आगरा।
अतुल शिवहरे महज 40 साल की उम्र में इस दुनिया-ए-फानी को छोड़ गए। गुरुवार सुबह की यह मनहूस खबर उनके जिस भी जानने-पहचानने वाले ने सुनी, अवाक रह गया। घर-परिवार और समाज के लिए हमेशा तत्पर, दीन-दुखियों का सेवक, महाकाल का परम-भक्त, दूसरों को हौसला देने वाला एक शख्स खुद जिंदगी से कैसे हार मान सकता है भला!
आगरा में शिवहरे समाज के मेधावी बच्चों के सम्मान समारोह के सिलसिले का आगाज अतुल शिवहरे ने ही किया था। उन्हीं के नेतृत्व में शिवहरे समाज एकता परिषद और शिवहरेवाणी के संयुक्त तत्वावधान में 2 जुलाई 2017 को पहला कार्यक्रम राधाकृष्ण मंदिर में हुआ था। उसके बाद से हर साल होने वाले इस कार्यक्रम में अतुल शिवहरे पर्दे के पीछे रहकर तन-मन-धन से अहम भूमिका निभाते आ रहे थे।
अतुल शिवहरे को जब भी मौका मिलता, वह वृद्धाश्रम, अनाथालय, अंध विद्यालय जाते, वहां नमकीन-बिस्कुट-मिठाई समेत खाने-पीने का तमाम सामान, राशन आदि देकर आते। यह हर महीने का सिलसिला था। वहां रहने वाले लोग पंखे-कूलर, वाटर कूलर, फ्रिज जैसी जिस चीज भी डिमांड करते, वह मुहैया करा देते थे। अपना जन्मदिन (14 अगस्त), छोटे भाई डा. यश गुप्ता का जन्मदिन भी इन्हीं लोगों के बीच जाकर मनाते थे। असहाय वृद्धों, निराश्रित महिलाओं, अनाथ बच्चों और दिव्यांगों की दुआएं ही उनकी धरोहर थीं। और, एक खास धरोहर थी हिमाचल के स्कूली बच्चों की वह प्यारी सी चिट्ठी और उनके नाम मंदिर में छोड़े 151 रुपये।
दिसंबर, 2017 की बात है। हिमाचल में मंडी जिले के एक स्कूल के बच्चे आगरा टूर पर आए थे। आगरा में प्रवेश करते ही झरना नाला के निकट उनकी बस दुर्घटनाग्रस्त हो गई। हादसे में कई बच्चे घायल हुए। इसकी जानकारी मिलते ही अतुल अपने कुछ दोस्तों के साथ मौके पर पहुंचे और घायल बच्चों को आसपास के निजी अस्पतालों में भर्ती कराया। अन्य बच्चों को आसपास के होटलों में ठहराया, उनके भोजन-पानी की व्यवस्था की। अस्पताल में अपने खर्चे से बच्चों का उपचार शुरू कराया और उनके पेरेंट्स को खबर की। कई बच्चों के कपड़े खून में सन गए थे, तो उनके लिए बाजार नए कपड़े खरीदे। बच्चों के पेरेंट्स के आने पर उनके ठहरने की व्यवस्था भी कराई। करीब दो-तीन दिन बाद बच्चों को अस्पताल से छुट्टी मिली, और वे पेरेंट्स के साथ मंडी लौट गए।
बच्चो को रवाना कर अतुल हिसाब-किताब करने होटल पहुंचे तो वहां रिसेप्शनिस्ट ने उन्हें एक चिट्ठी थमाई जो जागृति नाम की लड़की उनके लिए दे गई थी। चिट्ठी पर लिखा था-‘थैंक्यू अतुल भैया’, इन तीन शब्दों के नीचे एक राखी बनी थी। इसी बीच, रिसेप्शनिस्ट होटल के मंदिर में रखे 151 रुपये लेकर आया और यह कहते हुए अतुल को थमा दिए कि एक बच्चे के पेरेंट्स मंदिर में रख गए थे, और कह गए थे कि इन्हें अतुल भैया आएं तो उनको दे देना। वो चिट्ठी और 151 रुपये अतुल ने प्यार की निशानी की तरह हमेशा संभाल कर रखे। इसके बाद से अतुल हमेशा उन बच्चों और उनके परिवारों के संपर्क बनाए हुए थे। पुलिस विभाग ने भी इस सड़क दुर्घटना में सहयोग के लिए अतुल का आभार व्यक्त किया था।
