बांसवाड़ा।
बांसवाड़ा में सामूहिक विवाह की अनूठी, महान और प्रेरणादायी परंपरा में ‘चार चांद’ लगाने का काम किया है यहां की नामचीन शख्सियत श्री हरीश कलाल ने। आप सोचेंगे कि बांसवाड़ा मेवाड़ा कलाल समाज के सामूहिक विवाह की परंपरा में ऐसा क्या खास है, और श्री हरीश कलाल ने ऐसा भी क्या कर दिया, जो इन शब्दों से नवाजा जाए! तो हम यही बताने जा रहे हैं।
राजस्थान में बांसवाड़ा के कलाल समाज के अंदर करीब दो दशक से सामूहिक विवाह की परंपरा चली आ रही है। यहां तक कि बांसवाड़ा के कलाल समाज में एकल विवाह लगभग प्रतिबंधित जैसा है औऱ हर कलाल परिवार अपने बच्चों की शादी सामूहिक विवाह में ही करता है। मेवाड़ा कलाल समाज की ओर से इस बार यह सामूहिक विवाह 28 नवंबर को होने जा रहा है। बांसवाड़ा में कलाल समाज के पूर्व अध्यक्ष श्री हरीश कलाल भी अपने बेटे प्रिंस का विवाह श्री राजेंद्र कलाल की पुत्री सुश्री मोहिनी के साथ इसी सामूहिक विवाह के माध्यम से कर रहे हैं। आपको बता दें कि पेट्रोल पंप एवं रीयल एस्टेट कारोबारी श्री हरीश कलाल ने सामाजिक सेवा के क्षेत्र में सराहनीय कार्यों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। समाजहित के कामों में वह तन-मन-धन से तैयार रहते हैं।
श्री हरीश कलाल ने गढ़ी के मोर गांव में 28 नवंबर को होने वाले सामूहिक विवाह समारोह से दो दिन पहले 26 नवंबर को 1500 जरूरतमंद स्कूली बच्चों को ड्रेस पहनाकर और भोजन कराकर अपने बेटे के विवाह की खुशी का इजहार किया। यह आयोजन श्री हरीश कलाल के सेनावासा स्थित घर पर हुआ। इसमें घाटोल उपखंड के 30 आंगनबाड़ी केंद्रों के 900 बच्चे, सेनावासा बालिका स्कूल की 200 छात्राएं, राजकीय उच्चर माध्यमिक विद्यालय के 200 बच्चे और 200 ही अन्य जरूरतमंद बच्चों को बुलाया गया था। इन सभी 1500 बच्चों को श्री हरीश कलाल ने ड्रेस प्रदान की, जिसके बाद उन्हें भोजन भी कराया।
अनुकरणीय है यह पहल
बांसवाड़ा के मेवाड़ा कलाल समाज के पूर्व अध्यक्ष श्री हरीश कलाल ने शिवहरेवाणी को बताया कि एकल विवाह में फिजूलखर्ची होती थी और परिवारों पर आर्थिक बोझ पड़ता था। इसे रोकने के लिए समाज के युवाओं ने सामूहिक विवाह समारोह करने की ठानी और व्यवस्था बनाई कि हर परिवार अपने बच्चों की शादी अनिवार्य रूप से सामूहिक विवाह के माध्यम से कराए। इस व्यवस्था के अनुपालन के लिए एकल विवाह करने पर समाज से निष्कासन की चेतावनी भी जारी की गई। इसके सार्थक परिणाम सामने आए और अब लगभग हर परिवार अपने बच्चों की शादी सामूहिक विवाह के माध्यम से करने को प्राथमिकता देता है। श्री हरीश कलाल ने बताया कि फिजूलखर्ची रोकने, समाज को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने और समाज के हर परिवार में समता का भाव जगाने में सबसे पहले कलाल समाज आगे आया है, जो अच्छी पहल है और सभी के लिए अनुकरणीय है।
18 दुल्हनों को शादी का जोड़ा, दूल्हों को देंगे हैलमेट
श्री हरीश कलाल 28 नवंबर को होने वाले सामूहिक विवाह समारोह में 18 दुल्हनों को शादी की ड्रेस, दूल्हों को हैलमेट और भारत माता की तस्वीर भेंट करेंगे। यही नहीं, वह 51 बेटियों के लिए सुकन्या समृद्धि योजना में पहली किस्त भी जमा कराएंगे, ताकि उन्हें सही समय पर लाभ मिल सके। आपको बता दें कि श्री हरीश कलाल ने वर्ष 2015 में घाटोल उपखंड की सभी 101 आंगनवाड़ी केंद्रों को गोद लेकर उसमें पढ़ने वाले लड़के-लड़कियों को बेहतर सुविधाएं मुहैया करवाने का काम किया।
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