November 22, 2024
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
वुमन पॉवर

भाई की यादों को ‘रक्षाबंधन गिफ्ट’ … पिता को सच्ची श्रद्धांजलि है सपना की कामयाबी, बनीं सिविल जज

by Som Sahu August 06, 2017  Uncategorizedघटनाक्रमशख्सियतसाक्षात्कार 645

शिवहरे वाणी नेटवर्क

ग्वालियर।

मंजिल उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों मे जान होती है।

परों से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है।।

इस शेर का फसलफा सुश्री सपना शिवहरे से बेहतर भला कौन समझ सकता है। हालात कदम कदम पर दुश्वारियां पैदा करते रहे..। जो भाई उसे मंजिल तय करने का हौसला दे रहा था, अचानक चल बसा। फिर जिस पिता ने उसे सिविल जज बनने का ख्वाब दिया था, वो भी बेटे के गम में चले गए। इन हालात में सपना ने खुद को संभाला, परिवार को संभाला और साथ में उस ख्वाब को भी संभाला जो पिता की आंखों में पलता था, सपना के सिविल जज बनने का ख्वाब, जो उनके जीते-जी पूरा नहीं हो सका था। सपना इस ख्वाब को पूरा करने के अपने संकल्प को दृढता के उस मुकाम पर ले गई, जहां सारी दुश्वारियां उसके सामने अंततः नतमस्तक होती गईं। सपना के सिविल जज बनने की खबर ऐसे वक्त पर आई है जब रक्षाबंधन के साथ ही 15 अगस्त को पिता की तीसरी पुण्यतिथि भी है। सपना की कामयाबी उसके भाई की यादों को रक्षाबंधन का गिफ्ट है, तो पिता को सच्ची श्रद्धांजलि भी।

आज शिवहरे वाणी से बातचीत में सुश्री सपना शिवहरे की आंखें नम हो गईं। बीती 3 अगस्त को मध्य प्रदेश सिविल जज परीक्षा का परिणाम घोषित हुआ तो पूरा परिवार मिश्रित भावों में डूब गया। सपना की कामयाबी की खुशी थी, मगर सबसे ज्यादा खुश होने वालों का इस दुनिया में नहीं होने का मलाल भी था चेहरों पर। ग्वालियर में गांधीनगर निवासी सुश्री सपना ने 2007 में माधव विवि महाविद्यालय से एलएलबी किया, और 2011 में महारानी लक्ष्मीबाई कालेज से एलएलएम किया। इसी दौरान सपना शिवहरे की मुलाकात एक महिला जज से हुई, जिनके व्यक्तित्व से वह इतना प्रभावित हुई कि खुद भी सिविल जज बनने की ठान ली। संयोग ही था कि इसी समय पिता स्व. श्री गिरीश शिवहरे भी यही ख्वाब देख रहे थे और एक दिन उन्होंने सपना से कह ही दिया-बेटी सिविल जज परीक्षा की तैयारी करो, तुम्हें जज देखना चाहता हूं।सपना तैयारी में जुट गई। 2012 में राजस्थान सिविल जज की परीक्षा दी लेकिन सफल नही हुई। तब पिता और भाई ने ही उसका हौसला बंधाया और दुबारा से पूरे जोश के साथ तैयारी में जुटने का मंत्र दिया।

लेकिन अचानक एक दिनभाई श्री दीपक शिवहरे को हार्ट अटैक पड़ा, और उनका निधन हो गया। परिवार की खुशियां बिखर गईं, पिता को गहरा सदमा लगाइस कदर कि फिर कभी संभल नहीं पाए और ठीक 11 महीने बाद 15 अगस्त 2014 को क्रूर काल ने उन्हें भी छीन लिया। पूरे घर पर एक गहरी उदासी का साया था,  सपना के सामने मां और बहनों के गमगीन चेहरे थे, जो बात-बात पर, हर याद पर रो पड़ते थेदिल-दिमाग में वो एक ख्वाब था जो पिता ने दिया था, कानों में वही शब्द गूंज रहे थे- बेटी सिविल जज परीक्षा की तैयारी करो. तुम्हें जज देखना चाहता हूं।सपना ने एक-एक कर इन सबको संभाला।  परिवार को सहारा देने के लिए सपना ने कोचिंग पढ़ानी शुरू कर दी। सुबह शाम 2-2 घंटे लॉ स्टूडेंट्स की एकेडमिक्स की क्लास लेती थीं। बाकी वक्त तैयारी में लगाती थी। मां श्रीमती पुष्पा शिवहरे और दोनों बहनों सुश्री आरती शिवहरे व सुश्री वंदना शिवहरे ने उसे तैयारी में पूरा सहयोग किया।

वर्ष 2015 में सपना ने मध्य प्रदेश सिविल जज की परीक्षा दी मगर मुख्य परीक्षा में चयन नहीं हो सका। 2016 की परीक्षा में अंततः कामयाबी मिली। सुश्री सपना ने कभी कोई कोचिंग नहीं ली, हां गुरुजनों से समय-समय पर मार्गदर्शन जरूर लेती रही। सिविल जज परीक्षा की तैयारी कर रहे भावी अभ्यर्थियों के लिए सुश्री सपना सुझाव देती हैं कि लक्ष्य को हमेशा अपने दिमाग में रखें, चाहें कैसी भी विपरीत परिस्थियां क्यों न हों..इरादे कमजोर नहीं होने चाहिए, बल्कि उन्हें लगातार मजबूती देते रहें।बेशक कामयाबी का यह मंत्र सही मायने में सुश्री सपना शिवहरे ही दे सकती है, वही इसकी हकदार है..क्योंकि आज वह खुद इसकी जीती-जागती मिसाल बन गई है।

सुश्री सपना अपनी कामयाबी में मां श्रीमती पुष्पा शिवहरे, बड़ी बहन श्रीमती ज्योति शिवहरे, जीजाजी श्री नवीन गुप्ता, दूसरी बड़ी बहन सुश्री आरती शिवहरे और छोटी बहन सुश्री वंदना शिवहरे के योगदान को भी अहम मानती हैं। साथ ही भाई की यादगारजिसकी अठखेलियां अब घर के उदास आंगन में फिर से खुशियां बिखेरने लगी हैयानी चार साल की भतीजी का भी इस कामयाबी में बहुत बड़ा योगदान है..शायद आप नहीं समझेंगे, लेकिन सपना जानती है अपनी सबसे बड़़ी जिम्मेदारी।

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