नौकरी छोड़ दी। और, कोचिंग एडमिनिस्ट्रेशन से बात कर वहां अन्य बैचों की टेस्ट कॉपियां जांचने का काम शुरू कर दिया। रजनीश का कहना है कि एक कॉपी जांचने के 50 रुपये मिलते थे, और इस लिहाज से यह बेहतर जॉब था कि इसमें पढ़ाई से जुड़े रहकर कमाई भी होती थी। इस तरह कम समय से छोटे-छोटे काम करके वह अपने और कोचिंग फीस और रहने का खर्च भी निकालते रहे। 

रजनीश के बारे में सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि मुश्किल हालात का सामना करने के बाद भी अपने लक्ष्य से भटके नहीं और कड़ी मेहनत करते हुए आरएएस-2018 की परीक्षा में पहले ही प्रयास में सफलता पा ली। उन्हें 579वीं रैंक मिली है, लेकिन रजनीश इससे बहुत खुश नहीं हैं। शिवहरेवाणी से बातचीत में उन्होंने कहा कि वह एक फिर आरएएस परीक्षा देंगे और शीर्ष रैंक में आने का प्रयास करेंगे, ताकि डिप्टी कलक्टर बनने के अपने सपने का साकार कर सकें। वह संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा भी देंगे। हालांकि वह यह भी कहते हैं कि आरएएस-2018 में उन्हें जो भी पोस्ट या काम मिलेगा, उसे करते हुए तैयारी जारी रखेंगे। 
रजनीश के परिवार में माता-पिता के अलावा उनकी बड़ी बहन आशा हैं जिनका विवाह केकड़ी में हुआ है। छोटा भाई ब्रजेश मेवाड़ा बीए करने के बाद प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा है। रजनीश अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता और गुरुजनों के आशीर्वाद के साथ ही कड़ी मेहनत को देते हैं। रजनीश फिलहाल मानपुरा में अपने घर आए हुए हैं और ‘गुदड़ी का यह लाल’ पूरे गांव के बच्चों के लिए रोल मॉडल बन गया है। 

 

 

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