ग्वालियर/अहमदाबाद।
ग्वालियर के शिवहरे समाज में इन दिनों एक स्पेशल कोर्ट का हालिया फैसला चर्चा में है। इस मामले में दामाद ने अपने ससुर को भ्रष्टाचार और घूसखोरी के आरोप में जेल भिजवा दिया। स्पेशल कोर्ट ने ससुर को लैब टैक्नीशियन के साधारण पद पर रहते हुए गलत तरीके से आय से अधिक संपत्ति जुटाने का दोषी पाते हुए चार साल की जेल और एक करोड़ रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई है।
खास बात यह है कि दामाद अमोल शिवहरे ने खुद ही एक जासूस की तरह तीन साल खोजबीन कर ससुर के खिलाफ साक्ष्य जुटाकर लोकायुक्त के जांच अधिकारी को सौंपे। 2010 से चल रहे इस मामले में विशेष अदालत ने बीती 24 अगस्त को ससुर के खिलाफ फैसला सुनाया है। मामला पारिवारिक विवाद से शुरू हुआ था। अहमदाबाद (गुजरात) निवासी अमोल शिवहरे का कहना है कि ‘उसकी पत्नी निधि बार-बार अपने पिता के पैसों की धौंस देती थी, परिवार के लोगों की नीचा दिखाती थी। जबकि, ग्वालियर के एक सिविल अस्पताल में लैब टैक्नीशियन की नौकरी कर रहे उसके ससुर की तनख्वाह उस समय उसके (अमोल के) वेतन से काफी कम थी। तब उसने पत्नी और उसके पिता को सबक सिखाने की सोची।‘ इस बीच पारिवारिक विवाद बढ़ता गया, ससुर ने भी दामाद के खिलाफ दहेज प्रताड़ना समेत कई केस दर्ज कर दिए थे। फिलहाल, मौजूदा स्थिति में अमोल का उसकी पत्नी से तलाक हो चुका है, ससुर भी कुछ साल पहले रिटायर हो चुके हैं।
अमोल शिवहरे ने मीडिया को इस पूरे मामले की तफ्सील से जानकारी दी है। अहमदाबाद निवासी अमोल शिवहरे बीएसएनएल में सब डिवीजनल ऑफिसर (एसडीओ) हैं। अमोल की शादी 2009 में ग्वालियर की निधि से हुई थी जो बीएएमएस डाक्टर है। निधि के दोनों भाई भी उस समय एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे थे। शादी के एक साल बाद से उनके रिश्ते में तनातनी होने लगी। निधि अपने पिता के रुतबे और पैसों की धौंस देती थी। जरा-जरा सी बात पर परिवार को नीचा दिखाती थी। उसने ससुर से निधि की शिकायत की तो वह बेटी को समझाने के बजाय उलटे उसे ही बुरा-भला कहने लगे। तब अमोल ने तय किया कि वह उन्हें सबक सिखाकर रहेगा। इस बीच निधि ने मायके जाकर अमोल पर दहेज का केस लगा दिया। कोर्ट में मेंटनेंस का केस दायर कर गुजारा-भत्ते के लिए 50 लाख रुपयों की मांग भी कर दी।
अमोल बताते हैं कि, ‘मेरे ससुर सरकारी लैब टेक्नीशियन थे। मैंने सोचा कि एक लैब टेक्नीशियन के पास इतना पैसा आया कहां से? इसी का जवाब तलाशने के लिए ससुर की कुंडली खंगालनी शुरू की। सबसे पहले ग्वालियर में उनके पैतृक गांव कुलैथ पहुंचा। वहां के पटवारी से मिला। फिर सूचना के अधिकार का उपयोग करके इनकी प्रॉपर्टी पता की। वहां 30 बीघा जमीन होने का पता चला। ससुर के पास एक कार भी थी। इसके अलावा बैंक लॉकर भी था। निधि के लिए उन्होंने इंदौर में एक ब्यूटी सैलून शुरू कर दिया था।‘
