by Som Sahu October 18, 2017 घटनाक्रम, साक्षात्कार 102
शिवहरे वाणी नेटवर्क
आगरा।
जाने-माने फिल्म अभिनेता, स्क्रिप्ट राइटर, गीतकार, कोरियोग्राफर, प्रोड्यूसर और डायरेक्टर मुकेश आर. चौकसे के नाम एक अनोखे रिकार्ड के लिए गिनीज बुक में दर्ज हो सकता है। दरअसल मुकेश आर चौकसे रीयल लाइफ स्टोरी पर आधारित अब तक 16 फिल्में बना चुके हैं, और आनी वाली फिल्में भी रीयल लाइफ स्टोरी पर आधारित हैं। इस बात का खुलासा मुकेश आर चौकसे ने शिवहरे वाणी से हुई खास बातचीत में किया। उन्होंने बताया कि आने वाले एक-दो फिल्मों के साथ ही उनका नाम गिनीज बुक में दर्ज हो जाएगा। पेश हैं मुकेश आर चौकसे से शिवहरे वाणी का इंटरव्यूः-
खंडवा के पास गांव पुनासा में रहने वाला एक सीधा-साधा लड़का बॉलीवुड में कैसे पहुंचा और बिना फिल्मी बैकग्राउंक के और बिना किसी गॉडफादर के यह मुकाम कैसे पाया?
इसकी कहानी बड़ी रोचक है। मैं आठवीं में पढ़ता था तब स्कूल में स्टेज पर एक नाटक किया। मुझे सराहना मिली तो मेरा रुझान फिल्मों की ओर हो गया। उन दिनों खूब फिल्में देखीं, सोचता था कि कितनी अच्छी जिंदगी होती है इन फिल्म वालों की..मोहब्बत..मोहब्बत..और बस मोहब्बत..। स्कूल के बाद कालेज के दिनों में एक लड़की से मुझे प्रेम हो गया, वो एक मंत्री की बेटी थी। एक दिन हम दोनों घर से भाग गए, इंदौर आ गए। लेकिन, सत्ता की ताकत के आगे एक आम इंसान की मोहब्बत लाचार साबित हुई। कुछ दिन बाद अचानक मंत्री के आदमी आ धमके और उस लड़की को खींचकर अपने साथ ले गए। तब मुझे लगा कि रीयल लाइफ और रील लाइफ में बहुत अंतर होता है। हताशा घेरने लगी…एक दिन मैं मुंबई चला आया,..फिल्मों में किस्मत आजमाने। ये बात 1984 की थी।
फिर फिल्मों में पहला ब्रेक कब मिला और सिलसिला कैसे आगे बढ़ा?
मुंबई में पहला ब्रेक फिल्म अंकुश में असिस्टेंट डायरेक्टर के रूप में मिला। डायरेक्टर थे एन.चंद्र। शूटिंग के दौरान एक बार नाना पाटेकर ने मेरी पीठ थपथपाते हुए सबके सामने बोला था कि यह लड़का एक दिन बड़ा डायरेक्टर बनेगा। इन शब्दों ने मेरे ख्वाबों को जैसे पंख दे दिए, मेरे संघर्ष को नई ताकत मिल गई। फिर मुझे छोटे-मोटे काम मिलते रहे। लेकिन मेरे मन के किसी कोने में तब भी अपने प्रेम की नाकामी का दर्द सालता था। रीयल लाइफ और रील लाइफ के अंतर को मैंने भुगता है, और एक दिन तय कर लिया कि रीयल लाइफ स्टोरीज पर फिल्में बनानी हैं।
फिर रीयल लाइफ पर आधारित फिल्मों का सफर कैसे शुरू किया? सुनते हैं राजेश खन्ना ने इसमें आपकी मदद की?
हां, ये बात सही है। राजेशजी से एक बार मुलाकात के बाद से मेरे संबंध अच्छे हो गए थे। वो मुझे बड़ी हिम्मत देते थे। मैंने उन्हें बताया कि मैं भीमा नायक पर फिल्म बनाना चाहता हूं, तो वो खुश हुए। लेकिन समस्या यह थी कि भीमा नायक के बारे में लिटरेचर बहुत कम था, जो था वो लंदन की लाइब्रेरी में था। तब राजेश खन्ना ने मुझे लंदन की लाइब्रेरी पहुंचाया, पुस्तकें पढ़ने की सुविधा भी दिलाई। आगे भी वो मेरा सपोर्ट करते रहे, मैं उनका बड़ा अहसानमंद हूं..वो महान शख्सियत थे।
रीयल लाइफ पर आधारित फिल्म बनाना अधिक चुनौतीपूर्ण है या फिर काल्पनिक कहानी पर फिल्म बनाना, आपका क्या मानना है?
