August 3, 2025
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
समाचार समाज

‘कलचुरी’ के अंतर्गत हो हमारी गणना, महेश्वर बने ‘राजराजेश्वर सहस्रबाहु धाम’; सारंग को सौंपा ज्ञापन; भोपाल में कलचुरी एकता का नजारा

भोपाल।
‘अखिल भारतवर्षीय हैहय कलचुरी महासभा’ के 90वे स्थापना दिवस समारोह में 17 सूबों के कलचुरी समाजबंधुओं की मौजूदगी ने सामाजिक एकता और सामूहिक चेतना का अदभुत नजारा पेश किया। महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जयनारायण चौकसे इससे अभिभूत नजर आए। उन्होंने अपने उदबोधन में कहा कि कलचुरी समाज को उसकी यही पहचान, एकता और शक्ति का अहसास कराना हमारा लक्ष्य है, और इस लिहाज से जातिगत जनगणना को हम एक मौके के रूप में देखते हैं जिसे हमें हरगिज गंवाना नहीं चाहिए।
समारोह में प्रदेश के खेल एवं युवा कल्याण मंत्री श्री विश्वास सारंग को इस आशय का एक ज्ञापन भी सौंपा गया। मुख्यमंत्री को संबोधित इस ज्ञापन में जातिगत जनगणना के प्रारूप में कलवार, कलाल, कलार जाति के सभी उपवर्गों की गणना ‘कलचुरी समाज’ के अंतर्गत किए जाने और महेश्वर को राजराजेश्वर सहस्रबाहु धाम घोषित करने की मांग की गई। श्री सारंग ने ज्ञापन को उसकी सही जगह पहुंचाने का भरोसा दिलाते हुए कहा कि इस पर उच्च स्तरीय विमर्श के बाद सकारात्मक निर्णय की अपेक्षा की जानी चाहिए।

बता दें कि भोपाल में कोलार रोड स्थित एलएनसीटी यूनीवर्सिटी कैंपस के भव्य ऑडीटोरियम में आयोजित दो-दिनी समारोह के पहले दिन महासभा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई और दूसरे व अंतिम दिन रविवार को खुला मंच कार्यशाला एवं सामाजिक संवाद आयोजित किया गया। राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में गहन विमर्श के बाद निम्न दो प्रस्ताव पारित हुएः-
पहला प्रस्ताव जातिगत जनगणना को लेकर था, जिसमें कहा गया कि हमारा समाज एक है लेकिन देश के अलग-अलग इलाकों में इसे कहीं कलार जाति के रूप में जाना जाता है, तो कहीं कलवार के रूप में। इस तरह हमारे ‘एक समाज’ को कलाल, कलवार, कलार, अहलुवालिया, गौड, नाडार, इंडिगा, इजावा, भंडारी आदि जातियों के रूप में जाना जाता है, और हमं जायसवाल, चौकसे, राय, शिवहरे, मालवीय, गुप्ता, महाजन, कटकवार, चौधरी, जैसवाल, टोक, सुहालका, वर्मा, राउत जैसे एक हजार से अधिक उपनामों का इस्तेमाल करते हैं। प्रस्ताव में कहा गया कि आगामी जातिगत जनगणना में हमारे सभी जातिगत नामों और उपनामों की गणना एक ‘कलचुरी’ समाज के अंतर्गत की जानी चाहिए। साथ ही जातिगत जनगणना में सभी उपवर्गों के लोगों से अपने नाम के पहले कलचुरि शब्द लिखने को कहा गया।
दूसरा प्रस्ताव मध्यप्रदेश के प्राचीन धार्मिक नगरी महेश्वर को “राजराजेश्वर सहस्रबाहु धाम” घोषित कराए जाने का था।

बैठक में इन दोनों प्रस्तावों को शामिल कर मुख्यमंत्री को संबोधित एक ज्ञापन तैयार किया गया जिसे अगले दिन ‘खुला मंच कार्यशाला एवं सामाजिक संवाद’ के दौरान मंचासीन रहे सूबे के मंत्री श्री विश्वास सारंग, विधायकों श्री रामेश्वर शर्मा और श्री भगवान दास सबनानी को यह ज्ञापन सौंपे गए। समारोह में महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं एलएनसीटी समूह के चेयरमैन श्री जयनारायण चौकसे ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि देश में कलचुरी वंश की विशाल आबादी है, जो विभिन्न जातियों के अंतर्गत एक हजार से अधिक उपवर्गों या उपनामों का इस्तेमाल करता है। यही वजह है कि कलचुरी वंश की वास्तविक संख्या का कोई सटीक आंकड़ा अब तक सामने नहीं आ पाया है, जिसके चलते हमारे समाजबंधु उन राजनीतिक एवं प्रशासनिक लाभों से वंचित हैं जिसके वे वास्तविक हकदार हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने जातिगत जनगणना की घोषणा कर हमें एक मौका दिया है। उन्होंने कहा कि जब उपनामों से पहले कलचुरि शब्द लिखा जाएगा तो समाज की एकजुटता और पहचान राष्ट्रीय स्तर पर और भी मजबूत होगी। इसके लिए हमें एक आंदोलन की तरह प्रयास करने होंगे जिसमें समाज के हर सदस्य, खासकर युवा वर्ग को शामिल होकर सामाजिक चेतना का वाहक बनना होगा।

