January 31, 2025
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
धरोहर

..जब मंदिर में भगवान राम ने किया कुछ देर विश्राम

by Som Sahu September 30, 2017  घटनाक्रम 232

  • मंदिर श्री राधाकृष्ण में भगवान राम, लक्ष्मण और हनुमान संग वानर सेना के स्वरूपो का भव्य स्वागत
  • सेंट जोंस के ऐतिहासिक रावण दहन से पूर्व निकाली जाती है यह शोभायात्रा, मंदिर के अलावा नहीं रुकती

आगरा।

लोहामंडी में आलमगंज स्थित शिवहरे समाज की धरोहर मंदिर श्री राधाकृष्ण में दशहरे पर एक गौरवशाली परंपरा का मर्यादित निर्वहन हुआ। आगरा में ऐतिहासिक सेंट जोंस रावण दहन से पूर्व निकाले जाने वाली भव्य शोभायात्रा में भगवान राम, लक्ष्मण और हनुमान के साथ वानर सेना ने मंदिर परिसर में विश्राम लिया। इस दौरान मंदिर प्रबंध समिति के पदाधिकारियों ने स्वरूपों की स्वागत और आरती की। ठंडे मिल्क रोज से उनकी खातिर की और रिटर्न गिफ्ट के साथ विदा किया।

बता दें कि प्रतिष्ठित रामबारात के बाद दूसरी सबसे बड़ी शोभायात्रा होती है जिसमे साठ से अधिक झांकियां शामिल होती हैं। एक किलोमीटर से भी अधिक लंबी शोभायात्रा में सबसे अंत में भगवान राम. लक्ष्मण और हनुमान के स्वरूप रथ पर सवार होकर चलते हैं। उनके आगे करतब करती जोशीली वानर सेना बैंड बाजों के साथ चलती है।

शोभायात्रा में भगवान राम का रथ के द्वार पर पहुंचने पर मंदिर प्रबंध समिति के पदाधिकारियों ने उनकी आगवानी की। तीनों स्वरूपों ने अपनी वानर सेना के साथ जैसे ही मंदिर में प्रवेश किया, पूरा परिसर भगवान राम के जयकारों से गूंज उठा। मंदिर में विशेष सिंहासन बनवाए गए थे जहां भगवान राम, लक्ष्मण और हनुमान के स्वरूपों को विराजमान किया गया। मंदिर पदाधिकारियों ने स्वरूपों का माल्यार्पण किया और आरती की। इसके बाद ठंडे मिल्क-रोज से उनका भोग लगाया गया। इस दौरान मंदिर कार्यकर्ताओं ने वानर सेना की आवभगत में कोई कमी नहीं छोड़ी। स्वरूप करीब 15 मिनट तक मंदिर परिसर में रुके। भगवान राम के जयकारों से उन्हें विदा किया गया।

इस दौरान भाजपा पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के ब्रज प्रांत संयोजक एवं मंदिर प्रबंध समिति के संरक्षक श्री केके शिवहरे, मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष श्री अरविंद गुप्ता, सचिव श्री मुकुंद शिवहरे, कोषाध्यक्ष श्री कुलभूषण गुप्ता रामभाई, उपाध्यक्ष श्री अशोक शिवहरे अस्सो भाई, कार्यकारिणी सदस्य श्री संजय शिवहरे, गुड़ियल भाई, चंदन शिवहरे के साथ ही श्री ऋषि कुमार गुप्ता, श्री रमन गुप्ता, श्री प्रकाश गुप्ता, श्री सनी शिवहरे, श्री अमित शिवहरे भी मौजूद रहे। कार्यक्रम समाज के वयोवद्ध सम्मानित सदस्य श्री रामगोपाल गुप्ता और श्री जगदीश प्रसाद शिवहरे के मार्गदर्शन मे हुआ।

बप्पू के आदेश का अब तक हो रहा है पालन

दरअसल मंदिर श्रीराधाकृष्ण में हर साल निर्वाह की जाने वाली यह गौरवशाली परंपरा उस दौर में बुजुर्गों के सम्मान की तस्दीक करती है। हालांकि इस बात का कोई दस्तावेज तो नहीं है, लेकिन समाज के बुजुर्गों का कहना है कि मंदिर निर्माण के पहले वर्ष से ही यह परंपरा चली आ रही है। दरअसल स्व. श्री चिरंजीलालजी शिवहरे ईंटभट्टे वालों ने 1962 में मंदिर के लिए जमीन दान की थी और रातों-रात वृंदावन से राधाकृष्ण की प्रतिमा यहां स्थापित कराई थी। सम्मान में लोग उन्हें बप्पू कहते थे। अपने मृदु व्यवहार के चलते वह हरदिल अजीज थे और उनके लिए लोगों के दिल में बहुत सम्मान था। शिवहरे समाज ही नहीं, अन्य समाज के लोग भी बप्पू की बात को इतना तवज्जो देते थे और उनका सुझाव ही उनके लिए आदेश बन जाता थे। बुजुर्गों के मुताबिक, मंदिर निर्माण के बाद पहले दशहरे पर बप्पू ने जटपुरा स्थित राममंदिर से निकलते वाली इस शोभायात्रा के प्रबंधकों को सुझाव दिया था कि शोभायात्रा को संक्षिप्त विश्राम मंदिर परिसर में दिया जाए। ऐसा कभी हुआ नहीं, शोभायात्रा का रास्ते में कहीं ठहराव नहीं था, यही उस वक्त की परंपरा थी। लेकिन बप्पू कहें और मानी न जाए, ऐसा तो संभव ही नहीं था। लिहाजा उस साल पहली बार यह शोभायात्रा मंदिर परिसर में रुकी। तब से अब तक बप्पू की  बात मानी जा रही है। शोभायात्रा आज भी कहीं नहीं रुकती, मंदिर श्री राधाकृष्ण के सिवाय।

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