अमोल इस मामले के पीछे पड़ चुका था। वह छुटि्टयां ले-लेकर चुपचाप ग्वालियर जाता, ससुराल के लोगों की प्रॉपर्टी के दस्तावेज हासिल करता। 2010 में वह पहली बार लोकायुक्त से मिला तो उन्होंने चेताया कि एक भी डॉक्यूमेंट गलत निकला तो आप उल्टे फंस जाएंगे। हो सकता है कि जेल भी जाना पड़े। लेकिन, अमोल ने बड़ी सतर्कता से एक-एक दस्तावेज जुटाए, उन्हें वैरीफाई कराया। सूचना के अधिकार से अलग-अलग विभागों से जानकारियां जुटाईं और ये सब प्रमाणित दस्तावेज प्राप्त कर लोकायुक्त पुलिस को देता रहा।
अमोल ने बताया- 23 अक्टूबर 2013 को लोकायुक्त की टीम ने मेरे ससुर के घर छापा मारा। मैंने जो भी दस्तावेज लोकायुक्त पुलिस को दिए थे, वो जांच में सच निकले। लोकायुक्त पुलिस ने उस समय बताया कि मेरे ससुर की तनख्वाह महज 20 हजार रुपए महीने है। कुछ इनकम खेती से भी थी। इस हिसाब से उनके पास करीब 40 लाख रुपए की कमाई का अनुमान लगाया गया, लेकिन उनका खर्च 1.62 करोड़ रुपए था। ससुर ने अपनी इनकम से 4 गुना ज्यादा खर्च किया है। केस कोर्ट में चलता रहा। अमोल के उपलब्ध कराए दस्तावेज की छानबीन के बाद जब लोकायुक्त ने उनके ससुर के बैंक लॉकर और जायदाद का असेसमेंट किया तो उनकी आय से 375 फीसदी ज्यादा बताई गई। अपने बचाव में ससुर ने कोर्ट में इसमें से कई प्रॉपर्टी को पैतृक संपत्ति बताया, लेकिन कोर्ट ने भी माना कि उन्होंने लैब टैक्निशियन रहते हुए आय से 283 फीसदी ज्यादा प्रॉपर्टी हासिल की है। इसी आधार पर कोर्ट ने उनके खिलाफ फैसला सुनाया।
अमोल बताते हैं- बीती 24 अगस्त को मेरे पास लोकायुक्त इंस्पेक्टर का फोन आया। उन्होंने बताया कि आपके ससुर को कोर्ट ने 4 साल जेल और 1 करोड़ रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है। जुर्माना न भरने पर उनको 6 महीने और जेल में रहना पड़ेगा। इसके अलावा उनकी संपत्ति कुर्क किए जाने के भी आदेश दिए गए हैं। अब मुझे इस बात की तसल्ली है कि मेरी लड़ाई किसी मुकाम पर तो पहुंची।
लोकायुक्त पुलिस ने कोर्ट में पेश किए गए दस्तावेज में ये भी बताया कि अमोल के ससुर के कुल वेतन का यदि 40 फीसदी भी मानें तो 13.88 लाख रुपए जीवनयापन पर खर्च हुआ। बड़े बेटे की एमबीबीएस की फीस पर 7.16 लाख रुपए खर्च का आकलन किया गया। ऐसे ही छोटे बेटे की एमबीबीएस की फीस पर नौकरी के दौरान 1.20 लाख रुपए की फीस और बेटी की फीस पर 2.25 लाख रुपए का आकलन करके शिवहरे (ससुर) की पूरी नौकरी के दौरान के खर्च का आकलन किया गया।
अमोल ने बताया- 2016 में निधि मेंटनेंस का केस हार गई। मैंने खुद अपनी पैरवी की। मैंने कोर्ट को बताया कि कैसे पत्नी ने मेरे परिवार को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया। वह खुद भी एक बीएएमएस डॉक्टर है। कोर्ट ने मेरी बात को समझा और मेंटनेंस का केस मैं जीत गया। इसके बाद मैंने तलाक की अर्जी दाखिल की। कोर्ट के आदेश के बाद वैधानिक रूप से हमारा तलाक हो गया।
(मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित)
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युवक ने ससुर को भ्रष्टाचार में जेल पहुंचाया; चार साल की सजा और एक करोड़ का जुर्माना; पारिवारिक विवाद से शुरू हुआ था मामला
- by admin
- September 2, 2023
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