by Som Sahu September 05, 2017 Uncategorized, जानकारियां 329
- लोगों ने समझाया, धमकाया मगर डिगे नहीं सुगम, 2004 में लोहामंडी चंद्रवार गेट चौराहे पर रखे गणेशजी
- ‘कान वाले बाबा’ के नाम से हुए मशहूर, कान में कहने से पूरी हो जाती है मन्नत, कल होगा गणपति का विसर्जन
शिवहरे वाणी नेटवर्क
आगरा।
आज गणेश महोत्सव पूरे उत्तर प्रदेश में मनाया धूमधाम से मनाया जाता है। लेकिन, आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि गणेश महोत्सव के मौजूदा स्वरूप की शुरुआत फिरोजाबाद से हुई थी, और इससे भी अधिक रोचक बात यह है कि पहल करने वाला एक शिवहरे युवक था, सुगम शिवहरे। ये दोनों ही दावे इस आयोजन समिति के हैं और हमारी सर्वश्रेष्ठ जानकारी में संभवतः सही भी हैं।
जैसा कि सभी जानते हैं कि गणेश महोत्सव की शुरुआत मुंबई से हुई थी और लोकमान्य तिलक इसके सूत्रधार थे। गणेश महोत्सव ने आजादी के आंदोलन मे मराठियों को एकजुट करने मे बड़ा योगदान किया था। बाद में इस परंपरा ने पहले मुंबई की सीमा लांघ संपूर्ण महाराष्ट्र में विस्तार पाया और फिर पूरे देश में गणेश महोत्सव मनाया जाने लगा। इसी क्रम में करीब वर्ष 2000 में उत्तर प्रदेश में गणेश उत्सव मनाने का चलन शुरू हुआ। शुरु में कुछ शहरों के कुछ मंदिरों में गणेश प्रतिमा स्थापित की जाती थी। लेकिन वर्ष 2004 में फिरोजाबाद में पहली बार गणेशजी को खुली जगह पर विराजमान कराया गया था। चंद्रवार गेट निवासी सुगम शिवहरे पुत्र स्व. श्री सुभाषचंद्र शिवहरे ने इस वर्ष लोहामंडी में अग्रवाल धर्मशाला के चौराहे पर गणेश प्रतिमा को विराजमान कराया, तो कई लोगों की त्योरियां चढ़ गईं। उन्हे कड़ी आपत्ति थी कि गणेशजी को सड़क पर बिठा दिया गया है। कई प्रतिष्ठित मंदिरों के पुजारी और धर्मशास्त्री होने का दावा करने वाले लोग समझाने की गरज से सुगम से मिले, कड़ी चेतावनी भी दी। लेकिन सुगम ने उन्हें मुंबई के तौरतरीकों का हवाला देकर चलता कर दिया। पहला आयोजन आशातीत सफल रहा, और उसके बाद इस स्थान पर हर वर्ष गणेश प्रतिमा रखी जाने लगी। अब फिरोजाबाद में इन गणेशजी को ‘कान वाले बाबा’ के नाम से जाने जाते हैं। लोगों का मानना है कि विसर्जन के समय गणेशजी के कान में मन्नत कहने से वह पूरी हो जाती है। मजे की बात यह है कि आज तेरह वर्ष बाद भी इसकी आयोजन समिति में वही सदस्य हैं जो पहली बार के आयोजन में थे। मसलन सुगम शिवहरे, रामू गुप्ता (शिवहरे), सोनू शिवहरे, मनीष, दीपक, गगन, राजू आदि।
एक और खास बात यह है कि फिरोजाबाद में ‘कान वाले बाबा’ का विसर्जन सबसे आखिर में अनंत चौदस के भी अगले दिन होता है। सुगम शिवहरे ने बताया कि ‘कान वाले बाबा’ का विसर्जन बुधवार (6 सितंबर) को पूर्वाहन 11 बजे किया जाए। एक हजार से अधिक लोग गाजे-बाजे के साथ गणेशजी का विसर्जन करने यमुना तट पर जाएंगे।
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