November 1, 2024
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
समाचार

प्रेरकः बांदा के पूर्व विधायक राजकुमार शिवहरे ने धूमधाम से मनाया पिता का 90वां जन्मदिन; क्योंकि जीवन में पिता का स्थान सर्वोपरि

बांदा।
मौजूदा दौर में परिवारों में संवादहीनता बढ़ रही है, बुजुर्ग अपनी ही संतानों करे बीच एकाकीपन और उपेक्षा के शिकार हो रहे हैं, सांस्कृतिक मूल्य छिन्न-भिन्न हो रहे हैं। ऐसे में बांदा के राजनीतिक चाणक्य कहे जाने वाले पूर्ज विधायक श्री राजकुमार शिवहरे ने आज अपने पिता श्री रामसेवक शिवहरे का 90वां जन्मदिन धूमधाम से मनाकर युवा पीढ़ी के सामने एक प्रेरक मिसाल प्रस्तुत की है।

श्री राजकुमार शिवहरे के प्रतिष्ठान होटल ‘राजा पैलेस’ के ऑडीटोरियम में आयोजित समारोह में श्री रामसेवकजी शिवहरे के जीवन पर आधारित एक डॉक्युमेंट्री वीडियो का प्रदर्शन भी किया गया, जिसमें उनके संघर्षपूर्ण जीवन की झलकियां दिखाई गईं। श्री रामसेवक शिवहरे ने करीब 70 वर्ष पहले बांदा में चश्मे की दुकान खोलकर जीवन शुरू किया था। बड़ी मेहनत और ईमानदारी से यह काम करते हुए उन्होंने अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाई, और अच्छे संस्कार दिए जो आज उनके जन्मदिन समारोह में स्पष्ट नजर आया।

राजा पैलेस में सुबह से ही अतिथियों का आगमन शुरू हो गया था। सुबह 9 बजे से जलपान हुआ, और 10 बजे से सुंदरकांड का संगीतमयी पाठ हुआ। दोपहर 12 बजे एख बड़ी स्क्रीन पर श्री रामसेवकजी शिवहरे के जीवन पर फिल्म का प्रदर्शन किया गया, जिसके बाद श्री रामसेवक शिवहरे को बधाई देने वालों का सिलसिला शुरू हुआ। 90 की आय़ु में भी ऊर्जा से लबरेज श्री रामसेवक शिवहरे ने सभी से दिल खोलकर मुलाकात की और उनका आभार व्यक्त किया। दोपहर 2 बजे लंच के साथ समारोह का समापन हुआ। कार्यक्रम में 500 से अधिक लोगों ने भाग लिया। इस दौरान श्री रामसेवक शिवहरे की धर्मपत्नी श्रीमती राजा देवी शिवहरे, के साथ उनके सभी पुत्रों श्री जगदीश शिवहरे (महोबा), श्री राजकुमार शिवहरे (पूर्व विधायक), श्री अनिल कुमार शिवहरे, डा. मनोज शिवहरे एवं डा. प्रमोद शिवहरे ने अपने परिवारों के साथ अतिथियों का स्वागत सत्कार किया।

श्री राजकुमार शिवहरे ने शिवहरेवाणी से बातचीत में कहा कि हर व्यक्ति के जीवन में पिता का सबसे बड़ा योगदान होता है, हमारे जीवन में भी पिता का स्थान सर्वोपरि है। उनका कहना है कि हर परिवार में बुजुर्गों का जन्मदिन मनाया जाना चाहिए, ताकि बुजुर्गों को अहसास हो कि वे आज भी अपने बच्चों के लिए उतने ही खास हैं, और उतने ही जरूरी हैं।

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