आगरा।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 10 फरवरी को आगरा जनपद की नौ विधानसभा सीटों पर मतदान होगा। वर्तमान में आगरा की सभी नौ सीटें भाजपा के ही पास हैं, लेकिन इस बार पार्टी के लिए राह इतनी आसान नहीं है। अच्छे दिन के ‘मायाजाल’ में फंसकर पार्टी से जुड़ा नया वोटर इस बार उससे छिटक सकता है। ऐसे में अटकलें है कि पार्टी कुछ सीटों पर नए चेहरे आजमा सकती है । ये नए चेहरे कौन होंगे, इसे लेकर चर्चाएं है। और, चर्चाओं में एक नाम विजय शिवहरे का भी है जो पार्टी के अंदर ओबीसी वैश्य समाज के सबसे लोकप्रिय प्रतिनिधियों में से एक हैं।
बता दें कि ओबीसी वैश्य समाज यूपी की सियासत में उभरा एक नया जातीय वर्ग है जो जाट, राजभर और ब्राह्मण वोट बैंक में सेंध लगने की आशंका के चलते भाजपा की चुनावी गणित का एक महत्वपूर्ण घटक बन गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में 19 और वैश्य जातियां को ओबीसी मे शामिल करने की पहल कर इसके संकेत दिए थे। कलार, कसौधन समेत कई वैश्य जातियां पहले से ही ओबीसी में हैं। ओबीसी वैश्य वर्ग भाजपा के लिए मजबूत पत्ता हो सकता है जो परंपरागत वैश्य वोटरों के साथ ही ओबीसी मतदाताओं को भी साधने का काम करेगा। इस लिहाज से विजय शिवहरे टिकट के मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं, क्योंकि उनकी वैश्य वर्ग में स्वीकार्यता के साथ ही वैश्यों से इतर ओबीसी समाज पर भी अच्छी पकड़ है।
लेकिन, टिकट के लिए विजय शिवहरे की पात्रता का एक यही आधार नहीं है। ऊर्जावान युवा कार्यकर्ताओं के बीच लोकप्रियता विजय शिवहरे की दूसरी खूबी है जो उन्हें दौड़ में आगे रखती है। भाजपा के युवा कार्यकर्ताओं ने विजय शिवहरे फैन्स क्लब बनाया हुआ है और सोशल मीडिया पर इस ग्रुप से हजारों लोग जुड़े हैं। वे चाहते हैं कि विजय शिवहरे को इस बार टिकट दिया जाए, और वे अपने-अपने माध्यम से इसकी आवाज भी उठा रहे हैं।
छात्रजीवन से ही भाजपा से जुड़े विजय शिवहरे पार्टी एक समर्पित कार्यकर्ता के रूप में कई कड़े इम्तिहानों में सफल होकर उभरे हैं। मई 2016 में जब विजय शिवहरे भाजपा के महानगर अध्यक्ष बने थे, उस दौरान लगभग हर समाज ने और हर वर्ग ने अलग-अलग समारोह आयोजित कर उनका स्वागत किया। शहर में जगह-जगह उनके स्वागत समारोह हुए। लोकप्रियता के ऐसे नजारे आगरा के कम ही नेताओं को नसीब हो सके हैं।
2017 में विधानसभा चुनाव और 2018 में स्थानीय निकाय चुनाव के दौरान तत्कालीन महानगर अध्यक्ष विजय शिवहरे के नेतृत्व में पार्टी ने एकजुटता का प्रदर्शन करते हुए शानदान जीत हासिल की थी। यहां तक कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह भी कई अवसरों पर सार्वजनिक मंचों से विजय शिवहरे की कार्यप्रणाली, नेतृत्व-कौशल और अनुशासन-प्रियता की सराहना कर चुके हैं। महानगर अध्यक्ष के रूप में कार्यकाल पूरा होने के बाद पार्टी उन्हें सीधे प्रदेश संगठन में मंत्री बनाया। वर्तमान में मथुरा के चुनाव प्रभारी होने क साथ ही किसान मोर्चा के सह प्रभारी भी हैं।
विजय शिवहरे को इस बार पार्टी टिकट देगी या नहीं, यह निर्णय तो आलाकमान को ही करना है। राजनीति के जानकारों का कहना है कि यूपी में अभी तक के लगभग सर्वे भाजपा की राह बेहद मुश्किल बता रहे हैं, ऐसे में कभी अच्छे दिनों का वादा करके सत्ता में आई भाजपा को यूपी विधानसभा चुनावों में ‘अच्छे लोगों’ पर दांव खेलना ही चाहिए।
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यूपी चुनावः फिर चर्चा में विजय शिवहरे; भाजपा की नई सोशल इंजीनियरिंग में मजबूत नजर आ रही है दावेदारी
- by admin
- January 10, 2022
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