October 7, 2025
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
समाचार समाज

मानवसेवा में समर्पित व्यक्तित्व श्री प्रेमबिहारी गुप्ता को दिया जाएगा ‘शिवहरे सेवा रत्न’ सम्मान; जिनकी सेवाओं को भुला नहीं पाएगा आगरा का शिवहरे समाज

आगरा।
आगरा में 5 अक्टूबर (रविवार) को होने जा रहे शिवहरे समाज के ‘मेधावी छात्र-छात्रा सम्मान एवं शिवहरे रत्न सम्मान समारोह’ में एक ऐसे वयोवृद्ध समाजसेवी को ‘शिवहरे सेवा रत्न’ सम्मान से विभूषित किया जाएगा, जिन्होंने पूरे जीवन निस्वार्थ भाव से आगरा के शिवहरे समाज की अप्रतिम सेवा की। एसएन मेडिकल कालेज में अपने लंबे सेवाकाल के दौरान उन्होंने हजारों समाजबंधुओं को उनकी बीमारी में सरकारी चिकित्सा सेवाओं का लाभ पहुंचाया, रातों में नींद से जाग-जागकर उन्हें आपात सेवाएं उपलब्ध कराईं। आगरा का शिवहरे समाज निश्चय ही उनके ‘ऋण’ को भुला नहीं सकता। आप समझ गए होंगे, हम श्री प्रेम बिहारी गुप्ता की बात कर रहे हैं।
कल (5 अक्टूबर) दाऊजी मंदिर में होने वाले समारोह में विधायक श्री विजय शिवहरे व अन्य प्रतिष्ठित समाजसेवी श्री प्रेमबिहारी गुप्ता को स्व. श्री अतुल शिवहरे स्मृति ‘शिवहरे सेवा रत्न’ सम्मान से विभूषित करेंगे। श्री पीबी गुप्ता की विनम्रता देखिए, कि उन्हें स्वयं को इस लायक न बताते हुए सम्मान लेने से इनकार कर दिया था। शिवहरे समाज एकता परिषद औऱ शिवहरेवाणी के बड़े इसरार के बाद वह किसी तरह इसके लिए राजी हुए।
श्री प्रेम बिहारी गुप्ता मुंबई में ‘रेडियो एंड वायरलेस टैक्नोलॉजी’ डिप्लोमा करने के बाद 1974 में एसएन मेडिकल कालेज में टैक्नीशियन के पद पर चयनित हुए और 34 साल की सेवा के बाद 2008 में रिटायर हो गए। एसएन में अपने पूरे सेवाकाल में उनकी पोस्टिंग मुख्यतः प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग में अल्ट्रासाउंड प्रभारी के पद पर रही जहां बहुत जल्द अपने सेवाभाव की कीर्ति एसएन में फैल गई और अपने इस गुण के चलते सभी विभागों के नामी चिकिस्तकों के करीबी होते गए। कोई जानने वाला हो या अनजान व्यक्ति, किसी भी मरीज को तत्काल में ब्लड की जरूरत होती तो वह रक्तदान के लिए हमेशा तत्पर रहते। उस दौर में आगरा का संपूर्ण शिवहरे समाज एसएन में चिकित्सकों व स्टाफ से उनके संबंधों और प्रतिष्ठा से कई बार अनेक तरह से लाभान्वित हुआ। उनकी वजह से समाज के लोग एसएन की भीड़ से बच जाते, उनके रिफरेंस से चिकित्सकों की विशेष तवज्जो प्राप्त होती, मरीज भर्ती कराने की नौबत हो या ऑपरेशन अथवा महिलाओं की डिलीवरी की, पीबी गुप्ता की उपलब्धता समाजबंधुओं की हर मुश्किल आसान कर देती थी। समाज के लिए श्री पीबी गुप्ता के सेवाभाव की विरासत को अब उनके पुत्र श्री सरजू गुप्ता ‘काकेभाई’ बखूबी संभाला है जो एसएन मेडिकल कालेज में ईएनटी डिपार्टमेंट में पोस्टेड हैं।
श्री पीबी गुप्ता एक नहीं, कई प्रतिभाओं के धनी थे, जिसका लोगों ने भरपूर लाभ लिया। उनकी ड्राइंड तो गजब की थी, किसी भी जटिल चित्र को पेंसिले से कागज पर हूबहू उकेर देते, लिखावट इतनी सुंदर कि मानो किसी ने कागज पर मोती सजा दिए हों। इसके चलते मेडिकल कालेज के हजारों छात्र उनसे अपनी थीसिस, डायग्राम या प्रोजेक्ट तैयार करने का आग्रह करते और वह बच्चों के लिए रात-रातभर जागकर बच्चों का यह निःशुल्क काम करते। काम में बेहद मुस्तैद और हिसाब-किताब में तेज होने के कारण एसएन प्रशासन उन्हें अक्सर गैर-चिकित्सकीय कार्यों की जिम्मेदारी देता था। उनके दौर में बने कालेज में कई नए भवनों का निर्माण उनकी रेखरेख में हुआ। जनकल्याण के सरकारी अभियानों में उनकी भागीदारी अग्रहणी रहती थी। जिसके चलते एसएन कालेज के प्रिसिंपल और आगरा के जिलाधिकारी द्वारा कई बार उन्हें प्रशस्ति पत्र व विभिन्न अर्वार्डों से सम्मानित किया गया।
फिरोजाबाद के सिरसागंज कस्बे में 1948 को जन्मे श्री प्रेमबिहारी गुप्ता के पिता स्व. श्री किशन मुरारी लाल गुप्ता नगर के एक प्रतिष्ठित कारोबारी थे। सिरसागंज के एक इंटर कालेज से 12वीं तक की पढाई की। फिरोजाबाद के एक कालेज से ग्रेजुएशन करने के बाद काम की तलाश में कोलकाता गए जहां कोयले के बिजनेस में हाथ आजमाया। सफलता नहीं मिलने पर आगरा लौट आए और दाऊजी मंदिर के मार्केट में रिकॉर्ड प्लेयर्स की असेंबलिंग और घड़ी का काम किया जो एसएन में जॉब लगने के बाद बंद करना पड़ा।
2008 में सेवा से रिटायर होने के बाद से अपने निवास ’36, कैलाशपुरी कालोनी, सिकंदरा’ में परिवार के साथ रहते हैं। 2014 में जीवनसंगिनी श्रीमती कमलेश गुप्ता के स्वर्गवास के बाद उन्होंने अपनी जीवन घर के निकट स्थित हल्वाई की बगीची मंदिर और जाहरवीर मंदिर की सेवा में लगा दिया है। आज भी कालोनी में कहीं कोई बीमार पड़ता है तो 78 वर्षीय गुप्ताजी तत्काल पहुंच जाते हैं और प्राथमिक उपचार तजवीज करने, इंजेक्शन लगाने जैसी सहायता के लिए तत्पर रहते हैं। मानवसेवा और धर्मसेवा के प्रति समर्पित ऐसे व्यक्तित्व को ‘शिवहरे सेवा रत्न’ सम्मान से विभूषित किया जाना, वास्तव में सम्मान की प्रतिष्ठा को ही बढ़ाने वाला निर्णय है।

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