जीवन के प्रति उत्साह, उमंग और ऊर्जा से हरदम लबरेज रहने वाले अतुल शिवहरे को दिल जीतने का हुनर आता था। बड़ों को आदर-सम्मान से तो छोटों को स्नेह-प्यार से अपना बना लेते, समाज के लिए उनके मन में विशेष भाव थे। अपने भाई-बहनों, निकट संबंधियों और दोस्तों पर तो जैसे वह जान छिड़कते थे, और गुरुवार सुबह वह इन्हीं के बीच अपने बेड पर बेजान पड़े थे। अतुल ने ऐसा क्यों किया, इसका जवाब और अपना दर्द, वह अपने साथ ही ले गए।
महाकाल और भोलेनाथ का परमभक्त
अतुल शिवहरे भगवान शिव के भक्त थे, रोज बल्केशवर महादेव मंदिर के दर्शन से उनकी दिनचर्या की शुरुआत होती थी। हर तेरस (हिंदी माह की तेरहवीं तिथि) को वह उज्जैन के महाकाल मंदिर जाते थे, और आने वाले तीन महीने की टिकट बुक रखते थे।
अतुल शिवहरे का जाना मेरे लिए व्यक्तिगत नुकसान है, और समाज की भी क्षति हुई है। हर मुलाकात में उसका उत्साह देखते ही बनता था।– विजय शिवहरे, विधायक (एमएलसी), आगरा फिरोजाबाद
अतुल शिवहरे मेरे लिए पुत्र समान था, उसे देखकर और उससे मिलकर दिल को खुशी होती था, लेकिन बड़ा दुख देकर गया है। –बिजनेश शिवहरे, अध्यक्ष-दाऊजी मंदिर समिति, आगरा।
अतुल शिवहरे बहुत साहसी और दिलेर बालक था, सामाजिक कार्यो के लिए हमेशा तैयार रहता था। समाज के लिए उससे बहुत उम्मीदें थीं। –अरविंद गुप्ता, अध्यक्ष-राधाकृष्ण मंदिर समिति
अतुल शिवहरे मेरे लिए ‘प्यारा बच्चा’ था, जो हर रिश्ता दिल से निभाता था। उसका खालीपन हमेशा मायूस करेगा। -केके शिवहरे, अध्यक्ष-जिला सहकारी उपभोक्ता भंडार समिति
समाज के लिए अतुल शिवहरे का उत्साह और ऊर्जा देखते ही बनता था। मैं बैजनाथ धाम में हूं, बाबा से उसके लिए प्रार्थना करुंंगा। – कमल गुप्ता एडवोकेट, अध्यक्ष-शिवहरे समाज सेवा समिति, फिरोजाबाद
भाई अतुल शिवहरे हमारे शिवहरे समाज एकता परिषद की सबसे बड़ी ताकत थे। वह हमारे संस्थापक अध्यक्ष थे। उनका होना हमें ताकत देता था, उनका जाना हमें निढाल कर गया। – अमित शिवहरे, संस्थापक एवं संयोजक-शिवहरे समाज एकता परिषद, आगरा।
भाई अतुल शिवहरे ने मेधावी छात्र-छात्रा सम्मान समारोह की जिम्मेदारी हमें सौंपी थी। जब भी हमें लगता था ‘नहीं हो पाएगा’, तो वह भरोसा दिलाते थे ‘हो जाएगा’। हमारा भाई…दोस्त..हमारा हौसला चला गया। -अंशुल शिवहरे, अध्यक्ष-शिवहरे समाज एकता परिषद, आगरा।
आगामी 11 अगस्त को प्रस्तावित मेधावी छात्र-छात्रा समारोह की प्लानिंग के लिए एक-दो दिन में अतुल भाई से हमारी बात होनी थी। उनके सुझाव, निर्देश और सहयोग हमारे लिए महत्वपूर्ण थे। उनका खालीपन कभी भर नहीं पाएगा। – हिमांशु शिवहरे, कार्यकारी अध्यक्ष-शिवहरे समाज एकता परिषद, आगरा।
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