गोंडा।
गोंडा में 31 दिसंबर की सर्द रात जब लोग नए साल के जश्न में डूबे थे, जिले के एक शीर्ष पुलिस अधिकारी रात्रि गश्त के दौरान सड़क किनारे ठंड से ठिठुरते लोगों को गर्म कपड़े और कंबल बांट रहे थे। पुलिस का यह मानवीय चेहरा पेश कर रहे थे गोंडा के एसएसपी विनीत जायसवाल जिनकी सब जगह तारीफ हो रही है। हालांकि 2014 बैच के आईपीएस अधिकारी विनीत जायसवाल अपने अब तक के करियर में कई मौकों पर गुड पुलिसिंग और पुलिस मैनेजमेंट की शानदार मिसालें पेश कर चुके हैं।
दरअसल गोंडा के एसएसपी विनीत जायसवाल नववर्ष के मौके पर क्षेत्र में शांति व्यवस्था और सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने को रात्रि गश्त पर निकले थे। उस रात हवाओं और ओस की बूंदों ने सर्दी को भयानक रुख दे दिया था। लेकिन, हाड़ गला देने वाली सर्दी में भी शहरभर के होटलों और क्लबों में नए साल का जश्न चल रहा था, युवा सड़कों पर खुशियां मना रहे थे। और नए साल के इस धूमधड़ाके के बीच सड़क किनारे रहने को मजबूर लोग ठिठुरने को मजबूर थे। एसएसपी विनीत जायसवाल उस रात इन गरीबों के लिए मसीहा बनकर आए। उन्होंने गश्त के दौरान इन लोगों को गर्म कपड़े और कंबल वितरित किए। एसएसपी ने अपने अधीनस्थों से कहा है कि वे भी अपने-अपने क्षेत्र में ऐसे जरूरतमंद लोगों को गर्म कपड़े वितरित करें।
यह कोई पहला मौका नहीं है, जब विनीत जायसवाल ने ऐसा किया हो। बल्कि, अपने अब तक के करियर में वह अक्सर पब्लिक फ्रेंडली और मानवीय-पुलिसिंग के लिए चर्चा में रहे हैं। विनीत जायसवाल बताते हैं कि इसकी प्रेरणा उन्हें अपने पिता श्री राधेश्याम जायसवाल से मिली है जो जेल अधीक्षक रहे हैं। यही वजह है कि उन्होने पढ़ाई के दौरान ही खाकी वर्दी पहनने का लक्ष्य ठान लिया था। और, मैनेजमेंट व इंजीनियरिंग के क्षेत्र में अच्छे अवसरों को छोड़कर उनहोने पुलिस सेवा को चुना।
मूल रूप से गोरखपुर के रहने वाले विनीत जायसवाल ने नोएडा में जेएसएस एकेडमी ऑफ टेक्नीकल एजुकेशन से कंप्यूटर साइंस से बीटेक किया, जिसके बाद इंफोसिस ज्वाइन की। इसी बीच आईआईएम, केरल में भी उनका चयन हो गया, लेकिन उन्होंने तो पुलिस सेवा में जाने का सपना देखा था जिसे पूरा करने के लिए 2011 से तैयारी शुरू की। लगातार दो असफलताओं के बाद तीसरे प्रयास में उन्हें सफलता प्राप्त हुई और वह आईपीएस अधिकारी बन गए।
पुलिस अकादमी में ट्रैनिंग के उपरांत विनीत जायसवाल को अंडर ट्रेनी अफसर के रूप में आगरा में तैनात किया गया। आगरा में थाना इंचार्ज रहते हुए उन्होंने कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ अभियान चलाकर हलचल मचा दी थी। आगरा के बाद उन्होंने इलाहाबाद, इटावा, गौतमबुद्धनगर, नोएडा और शामली में विभिन्न जिम्मेदारियों पर रहते हुए अपनी खास कार्यशैली से कामयाबी हासिल की। उनकी सख्त कार्यशैली और पब्लिक-फ्रेंडली पुलिसिंग को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन्हें उस वक्त हाथरस की कमान सौंपी, जब वहां एक दलित युवती की मौत को लेकर देशभर की राजनीति गरमाई हुई थी।
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