आगरा।
कोटा में कलाल समाज के ‘महान दानशील’ समाजसेवी सेठ स्व. श्री धुलीलाल वानप्रस्थि की जयंती पर विशाल रक्तदान शिविर आयोजन गुमानपुरा स्थित कलाल छात्रावास में किया। शिविर में युवाओं ने बढ़-चढ़कर भाग लिया और कुल 108 यूनिट रक्तदान किया।
कलाल समाज अध्यक्ष राहुल पारेता ने शिवहरेवाणी को बताया कि स्व. सेठ श्री धुलीलालजी वानप्रस्थी जी कलाल समाज के महान समाजसेवी थे जिन्होंने स्वजातीय बच्चों के लिए छात्रावास बनाने हेतु समाज को गुमानपुरा में एक भूखंड दान किया था। आज उसी भूखंड पर कलाल समाज का छात्रावास बना हुआ है जहां कई स्वजातीय बच्चों को आवासीय सुविधा प्राप्त हो रही है। इसी छात्रावास परिसर में बुधवार (21 अगस्त) को युवा मंडल अध्यक्ष कपिल पारेता के नेतृत्व में रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया था।
रक्तदान शिविर का शुभारंभ छात्रावास परिसर में स्थापित सेठ स्व. श्री धुलीलालजी की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं पूजन-अर्चना के साथ हुआ। कलाल समाज कोटा के पूर्व अध्यक्ष नरेंद्र भास्कर ने सेठ स्व. श्री धुलीलालजी के जीवन और कार्यों पर प्रकाश डाला। युवा मंडल महामंत्री हिमांशु कलाल ने बताया कि शिविर में कलाल समाज के अध्यक्ष राहुल पारेत, संरक्षक विनोद पारेता, अनिल सुवालका, पूर्व अध्यक्ष सत्यनारायण मेवाड़ा एवं पूर्व अध्यक्ष नरेंद्र भास्कर मेवाड़ा एवं कलाल पंचायत के अध्यक्ष विकास मेवाड़ा अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
शिविर मैं कलाल समाज महामंत्री हरीश पारेता कोषाध्यक्ष नरेश तलाइचा उपाध्यक्ष पिंटू सुवलका का उप मंत्री आनंद मेवाड़ा पेंशन योजना के चेयरमैन जगदीश मेवाड़ा डायरेक्टर कृष्ण गोपाल पारेता शांति सुवालक पवन माहुर बद्रीलाल पारेता सदस्य फूलचंद पारेता कमलेश पारेता कस्तूरचंद पारेता ओम पारेता कानूनी सलाहकार रोहित पारेता सांस्कृतिक मंत्री लो केश जी पारेता सामुदायिक भवन अधीक्षक राजकुमार कलवार सहस्त्रबाहु सेना के प्रदेश उपाध्यक्ष लोकेश पारेता लक्की जीत जायसवाल निशांत पारेता सभी युवा मंडल साथी उपस्थित रहे युवा मंडल कार्यकारी अध्यक्ष विजय पारेता युवा मंडल कोषाध्यक्ष रोहित माहुर संरक्षक विकास मेवाडा मनीष पारेता( बिट्टू) रोहित पारेता सुरेंद्र पारेता लखन मेवाड़ा रॉकी मेवाड़ा नितेश पारेता सूरज पारेता आयुष पारेता विक्रम पारेता सोनू पारेता पवन सुवालका अजय पारेता शिवम पारेता शुभम मेवाड़ा रोनक पारेता भरत पारेता सचिन पारेता अभिषेक पारेता जतिन पारेता रक्तदान शिविर में सभी युवा साथियों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया|
कौन थे सेठ स्व. श्री दुलीचंदजी
(21.09.1895-2508.1968)
कोटा का कलाल समाज सेठ स्व. श्री दुलीचंदजी के योगदान को कभी भुला नहीं सकता। दुलीचंदजी पढ़े-लिखे, कुशाग्र-बुद्धि व्यक्तित्व थे। विचारों से आर्य समाजी और स्वभाव से संत थे, हमेशा भगवा वस्त्र धारण करते थे। वैसे तो वह शिक्षक के रूप में राज्य सेवा में थे, और पदोन्नत होकर शिक्षा विभाग में कोटा सर्कल के निरीक्षक बन गए थे। लेकिन, 1936 में उन्होने इस उच्च पद से त्यागपत्र देकर अपना शेष जीवन कलाल समाज के उत्थान में समर्पित कर दिया। 1944 में उज्जैन हैहय क्षत्रिय सभा में शामिल हुए, और वहां से लौटकर कोटा में हैहय क्षत्रिय सभा का गठन कराया जिसमें वह प्रचार व वित्त मंत्री रहे। श्री दुलीचंदजी चाहते थे कि समाज का कोई भी शिक्षा से वंचित न रहे, चाहे वह ग्रामीण क्षेत्र का ही क्यों न हो। इसीलिए वह कोटा में ऐसा छात्रावास बनाना चाहते थे जहां रहकर ग्रामीण क्षेत्रों के स्वजातीय बच्चे शिक्षा प्राप्त कर सकें। 1948 में उनकी पत्नी की मृत्यु हो गई तो महान दुलीचंदजी ने उनका ब्रह्मभोज (त्रयोदशी) न करके उसमें खर्च होने वाले पैसे हैहय क्षत्रिय सभा को दान दे दिए थे। यही नहीं, उन्होंने पत्नी के जेवर तक बेचकर सभा को दे दिए थे। कुछ समय बाद उनकी इकलौती पुत्री भी स्वर्ग सिधार गई तो उसका भी मृत्युभोज न करके 1001 रुपये सभा को दान कर दिए। सभा ने उन्हीं के दान किए पैसों से उनके महान एवं पवित्र उद्देश्य के लिए 1959 में गुमानपुरा में एक भूखंड खरीदा जहां आज कलाल समाज के छात्रावास है। वर्ष 2006 में कलाल समाज ने इसी छात्रावास परिसर में सेठ स्व. श्री दुलीचंदजी की प्रतिमा की स्थापना की गई ताकि उनके महान सेवा से समाज हमेशा प्रेरित होता रहे।
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