कानपुर।
कानपुर की जानी-मानी सोशल वर्कर डा. सुभाषिनी शिवहरे की एक सराहनीय पहल के अंतर्गत कानपुर मंडल और बुंदेलखंड की आठ जेलों में निरुद्ध महिला बंदियों द्वारा तैयार राखियों की बिक्री शुरू हो गई है जहां से तमाम बहनें अपने भाइयों के लिए सुंदर और इको-फ्रेंडली राखियां खरीद रही हैं। महिला बंदी ङी रक्षाबंधन पर अपने द्वारा बनाए इन्हीं रक्षा-सूत्रों को अपने भाइयों की कलाई पर बांधेंगी और अपनी कमाई से उन्हें मिठाई भी देंगी।


दरअसल डा. सुभाषिनी शिवहरे के फाउंडेशन की ओर से जेलों में निरुद्ध महिला बंदियों के जीवन में सृजनात्मकता और सामाजिक पुनर्वास को प्रोत्साहित करने के लिए चार वर्ष पूर्व यह अनूठी पहल की गई थी। हर वर्ष आठ जेलों ‘कानपुर जेल, कानपुर देहात (माती जेल), हमीरपुर जेल, उन्नाव जेल, बांदा जेल, फतेहपुर जेल और मोहनलालगंज जेल’ में यह अभियान चलाया गया जिसके प्रथम चरण के अंतर्गत गत जुलाई माह में आठों जेलों मे तीन दिनी प्रशिक्षण शिविर चलाया गया जिसमें फाउंडेशन की ओर से नियुक्त ट्रेनर्स ने महिला बंदियों को अलग-अलग सामग्री से राखियां तैयार करने का हुनर सिखाया। इसके बाद जरूरी सामग्री भेजकर वॉलेंटियर्स और ट्रेनर की देखरेख में जेल के अंदर राखियां तैयार करने का सिलसिला शुरू हुआ। फिलहाल इन आठों जेलों में वहां की महिला बंदियों द्वारा तैयार राखियों की बिक्री के काउंटर सज चुके हैं, जहां से लोग और सामाजिक संस्थाएं राखियों को खरीद रहे हैं।


डा. सुभाषिनी शिवहरे ने बताया कि जेलों में बनाए इन काउंटर्स पर फाउंडेशन के वॉलेंटियर्स ही राखियों की बिक्री कर रहे हैं। बिक्री से आने वाले पैसौं में से महिला कैदियों प्रति राखी 5 से 10 रुपये तक की मजदूरी का भुगतान तुरंत किया जाएगा। इसके अलावा 5 रुपये प्रति राखी के हिसाब से बंदी कल्याण कोष में जमा कराया जाएगा। इसके बाद कच्ची सामग्री व अन्य खर्चे निपटाए जाते हैं। उन्होंने बताया कि फाउंडेशन बिना किसी लाभ की आकांक्षा के इस कार्य को करता है, बल्कि हर वर्ष घाटा उठाना पड़ता है। लेकिन हर रक्षाबंधन पर इन महिला बंदियों के चेहरों की आत्मनिर्भरता और आत्मसम्मान की खुशी उनके मन को संतोष देती है।


बता दें कि डा. सुभाषिनी अपनी संस्था ‘सुभाषिनी शिवहरे फाउंडेशन’ के माध्यम ले जेलों में बंद महिलाओं के जीवन को बेहतर बनाने के लिए विशेष प्रयास किए हैं। उन्होंने महिलाओं को शिक्षा और रोजगार से जोड़ने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए, जिसमें मोमबत्ती बनाना, जूट के बैग सिलना और ब्यूटी पार्लर की ट्रेनिंग शामिल है। इससे कई महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने का अवसर मिला है।
उनकी एक अनूठी पहल ‘खुशियों का पोस्टबॉक्स’ भी चर्चा में रही है जिसके अंतर्गत अब तक 25,000 से अधिक कपड़े जरूरतमंदों को वितरित किए जा चुके हैं। इसके अलावा, डा. सुभाषिनी झुग्गी बस्तियों में बच्चों की शिक्षा और पर्यावरण संरक्षण में भी सक्रिय हैं। उन्होंने कानपुर में वर्षा जल संचयन परियोजना चलाई है, जिससे जल संकट से निपटने में मदद मिल रही है। यही नहीं, ‘प्यास’ नाम से उनका एक और चर्चित प्रोजेक्ट है जिसके अंतर्गत उनके फाउंडेशन ने कानपुर के पोस्टमार्टम हाउस और कई स्कूलों में वाटर कूलर लगवाएं हैं।


शिवहरेवाणी से बातचीत में डा. सुभाषिनी शिवहरे ने कहा कि सेवा का भाव उन्हें उनके पिता श्री राजकुमार शिवहरे से प्रेरित है जो बांदा के पूर्व विधायक हैं। उन्होंने बताया कि उनके पिता विधायक बनने से पहले और आज जबकि वह विधायक नहीं हैं, जनसेवा के कार्यों में हमेशा आगे रहे है। पिता की प्रेरणा से ही वह भी सामाजिक सेवा के क्षेत्र में आई हैं। डा. सुभाषिनी शिवहरे की शुरुआती शिक्षा बांदा मे ही हुई, कानपुर से उन्होंने बीडीएस की पढ़ाई की। उनका विवाह कानपुर के बिजनेसमैन गौरव खन्ना से हुआ लेकिन शादी के बाद भी उन्होंने अपनी ‘शिवहरे’ पहचान को बरकरार रखा और अब वह पूरा नाम डा. सुभाषिनी शिवहरे खन्ना लिखती हैं। उनके ससुर श्री विजय खन्ना भी कानपुर के प्रतिष्ठित बिजनेसमैन हैं। डा. सुभाषिनी शिवहरे की दो बेटियां हैं अनिका खन्ना और अविका खन्ना। परिवार की जिम्मेदारियों को संभालते हुए समाज के प्रति दायित्व का बखूनी निर्वहन कर डा. सुभाषिनी शिवहरे समाज में मातृशक्ति की मिसाल पेश कर रही हैं।
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