मध्यप्रदेश के खेल एवं युवा कल्याण मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि कलचुरी समाज ने सदैव राष्ट्र निर्माण, सेवा, शिक्षा और सामाजिक मूल्यों की रक्षा में अग्रणी भूमिका निभाई है। आज की यह एकता समाज को नई दिशा देगी। वहीं पूर्व प्रोटेम स्पीकर व हुजूर विधानसभा क्षेत्र के विधायक रामेश्वर शर्मा ने कहा कि कलचुरी समाज जिस प्रकार संगठित हो रहा है, वह उसके सामाजिक सशक्तिकरण की ओर बढ़ने का संकेत है। भाजपा विधायक भगवानदास सबनानी ने समारोह को प्रेरणादायक बताते हुए कहा कि शिक्षा, संस्कार और संगठन के तीन आधार स्तंभ आज के इस आयोजन में सजीव रूप में देखने को मिले हैं। महापौर श्रीमती मालती राय ने कहा कि कलचुरि समाज के वरिष्ठजन, महिलाएं और युवा जिस ऊर्जा और सहभागिता के साथ कार्यक्रम में शामिल हुए, वह अत्यंत सराहनीय है। इस दौरान राष्ट्रीय कार्यकारिणी में पारित दोनों प्रस्तावों पर खुली चर्चा भी की गई। खास बात यह है कि अलग-अलग सूबों से पहुंचे कई कलचुरी समाजबंधुओं ने प्रस्तावों का पुरजोर समर्थन करते हुए अपने नाम के पहले कलचुरी शब्द जोड़ने का ऐलान मंच से ही कर दिया।

इससे पूर्व समारोह का शुभारंभ कलचुरी वंश के आराध्य भगवान श्री सहस्रबाहु अर्जुन की विधि विधान से पूजा अर्चना के साथ हुआ, जिसके बाद मंच पर कलाकारो द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुति दी गई। कार्यक्रम में समाज सेवा में योगदान के लिए विशिष्टजनों का सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संचालन महासभा के राष्ट्रीय सलाहकार श्री शंकरलाल राय और पद्मश्री श्री बनवारीलाल चौकसे ने संयुक्त रूप से किया।
हरीशचंद्र कलाल ने पहनाई राजस्थानी पगड़ी, सौंपी तलवार
कार्यक्रम में महासभा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. अनुपम चौकसे, महासचिव एडवोकेट एम.एल. राय, वरिष्ठ समाजसेवी श्री शिवचरण हाडा (जयपुर), राष्ट्रीय प्रचार सचिव चंद्रप्रकाश शिवहरे (मुरैना), प्रदेश अध्यक्ष पंकज चौकसे, संगठन महासचिव ओपी चौकसे भी मंचासीन रहे। महासभा के राजस्थान अध्यक्ष श्री हरीशचंद्र कलाल (बांसवाड़ा) ने श्री विश्वास सारंग को राजस्थानी संस्कृति की प्रतीक पगड़ी और तलवार भेंट की।
ग्वालियर से उत्साहजनक उपस्थिति
समारोह में इस बार ग्वालियर के कलचुरी समाज की उपस्थिति बहुत खास रही। शिवहरे समाज ग्वालियर के अध्यक्ष श्री सुरेशचंद्र शिवहरे, महासचिव श्री रघुवीर राय, वरिष्ठ समाजसेवी श्री हरीमोहन शिवहरे और श्री संजीव गुप्ता के अलावा पूर्व महापौर श्रीमती समीक्षा गुप्ता, कलचुरी महिला मंडल की संभागीय अध्यक्ष श्रीमती संगीता गुप्ता, जिला अध्यक्ष श्रीमती गायत्री शिवहरे, श्रीमती रेनू शिवहरे समेत कई महिल पदाधिकारी उपस्थित रहीं।
इनकी भी उपस्थिति
कार्यक्रम में वीरेंद्र ‘पप्पू’ राय, हरिराम राय, प्रदेश प्रचार सचिव राजेश राय, केरल से राजेन्द्र बाबू, गणेश, पंजाब से तेगबीर सिंह, हैदराबाद से लक्ष्मण गौड, तेलंगाना से फिल्म अभिनेता जय हिंद गौड, बालाघाट से नरेन्द्र धुवारे, नागपुर से चंद्रपाल चौकसे, कोटा से पंकज जायसवाल, गुजरात से एडवोकेट नरेश जायसवाल, बिलासपुर से मनोज राय, अमरावती से रेखा ताई, तमिलनाडु से सी.जी. गौड, दिल्ली से पूनम चौधरी गुप्ता व नेहा गुप्ता, झांसी से कलचुरी सेवा समिति के अध्यक्ष विष्णु शिवहरे, अतुल गुप्ता समेत अनेक राज्यों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।

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