चित्रकूट।
यदि आप भगवान राम की वनवास स्थली चित्रकूट का भ्रमण करना चाहते हैं, तो यहां आपके ठहराव-विश्राम के लिए कलचुरी समाज की एक शानदार धरोहर है ‘शिवहरे धर्मशाला’। 50 वर्षों से भी अधिक पुरानी इस धर्मशाला में कलचुरी समाजबंधुओं को एसी, नॉनएसी कमरे बहुत वाजिब दामों पर उपलब्ध हो सकते हैं। अच्छी खबर यह है कि जल्द ही धर्मशाला की विस्तार योजना पर काम शुरू होने वाला है, जिसके बाद कमरों की संख्या व अन्य सुविधाओं में खासी वृद्धि हो जाएगी।
बीते दिनों धर्मशाला प्रबंध कमेटी की त्रैमासिक बैठक में इस योजना को अंतिम रूप दे दिया गया है। धर्मशाला के मंत्री श्री राजकुमार गुप्ता (सुधा नमक वाले, कानपुर) ने शिवहरेवाणी को बताया कि विस्तार योजना के अंतर्गत मौजूदा धर्मशाला की बाउंड्रीवाल से लगे एक बीघा के भूखंड पर निर्माण कार्य जल्द शुरू जाएगा। यह भूखंड धर्मशाला कोषाध्यक्ष श्री कालका प्रसाद शिवहरे (अतर्रा) की पारिवारिक संपत्ति है, जिसे धर्मशाला ट्रस्ट ने 70 लाख रुपये में खरीदने की बात तय कर ली है। पेशगी के तौर पर 15 लाख रुपये धर्मशाला ट्रस्ट के फंड से दे दिए गए हैं, बाकि धनराशि समाजबंधुओं के सहयोग से प्राप्त की जाएगी।
बैठक में तय हुआ है कि नवीन परिसर में एसी कमरों और एक बड़े सभागार का निर्माण किया जाएगा जिसके लिए समाजबंधुओं से सहयोग लिया जाएगा। एक कमरे के निर्माण के लिए 7 लाख रुपये की सहयोग राशि तय की गई है। हर कमरे में एसी, ड्रेसिंग टेबल, एलईडी, अलमारी, सोफा-कुर्सी और आधुनिक लैट-बाथ होगा। हर कमरे के बाहर सहयोगकर्ता की शिलापट्टिका लगाई जाएगी। सभागार के लिए सहयोग राशि प्राप्त प्रस्तावों के आधार पर तय होगी। नए परिसर में एक मैस के निर्माण की भी योजना है, ताकि बाहर से आने वाले अतिथियों को धर्मशाला में ही भोजन उपलब्ध हो सके।
धर्मशाला अध्यक्ष श्री केशवबाबू शिवहरे (हमीरपुर) की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में उपाध्यक्ष श्री महादेव प्रसाद शिवहरे, संगठन मंत्री द्वारिका प्रसाद शिवहरे, कोषाध्यक्ष श्री कालका प्रसाद शिवहरे (अतर्रा), लेखाकार श्री प्रकाश बाबू गुप्ता, संगठन मंत्री श्री अवधेश कुमार, कार्यकारिणी सदस्य श्री श्यामलाल शिवहरे और श्री वेदप्रकाश गुप्ता के अलावा विशेष आमंत्रित अतिथि के रूप में बांदा के पूर्व विधायक श्री राजकुमार शिवहरे एवं शिवहरे समाज बांदा के कार्यकारी अध्यक्ष श्री शिव विशाल शिवहरे भी उपस्थित रहे।
पूर्व विधायक श्री राजकुमार शिवहरे ने विस्तार योजना पर आगे बढ़ने के लिए धर्मशाला कमेटी को बधाई और शुभकामनाएं दीं। शिवहरेवाणी से बातचीत में उन्होने बताया कि 50 वर्ष पुरानी समाज की यह धरोहर आने वाले समय में और बेहतर रूप में सामने आएगी। वर्तमान में धर्मशाला में 14 नॉन-एसी और 6 एसी-रूम हैं, एक सभागार है। धर्मशाला का अब तक का विकास तीन चरणों में हुआ है। शुरुआत में यहां करीब 5 कमरे थे, वर्ष 2002 में नए ब्लॉक का निर्माण शुरू हुआ जिसमें 14 नॉन-एसी कमरे तैयार हुए थे। और चार वर्ष पूर्व ही हुए धर्मशाला में एक सभागार और छह एसी-कमरे और जुड़ गए। प्रारंभिक निर्माण अब धर्मशाला कार्यालय, गौशाला, किचन, कर्मचारी आवास के रूप में प्रयोग किया जा रहा है। धर्मशाला में एसी-कमरे का शुल्क 1200 रुपये है, जबकि नॉन-एसी रूम (कूलर समेत) का शुल्क 500-600 रुपये है। समाजबंधुओं को 20 प्रतिशत का खुला डिस्काउंट दिया जाता है।