यूं तो फिल्म बनाना ही अपने आपमें कोई आसान प्रक्रिया नहीं है। लेकिन रीयल स्टोरी पर फिल्म बनाते समय ऐतिहासिक तथ्यों, उस कालखंड की भौगोलिक व सांस्कृतिक स्थितियों…और इस तरह अन्य बातों का बड़ा ध्यान रखना पड़ता है। फिर भी मुझे रीयल स्टोरीज पर फिल्में बनाना बहुत पसंद है। अब तक करीब 30 फिल्में बनाई हैं जिनमें से 16 रीयल स्टोरीज पर हैं। मुझे उम्मीद है कि रीयल स्टोरीज पर सबसे ज्यादा फिल्म बनाने वाले फिल्मकार के तौर पर मेरा नाम गिनीज बुक में दर्ज होगा। ये काम अगले महीने हो सकता है जब मेरी दो फिल्में ” भीमा नायक ” और ” पहलवान प्रथम हिन्द केसरी ” अगले महीने रिलीज हो रही हैं।
सुनते हैं कि आपको तो गॉडफादर नही मिला लेकिन आपने कई लोगों को फिल्मों में लांच किया है, प्रमोट किया?
हा.मैं अब तक एक हजार लोगों को इंडस्ट्री में ला चुका हूं। जूही चावला को बड़ा ब्रेक मैंने ही दिलवाया था। जूही की फिल्म सल्तनत बुरी तरह पिट गई थी, जूही को काम नहीं मिल पा रहा था। जूही के सेक्रेटरी के साथ बैठे थे, उनके कहने पर फिल्म काफिला में जूही को काम दिलाया। इधर मंजूर खान को कयामत से कयामत तक के लिए फ्रेश चेहरे की तलाश थी। एक दिन वह काफिला के सेट आए तो जूही को साइन कर लिया। अपने समाज की प्रीती चौकसे, किशन चौकसे और भी कई लोगों को फिल्म जगत में लाया।
आगे क्या प्रोजेक्ट हैं आपके?
मेरी कई फिल्में आ चुकी हैं जिनमें मलाला युसुफजई, सबसे जुदा हो तुम, टंटिया भील, रानी लक्ष्मी बाई, अवंतीबाई लोधी, हम मिलके दिखाएंगे, यंग-द पॉवरफुल ब्लड, मालवा के शोले, खूनी कौन, नन्हे फरिश्ते, मेरो अनाड़ी पिया, रात एक अनहोनी, दस्यु मलखान सिंह प्रमुख है।
मुख्यमंत्री श्री शिवराज जी ने बीती 15 अक्टूबर को मेरी दो फिल्मों फिल्म ” भीमा नायक ” और ” पहलवान प्रथम हिन्द केसरी” के पोस्टर का विमोचन किया है, ये दोनों फिल्में अगले महीने रिलीज हो जाएंगी।
जैसा कि आपने कहा, रीयल स्टोरीज पर फिल्में बनाते समय कई बातों को लेकर सचेत रहने की जरूरत होती है, कभी कोई विवाद हुआ आपकी फिल्म को लेकर?
नहीं ऐसा कभी नहीं हुआ। हां टंटिया भील को लेकर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया था गुंडों को महिमामंडित करने का। कई केस भी लगे। लेकिन हम हर केस जीत गए। जैसा कि मैंने कहा मेरी कोशिश होती है कि कोई चूक न रह जाए। इसीलिए दस्यु मलखान सिंह पर फिल्म बनाते समय सेट पर मलखान सिंह को हमेशा रखा, वे जिसे गलत बताते थे, उसे हटा देते थे।
अपने व्यक्तिगत जीवन के बारे में बताएं, पत्नी..बच्चे?
मैं मुंबई में अपने बेटे के साथ रहता हूं। बेटी की शादी कर चुका हूं। पत्नी अलग रहती है, उससे मेरा संबंध नहीं है।
शिवहरे वाणी पोर्टल पढ़ते हैं?
हां, बिल्कुल। हमारे संपर्क का माध्यम भी यही बना है। आप समाज को जोड़ने काम कर रहे हैं। बहुत अच्छा पोर्टल है, समाज के हित में बहुत अच्छी सामग्री रोचक तरीके से प्रस्तुत कर रहे हैं आप। आपको बधाई देता हूं और पोर्टल के अच्छे भविष्य की कामना करता हूं।
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