चित्रकूट के प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल
कामदगिरि पर्वत- कामदगिरि पर्वत की तलहटी में भगवान कामतानाथ का प्रसिद्ध प्राचीन मंदिर है। कामदगिरि पर्वत चारो दिशाओं से देखने पर धनुष के आकार का प्रतीत होता दिखाई देता है। मान्यता है कि कामदगिरि पर्वत की परिक्रमा करने से लोगो की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
लक्ष्मण पहाड़ी- लक्ष्मण पहाड़ी कामदगिरि पर्वत की परिक्रमा के रास्ते पर पड़ता है। लक्ष्मण पहाड़ी में भगवान राम, लक्ष्मण और भरत का मंदिर है। मंदिर में खंभे बने हुए जिन्हें गले लगाने की मान्यता है।रामघाटः-यह मंदाकिनी नदी के तट पर बना प्राचीन घाट है। भगवान राम इसी घाट पर स्नान करके कामतानाथ भगवान की पूजा किया करते थे। भगवान राम जी के अपने पिता की अस्थियों का विसर्जन रामघाट में ही किया था।
गुप्त गोदावरी गुफाः-गुप्त गोदावरी रहस्यों से भरी 900 साल प्राचीन गुफा है। गुफा में चट्टानों से एक लगातार जलधारा निकलती रहती है। करीब 10 से 15 मीटर लंबी गुफ़ा के अंदर से लगातार पानी की जलधारा बहती रहती है।
हनुमान धाराः-कामतानाथ भगवान मंदिर से महज 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। हनुमान धारा एक जंगल में पहाड़ी के ऊपर स्थित है। कहा जाता है हनुमान जी लंका में आग लगाने के बाद इसी पहाड़ी पर छलांग लगाई थी और पहाड़ी से बहती ठंडी धारा में खड़े होकर गुस्सा शांत किया था।
स्फटिक शिला:-स्फटिक शिला मंदाकिनी नदी के किनारे जानकी कुंड के नजदीक है। स्फटिक शिला पर भगवान राम के पैरों के निशान देखने को मिलते है। इस शिला पर भगवान राम ने सीता जी का श्रृंगार किया था। दूसरी मान्यता है कि भगवान राम ने इसी जगह पर इंद्र के पुत्र जयंत को दंड दिया था।
भारत मिलाप:-यह वह स्थान है जहा भगवान राम से मिलने के लिए भरत आए थे। मान्यता है की राम और भरत जी का मिलाप इतना भावुक था की चट्टान तक पिघल गए थे। आज भी पत्थर की शिलाओ पर भगवान राम और भरत जी के चरणों के निशान देखने को मिलते हैं।
भरत कूप:- चित्रकूट से लगभग 50 किलोमीटर दूर भरतपुर गांव में यह कुआं है। पौराणिक कथाओं के अनुसार जब भरत भगवान श्री राम जी को वन से वापस लाने में असमर्थ हो गए तब उनके राजतिलक के लिए सभी पावन स्थलों से लाया गया जल इसी कुएं में डालते हैं। मान्यता है कि इस कुएं का जल मीठा और पवित्र है। कुएं के जल से नहाने से शरीर के त्वचा संबधी रोग ठीक हो जाते है।
सती अनुसुइया मंदिर:-सती अनुसुइया मंदिर चित्रकूट से लगभग 16 किलोमीटर दूर घने जंगलों में है। माना जाता है कि यही से माता सती ने तपस्या करके मंदाकिनी नदी को धरती पर उतारा था। महर्षि अत्रि अपनी पत्नी अनुसुइया और पुत्रों के साथ इसी स्थान पर रहा करते थे। भगवान राम पत्नी सीता के साथ इसी स्थान पर गए थे जहा देवी अनुसुइया ने माता सीता को सतित्व का महत्व बताया था।
जानकी कुंड:-जानकी कुंड मंदाकिनी नदी के किनारे पर स्थित है। माना जाता है कि वनवान के समय माता जानकी स्नान करने के लिए आती थी। लोगों की मान्यता है कि इसके जल में स्नान करने से सभी पापों से मुक्त मिलती है। तट पर अनेकों पैरों के निशान देखने को मिलते हैं माना जाता है। यह पैरों के निशान जानकी माता के है।
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